When Nehru Apologized to Shyama Prasad Mukherjee: श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक भारतीय पॉलिटिशियन, बैरिस्टर और एक शिक्षाविद् थे. वहीं, उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया था. हालांकि, बहुतों को इस विषय में जानकारी नहीं होगी कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के मध्य काफ़ी मतभेव था और ये मतभेव तब ज़्यादा बढ़ गया था जब पंडित नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तान प्रधानमंत्री के बीच समझौता हुआ था.


लेकिन, ऐसा क्या हुआ था कि ख़ुद पंडित जवाहर लाल नेहरू को सभी के सामने श्यामा प्रसाद मुखर्जी से माफी मांगनी पड़ गई थी. आइये, इस लेख में आपको बताते हैं इतिहास को ये अनसुना क़िस्सा.    

आइये, अब विस्तार से पढ़ते (When Nehru Apologized to Shyama Prasad Mukherjee) हैं आर्टिकल.   

कम उम्र में बने कुलपति  

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिर्फ़ एक नेता नहीं थे, बल्कि शिक्षा से उनका नज़दीकी जुड़ाव रहा है. उनका जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में हुआ था. वहां उनके पिता का अच्छा नाम था और वो एक बुद्धिजीवी और शिक्षाविद् के रूप में जाने जाते थे. 


श्यामा ने अपना ग्रेजुएशन पूरा कर 1926 में सीनेट ज्वाइन किया था. इसके बाद 1927 में उन्होंने बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की. वहीं, मात्र 33 साल में वो कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बन गए थे. वहीं, चार साल कुलपति रहने के बाद उन्होंने कोलकाता विधानसभा की ओर रुख किया.    

दे दिया था इस्तिफ़ा  

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में कहा जाता है कि वो एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे. वहीं, वो काफ़ी छोटे समय के लिये नेहरू कैबिनेट में मंत्री रहे. इसके बाद उन्होंने इस्तिफ़ा दे दिया था. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मानना था कि वो तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं और इस वजह से उन्होंने पंडित नेहरू पर तुष्टिकरण का आरोप लगाकर इस्तिफ दे दिया था. उनका मानना था कि एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेंगे.  

जालंधर में हुए गिरफ़्तार 

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मानना था कश्मीर जाने के लिए किसी भारतीय को अनुमति न लेनी पड़े. वहीं, वो 8 मई 1953 को बिना अनुमति लिए दिल्ली से कश्मीर चले गए थे. वहीं, 10 मई को उन्होंने कश्मीर में कहा था कि   

हम जम्मू-कश्मीर में बिना अनुमति के जाएं, ये हमारा मूलभूत अधिकार होना चाहिए.

-श्यामा प्रसाद मुखर्जी

11 मई को श्रीनगर जाते वक़्त उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था. उन्हें वहां की जेल में रखा गया और कुछ दिन बाद छोड़ दिया. 

रखी जनसंघ की नींव  

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When Nehru Apologized to Shyama Prasad Mukherjee: जैसा कि हमने ऊपर बताया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नेहरू के बीच तनाव बढ़ गए थे और एक समय ऐसा आया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस्तिफ़ा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने 21 अक्टूबर 1951 में ख़ुद की पार्टी बनाई और नाम रखा जनसंघ. इसके लिए उन्होंने आरएसएस (RSS) के सर-संघचालक गुरु गोलवलकर से परामर्श भी लिया था. वहीं, इसके बाद जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ और पार्टी में बिखराव के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी सामने आई.   

क्यों पंडित नेहरू को मांगनी पड़ी थी माफ़ी?    

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When Nehru Apologized to Shyama Prasad Mukherjee: अब आपको बताते हैं कि आख़िर क्यों पंडित जवाहर लाल नेहरू को श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मांगनी पड़ी थी माफी. दरअसल, हुआ यूं था कि नेहरू-लियाक़त पैक्ट के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पार्टी से इस्तिफ़ा दे दिया था. वहीं, इसके बाद उन्होंने नई पार्टी का गठन किया. वहीं, आम चुनाव के बाद दिल्ली के नगरपालिका चुनाव के माहौल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संसद में कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाते हुए था कि ये पार्टी चुनावी जीत के लिए वाइन और मनी का इस्तेमाल कर रही है. 


लेकिन, इस बीच नेहरू को लगा कि उन्होंने वाइन और वूमन कहा है. इसका उन्होंने खड़े होकर ख़ूब विरोध किया. इसके बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि आप रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिए कि मैंने क्या कहा था. वहीं, जब जवाहरलाल नेहरू को लगा कि उनसे सुनने में ग़लती हो गई है, तो उन्होंने भरे सदन में सबके सामने खड़े होकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी से माफी मांगी थी.  

इसपर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि इसकी कोई ज़रूरत नहीं है, मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि मैं ग़लत बयान नहीं देता.