आइए आज आपको हम इसी नेता के बारे में बताते हैं, जो जुझारू होने के साथ ही काफ़ी तेज़ दिमाग़ भी थे.
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चौकीदार के रूप में शुरू किया अपना करियर
कलिखो पुल (Kalikho) Pul) एक छोटे से समुदाय ‘कमान मिश्मी’ से आते थे. इस समुदाय में मुश्किल से ढाई हज़ार लोग हैं. कलिखो मात्र 13 महीने के थे, जब उन्होंने अपनी मां को खो दिया था. इसके बाद जब वो 6 वर्ष के हुए, तो उनके पिता की भी मौत हो गई. इसके बाद वो अपनी बुआ के परिवार के साथ रहने लगे और लकड़ी इक्कट्ठा करके उनकी फ़ैमिली की मदद करने लगे. जब वो 10 साल के थे, तो उन्होंने अपना स्कूल छोड़ दिया और हवाई क्राफ्ट सेंटर में बढ़ईगिरी का कोर्स ज्वाइन कर लिया, जहां उन्हें हर दिन 1.50 रुपये मिलते थे.
Kalikho Pul Death
किशोरावस्था में किया था ख़ुदकुशी का प्रयास
हवाई मिडिल स्कूल के हेडमास्टर मिस्टर राम नरेश प्रसाद सिन्हा के सुझाव पर एक नाइट स्कूल ज्वाइन कर लिया था. कलिखो की प्रोग्रेस से इम्प्रेस होकर मिस्टर सिन्हा ने उनका डायरेक्ट एडमिशन छठी कक्षा में करा दिया था. एक बार उन्हें स्कूल में आयोजित एक समारोह में वेलकम स्पीच के लिए तैयार किया, जहां तत्कालीन शिक्षा मंत्री खप्रिसो क्रोंग और उपायुक्त डी. एस. नेगी उपस्थित थे. चूंकि कलिखो अपने भाषण और देशभक्ति गीत से लोगों को प्रभावित करने में सक्षम थे, इसलिए सिन्हा ने उन्हें स्कूल के हॉस्टल में जगह देने का फ़ैसला कर लिया था. जब कलिखो 8वीं में थे, तब वो एक बार बीमार पड़ गए थे. उस दौरान उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे. पैसे कमाने के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ा था. उस वक़्त उन्हें ख़ुदकुशी का ख्याल आया था. हालांकि, उस दौरान उन्होंने जान देने की बजाय मुश्किल हालातों से लड़ने का फ़ैसला किया था.
Kalikho Pul Death
हेडमास्टर ने दिलाई थी कलिखो को ‘वाचमैन’ की नौकरी
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मुख्यमंत्री के पद पर 6 महीने भी नहीं टिक पाए
समाज सेवा, सामुदायिक सेवा और ग़रीब और बेसहारा व्यक्तियों की सेवा करने में उनकी विशेष रुचि थी. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले वो काफ़ी लंबे समय तक वित्त मंत्री भी रहे हैं. वो 1995 से लगातार 5 बार विधानसभा में चुनाव जीतते आ रहे थे. वो कांग्रेस पार्टी में कई सारे विभागों के मंत्री भी रहे थे. हालांकि, बाद में उन्होंने कांग्रेस से बगावत करके BJP ज्वाइन कर ली थी. इसके बाद उन्हें अरुणाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन वो 6 महीने भी नहीं टिक पाए.
60 पन्ने का लिखा था सुसाइड नोट
कलिखो पुल की आत्महत्या आज तक मिस्ट्री बनी हुई है.