Joshimath History: पिछले कई दिनों से उत्तराखंड का मशहूर तीर्थ स्थल जोशीमठ सुर्खियों में है. कारण है यहां होने वाले भू-धसाव, जिसके चलते कई घरों और होटलों में दरार आ गई है. ज़मीन दरकने से यहां के हज़ारों लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. लोग पीठ पर अपने घर का सामान, आंखों में आंसू और भारी दिल के साथ घरों को छोड़ रहे हैं.

Joshimath History
shrineyatra

इस विकट परिस्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार भी युद्धस्तर पर काम करने में जुटी है. उम्मीद है कि यहां की परिस्थितियां बदले और लोग अपने घरों को लौटें. ये तो रही वर्तमान की बात. मगर जोशीमठ का इतिहास सदियों पुराना है, आज आपको इसी से रू-ब-रू करवाने वाले हैं. 

ये भी पढ़ें: विश्व के सबसे बड़े हिंदू मंदिर वाले इस देश में नहीं है एक भी हिंदू, जानिये इसका कारण और इतिहास

हज़ारों साल पुराना है जोशीमठ का इतिहास

katyuri kings
Twitter

जोशीमठ गुरु आदि शंकराचार्य के चार मठों में से एक है. इसका इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है. मान्यता है कि 8वीं सदी में सनातन धर्म का पुनरुद्धार करने आदि शंकराचार्य उत्तराखंड आए थे. उन्हें जोशीमठ में ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ज्ञान प्राप्त करने के बाद शंकराचार्य ने एक शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर राज- राजेश्वरी को अपनी इष्ट देवी मानकर पूजा की. पूजा के बाद वो ज्योति के रूप में प्रकट हुईं और तभी से ही इस मठ ये ज्योति निर्बाध प्रज्वलित हो रही है. 

ये भी पढ़ें: जानिए ‘The Kashmir Files’ से चर्चा में आये मार्तंड सूर्य मंदिर का इतिहास और आज ये किस हाल में है

जोशीमठ का असली नाम

shankaracharya
bhaskar

जोशीमठ का असली नाम ज्योतिर्मठ था. ऐसी भी मान्यता है कि शंकराचार्य ने यहीं एक कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शिव की आराधना की थी. इस मंदिर का नाम ज्योतेश्वर महादेव मंदिर है. इसके गर्भगृह में में एक दीपक जल रहा है. इसलिए इस मठ का नाम ज्योतिर्मठ पड़ा. इसी का अपभ्रंश है जोशीमठ, जिसके नाम से लोग अब इसे पुकारने लगे हैं.

राम भक्त हनुमान से भी है नाता

Joshimath
bbc

हनुमान जी से भी जुड़ा एक क़िस्सा है जोशीमठ का. कहते हैं जब युद्ध में लक्ष्मण घायल हो गए थे तब हनुमान संजीवनी बूटी ले जाते समय यहीं से गुजरने वाले थे. रावण को इस बात का पता चला तो उसने हनुमान को मारने के लिए एक राक्षस कालनेमि को यहां भेजा था. कालनेमि और हनुमान के बीच युद्ध होता है जिसमें हनुमान की जीत होती है. कहते हैं तभी से ही यहां कीचड़ और जल का रंग लाल प्रतीत होने लगा था. 

प्राचीन काल में व्यापार का केंद्र था

katyuri kings
quora

इतिहासकारों के अनुसार, यहां पर 7वीं से 11वीं सदी तक कत्यूरी राजाओं (Katyuri Kings) का शासन था. तब जोशीमठ कत्यूरी राजाओं की राजधानी थी, उस समय इसे कार्तिकेयपुर नाम से जाना जाता था. उसी समय से ही तिब्बती व्यापारी यहां व्यापार करने आते थे. वो अपना सामान यहां बेचते और अपने ज़रूरत की वस्तुएं ख़रीदकर लौट जाते.

जोशीमठ का इतिहास तो काफ़ी सुनहरा रहा है लेकिन वर्तमान धंसता दिख रहा है. मगर उम्मीद है कि तबाही का मंजर थमे और एक बार फिर यहां पर जीवन हंसी-खुशी से लोग गुजारें.