Instant Coffee की बात हो और Nescafe का नाम ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता. नौजवानों से लेकर जवानों तक की लाइफ़ को आसान बनाया है इस कॉफ़ी ने. जब भी मन किया कुछ रिफ़्रेशिंग पीने का तो झट से कॉफ़ी बना ली. थकान से लेकर सिरदर्द तक का इलाज है ये कॉफ़ी.
आज दुनिया के 180 देशों में Nescafe की अलग-अलग कॉफ़ी का स्वाद लोगों की ज़ुबां पर चढ़ा है. मगर इसकी शुरुआत कैसे हुई ये जानते हैं आप? आपकी प्यारी कॉफ़ी की खोज से जुड़ा क़िस्सा जुड़ा है अमेरिका में आई मंदी से. चलिए आज आपको इसके बारे में भी बताए देते हैं.
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विश्व में गिरने लगे थे कॉफ़ी के दाम
दरअसल, 1929 में अमेरिका का स्टॉक मार्केट तेज़ी से नीचे की ओर गिरने लगा. इसी के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कॉफ़ी का दाम और मांग भी दिन-प्रतिदिन गिरने लगा. इतना की ब्राज़ील जिसे कॉफ़ी का घर कहा जाता है वहां के गोदामों में कॉफ़ी का भंडार सड़ने के कगार पर पहुंच गया. तब ब्राज़ील के बैंकर्स और व्यापारियों ने Nestle से इसका हल निकालने की गुहार लगाई.
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Dr. Max Morgenthaler की 9 साल की मेहनत का नतीजा
Nestle (नेस्ले) तब फ़ूड मार्केट का बादशाह था. उनसे बैंकर्स ने कहा कि वो ऐसी कॉफ़ी तैयार करें जो कहीं भी और कभी तैयार की जा सके. यहीं से घुलनशील कॉफ़ी टैबलेट और क्यूब का आइडिया सामने आया. मगर ये ज़्यादा कारगर नहीं रहा, ये जल्दी ख़राब हो जाते थे. Nestlé तब Dr. Max Morgenthaler को ये काम सौंपा. उन्होंने कई सालों तक अपनी लैब में रिसर्च की और 9 साल की मेहनत के बाद Nescafe के रूप में इंस्टेंट कॉफ़ी वाला नायाब तोहफ़ा दुनिया को दिया.
अमेरिकी सैनिकों के राशन में हुई शामिल
ये पहले वाली कॉफ़ी से कहीं टेस्टी और अधिक दिनों तक चलने वाली कॉफ़ी थी. नेशले ने इसे 1 अप्रैल 1938 को दुनिया के सामने Nescafe के नाम से पेश किया. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ये अमेरिकी सैनिकों का पसंदीदा पेय पदार्थ बन गया. यही नहीं अमेरिका के नौजवानों के बीच भी ये काफ़ी लोकप्रिय हो गई. नेशले ने इसमें समय के साथ सुधार भी किए और इसके कई वेरिएंट भी मार्केट में उतारे.
आज मार्केट में नेसकैफ़े अलग-अलग प्रकार की कॉफ़ी के रूप में उपलब्ध है. एक रिपोर्ट के अनुसार, हर सेकेंड दुनियाभर में इस इंस्टेंट कॉफ़ी के लगभग 6 हज़ार कप पीए जाते हैं. हो भी क्यों ना Nescafe का टेस्ट ही ऐसे है कि चखे बिना रहा नहीं जाता.
नेसकैफ़ै जितनी ही दिलचस्प है इसके बनने की कहानी.