History of Peshwa Baji Rao Ballal in Hindi: ये बात बिल्कुल सही है कि अगर संजय लीला भंसाली ‘बाजीराव मस्तानी’ फ़िल्म नहीं बनाते, तो शायद देश की एक बड़ी आबादी इस पराक्रमी योद्धा के बारे में जान नहीं पाती. बाजीराव प्रथम (Undefeated Peshwa Bajirao Ballal in Hindi) मराठा साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध पेशवा यानी प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने एक राजा जैसा रुतबा प्राप्त किया था. अपने कार्यकाल के दौरान बाजीराव प्रथम ने मुग़लों को हराया था.
आइये, इस ख़ास लेख में विस्तार से जानते हैं इस वीर योद्धा (History of Peshwa Baji Rao Ballal in Hindi) के बारे में. साथ ही आपको लेख में उस स्थान के बारे में भी बताया जाएगा जहां उन्होंने आख़िरी सांस ली थी.
12 वर्ष की आयु में युद्ध कौशल सीखना शुरू कर दिया था
![Baji Rao I Peshwa of the Maratha Empire](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/11/image-1-1.png?w=679)
History of Peshwa Baji Rao Ballal in Hindi: बाजीराव प्रथम का जन्म 18 अगस्त 1700 में एक चित-पवन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वो पेशवा बालाजी विश्वनाथ राव के सबसे बड़े बेटे थे. कहा जाता है कि मात्र 12 साल की उम्र में उनके पिता उन्हें य़ुद्ध कौशल सिखाने लग गए थे. वो बहुत कम उम्र में ही तलवार बाजी और घुड़सवारी में दक्ष हो गए थे.
मराठा साम्राज्य के एक प्रसिद्ध पेशवा
![Baji Rao I Peshwa of the Maratha Empire](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/11/Bajirao_Peshwa_Statue_Pune.jpg)
Undefeated Peshwa Bajirao Ballal in Hindi: बाजीराव प्रथम मराठा साम्राज्य के एक प्रसिद्ध पेशवा थे, जिन्होंने अपनी मृत्यु तक इस पद की गरिमा बनाई रखी. बाजीराव प्रथम को Bajirao Ballal के नाम से भी जाना था. वो मराठा साम्राज्य के सातवें पेशवा थे.
पेशवा बाजीराव प्रथम (Undefeated Peshwa of Maratha Empire Bajirao Ballal) ने 1720 से अपनी मृत्यु तक पेशवा (प्रधान मंत्री) के रूप में कार्य किया. एक योद्धा के रूप में बाजीराव की क्षमता को सम्राट शाहू महाराज (मराठा साम्राज्य के पांचवें छत्रपति) द्वारा विधिवत मान्यता दी गई थी और इसलिए पिता की मृत्यु के बाद उन्हें ही पेशवा बनाया गया था.
छत्रपति शाहू ने कम उम्र में ही उन्हें पेशवा नियुक्त कर दिया था. राव तब सैनिकों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए थे. वो मुग़लों की कमज़ोरी को पहचान सकते थे और उन्हें देश से बाहर निकालना चाहता थे. बाजी राव के अंतर्गत भारतीय उपमहाद्वीप में मराठा सेना बोलबाला था.
वो योद्धा जिसे कोई हरा नहीं सका
![Baji Rao I Peshwa of the Maratha Empire](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/11/Peshwa_Bajirao_Warrior_New.jpg)
History of Peshwa Baji Rao Ballal in Hindi: पेशवा बाजीराव को अजेय योद्धा या अपराजिता योद्धा के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने अपनी ज़िंदगी में जितने भी युद्ध लड़े उसमें वो कभी नहीं हारे. इसलिए, वो न सिर्फ़ मराठा बल्कि पूरी दुनिया के वीर जनरलों में गिने जाते हैं.
ये भी पढ़ें: इतिहास के वो 10 योद्धा जिन्होंने अलग-अलग लड़ाइयों में मुग़लों को धूल चटाने का काम किया
कैसे हुई बाजीराव प्रथम की मृत्यु?
![Baji Rao I Peshwa of the Maratha Empire](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/11/bajii.jpg?w=1024)
Undefeated Peshwa Bajirao Ballal in Hindi: मध्य प्रदेश राज्य के खरगोन ज़िल के रावेर खेड़ी में बाजीराव प्रथम की समाधि है और यही वो जगह जहां उन्होंने अपनी आख़िरी सांस ली थी. लेकिन, जानकर हैरान होगी कि बाजीराव पेशवा प्रथम की मृत्यु (28 अप्रैल 1740) किसी लड़ाई में नहीं बल्कि बुखार की वजह से उनकी मृत्यु हुई थी.
गहराई से जानें, तो पता चलेगा कि वो मध्य प्रदेश में एक अभियान में गए थे और रावेरखेड़ी में आकर रुके थे. वहां उन्हें तेज़ बुखार ने जकड़ लिया, जो कई दिनों तक बना रहा और गंभीर होता चल गया. बुखार इतना गंभीर हो गया कि वो बाजीराव प्रथम की मृत्यु का कारण बन गया.
![Baji Rao I Peshwa of the Maratha Empire](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/11/bajirao-peshwa_large_1136_23.jpeg?w=1024)
बाजीराव का समाधि स्थल
![Peshwa Bajirao Samadhi](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/11/bajirao-samadhi.jpg?w=1024)
Undefeated Peshwa Bajirao Ballal in Hindi: बाजीराव प्रथम (Undefeated Peshwa of Maratha Empire Bajirao Ballal) की मृत्यु के बाद रावेर खेड़ी में ही उनका समाधि स्थल बनाया गया. ये समाधि स्थल एक क़िले जैसा है जिसके बीच में एक छत्रिनुमा आकृति बनी हुई है. यहां शिवलिंग भी है, जिसके नीचे मौजूद है बाजीराव प्रथम का अस्थि कलश. ये एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसे देखने के लिए पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है.
ये भी पढ़ें: संभाजी महाराज: वो वीर मराठा जिसने उड़ा दी थी औरंगज़ेब की नींद, एक भी युद्ध नहीं हारे