विश्व का इतिहास न सिर्फ़ दिलचस्प है बल्कि काफ़ी चौंकाने वाला भी है. इतिहास में कई ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं जिनके बारे में जानकर काफ़ी हैरानी होती है. वहीं, कई घटनाओं से जुड़े सवालों के जवाब ढूंढने के लिए हमें अतीत के पन्ने खंगालने ही होते हैं. अब इस सवाल को ही ले लीजिए कि इतिहास की सबसे तेज़ आवाज़ क्या थी और इसे कब सुना गया था? हालांकि, ये एक जटील सवाल है और इस पर विभिन्न तरह के जवाब मिलते हैं. लेकिन, जिस जवाब को बहुत करीबी माना गया है उसके बारे में हम आपको यहां बताने जा रहे हैं.

एक बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट

wikipedia

माना जाता है कि अब तक की सबसे तेज़ आवाज़ तब सुनी गई थी जब इंडोनेशिया के क्राकोटोआ द्वीप का ज्वालामुखी फटा था. वो तारीख़ थी 26 अगस्त 1883. इस ज्वालामुखी विस्फोट से जो आवाज़ उत्पन्न हुई उसे अब तक की सबसे तेज़ आवाज़ माना जाता है.  

मीलों तक सुनी गई थी आवाज़

influence

माना जाता है कि ये ज्वालामुखी विस्फोट इतना तेज़ था कि इसकी आवाज़ 3 हज़ार मील दूर तक सुनी गई थी. वहीं, एक अनुमान के तौर पर इस विस्फोट से उत्पन्न ऊर्जा हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 10,000 गुना अधिक थी.  

मारे गए थे हज़ारों लोग

newskarnataka

कहते हैं कि ज्वालामुखी विस्फोट वाले क्षेत्र के आसपास रहने वाले हज़ारों लोग इस घटना की वजह से मारे गए थे. लेकिन, मरने वालों की संख्या विस्फोट के बाद सुनामी आने की वजह से बढ़ी थी. एक अनुमान के तौर पर सुनामी की वजह से लगभग 1 लाख लोग मारे गए थे.  

वायुमंडल पर पड़ा प्रभाव

mcall

इस विस्फ़ोट के कारण सल्फ़र डाइऑक्साइड और धूल कण 50 मील ऊपर स्ट्रेटोस्फीयर तक पहुंच गए थे. इन धूल कणों की वजह से आसमान का प्राकृतिक रंग भी प्रभावित हुआ था. 

आसमान लाल हो गया था 

tenor

कहते हैं कि नंवबर 1983 में लंदन में शाम के दौरान आसमान का रंग अचानक लाल रंग में बदल गया और लोगों ने सोचा कि ये कहीं बड़ी आग लगी है. इसलिए, लोगों ने दमकल वालों को बुला लिया था. इसकी वजह से नॉर्वे में भी ऐसी लाल शाम देखी गई.