Kala Kachha Gang: एक समय था जब लूटपाट की घटनाओं को ज़्यादातर डाकुओं का गिरोह अंजाम दिया करता था. कुछ डाकू तो काफ़ी ज़्यादा कुख्यात हुए. इनके आतंक का एक बड़ा इतिहास है. समय के साथ इनकी जगह लूटपाट करने वाले छोटे-मोटे गिरोह ने ली, जो रास्ते चलते या घर में सेंध लगाकर लूटपाट कर लिया करते है.
आइये, अब विस्तार से जानते हैं इस काला कच्चा गिरोह (Kala Kachha Gang) के बारे में.
पंजाब का काला कच्छा गैंग
Kala Kachha Gang: काला कच्छा गैंग, जिसे काले कच्छे वाले या काले कच्छे गैंग के नाम भी जाना जाता है. ये वो आंतकी गिरोह है, जिसने लूटपाट और हमलों की वारदातों से पंजाब को वर्षों तक खौफ़ के साए में रखा. ये अक्सर पंजाब के ग्रामीण इलाकों में लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया करते थे. ये पंजाब के लुधियाना, फिरोजपुर, जालंधर व होशियारपुर जैसे इलाक़ों में काफ़ी एक्टिव रहे.
कैसे पड़ा नाम काला कच्छा गैंग
Kala Kachha Gang: 1 सितंबर 1993 एजेंस फ़्रांस प्रेस (AFP) की रिपोर्ट में कहा गया था कि इस गिरोह को ये नाम पंजाब के लोगों ने ही दिया था. इस गिरोह के सदस्य काले अंडरवियर में रहा करते थे और इसी तरह गांव-गांव घूमकर लूटपाट किया करते थे. इनके बदन पर ग्रीस लगा होता था, ताकि इन्हें पकड़ने वालों का हाथ फिसल जाए.
लूटपाट के साथ लगे रेप के आरोप
माना जाता है कि काला कच्छा गैंग के सदस्यों को पहली बार 1993 में देखा गया था. इसके बाद ये बात पंजाब में जंगल में आग की तरह फैल गई. इस गिरोह पर लूटपाट के साथ-साथ अपहरण और रेप के आरोप तक लगे. The UN Refugee Agency की मानें, तो द टाइम्स ऑफ इंडिया (25 सितंबर 1997) ने इसे 24 सदस्य वाले एक गिरोह के रूप में संदर्भित किया था, जो “काले कच्छेवाले” नाम से जाना गया. ये गिरोह पुलिस कमांडो की तरह काले लिबास में पंजाब के ग्रामीण इलाक़ों में डकैती करता था, जिसमें फिरोजपुर, जालंधर, लुधियाना और होशियारपुर शामिल थे.
जब गिरोह के 9 सदस्य पकड़े गए
Kala Kachha Gang:माना जाता है कि 24 सितंबर 1997 को सेखवां (Sekhwan) गांव से गिरोह के 9 सदस्यों को गिरफ़्तार किया गया था. पकड़े गए सदस्य पंजाब के बाहर के आदिवासी बताए गए थे, जिसमें से 8 महिलाएं थीं. पकड़े गए सदस्यों के नेता के कहा था कि उन्होंने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी ऐसी चोरियां की हैं. हालांकि, काले कच्छे गैंग से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी नहीं मिल सकी थी. प्रतिकात्मक तस्वीर में दिख रहे लोगों की तरह ही काला कच्छा गैंग दिखाई देता था.
की जाने लगी थी पहरेदारी
काले कच्छे गैंग का आतंक इस कदर था कि पुलिस की पेट्रोलिंग और पहरेदारी के साथ-साथ स्थानीय लोग भी लाठी लिए गांव की पहरेदारी किया करते थे. वहीं, कई बार ऐसा भी हुआ की काले कच्छे गैंग की ग़लतफ़हमी के चक्कर में कई गांव वाले ही मार खा गए.
गैंग की जड़ तक नहीं पहुंच पाई पुलिस
समय के साथ काला कच्छा गैंग के नाम पर कई लूटमारों को पकड़ा गया. 20 सालों में इस गैंग ने कई लूट व हत्याओं को अंजाम दिया है. लेकिन, पुलिस इस गैंग की जड़ तक आज तक पहुंच नहीं पाई है. वहीं, समय के साथ-साथ इस गैंग का नाम बार-बार आता रहा है, जैसे 2020 में भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना के फूफा की हत्या के मामले में भी इस गैंग का नाम आया था, लेकिन ये साबित नहीं हो सका था कि क्या हत्या के पीछे इसी काले कच्छे वालों का ही हाथ था.