रहस्यमयी घटनाएं यानी वो घटनाएं जिनके घटने की सटीक वजह का पता नहीं चल पाता. ये सवाल बनकर इतिहास में दर्ज हो जाती हैं. ऐसी कई घटनाएं विश्व के इतिहास में शामिल हो चुकी हैं, जिनमें वो रहस्यमयी धमाका भी शामिल है जिसने मिनटों में बड़ी तबाही मचा दी थी और जिसकी उर्जा परमाणु बम से कई गुणा ज़्यादा बताई गई. आइये, इस लेख के ज़रिए जानते हैं इस रहस्ययमी धमाके से जुड़ी पूरी कहानी.
113 साल पहले की घटना
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ये रहस्ययमी घटना 30 जून 1908 यानी 113 साल पहले रूस की तुंगुस्का नदी पास घटी थी. ये धमाका इतना बड़ा था कि इसने नदी के पास वाले लगभग 2 हज़ार वर्ग में फैले जंगल क्षेत्र को जला कर राख़ कर दिया था. माना जाता है कि इसमें 8 करोड़ पेड़ जलकर तबाह हो गए थे. इस घटना को ‘तुंगुस्का विस्फोट’ के नाम से जाना गया.
परमाणु बम से ज़्यादा ऊर्जा वाला धमाका
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ये रहस्यमयी धमाका इतना ज़ोरदार था कि इससे धरती कांप उठी थी. माना जाता है कि इस विस्फोट में जापाना के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बस से 185 गुणा ज़्यादा ऊर्जा थी. इससे धरती के अंदर हलचल मच गई थी और कंपन ब्रिटेन तक महसूस किया गया था. वहीं, कई वैज्ञानिकों से इसे और भी ताक़तवर बताया था.
घरों की खिड़किया टूट गई थीं
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कहते हैं कि इस धमाके से जो आग का गोला उठा वो लगभग 50 से 100 मीटर बड़ा था. वहीं, इसका प्रभाव 60 कि.मी दूर मौजूद कस्बों में भी देखा गया. विस्फोट से घरों की खिड़किया टूट गईं थीं और कई लोग उछलकर दूर जा गिरे थे. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया था कि इस धमाके की वजह से आसमान ऐसा लग रहा था कि मानों उसमें आग लग गई हो और वो दो हिस्सों में बंट गया है. प्रत्यक्षदर्शी ने ये भी बताया कि ऐसा लगा कि धरती से कोई बड़ी चीज़ टकराई है. वहीं, उसने ये भी कहा कि धमाके के बाद आसमान से पत्थर भी गिरे व गोलियां चलने जैसी आवाज़ें आईं.
जानवर बन गए थे कंकाल
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कहते हैं कि इस विस्फोट की वजह से जंगल में मौजूद सैकड़ों रेंडियर कंकाल में बदल गए थे. हालांकि, वहां इंसानी आबादी नहीं थी, लेकिन वहां एक गड़रिए की मरने की आधिकारिक पुष्टि की गई थी.
विस्फोट की वजह एक सवाल बन कर रह गई
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इस बड़े धमाके की असल वजह क्या थी इसका आज तक पता नहीं लग पाया है. इस पर विभिन्न तरह के मत प्रस्तुत किए जा चुके हैं. कई लोगों का मानना था कि धरती से कोई उल्कापिंड या धूमकेतु टकराया था. वहीं, इससे जुड़े और भी मत प्रस्तुत किए गए कि तुंगुस्का में एलियंस का कोई विमान टकराया था. हालांकि, इससे जुड़े कोई पुख्ता सुराग़ इलाक़े में नहीं मिले. कहते हैं कि वहां 20 साल बाद भी धमाके के निशान पाए गए थे. इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि विस्फोट कितना प्रभावकारी था.