भारतीय सेना ने साल 2016 में पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) को अंजाम दिया था. दावा किया जाता है कि इस दौरान भारतीय सेना ने क़रीब 70 आतंकियों को मार गिराया था. इस दौरान सबसे ख़ास बात ये रही कि भारतीय सेना’ का कोई भी जवान इस ‘ऑपरेशन’ में शहीद नहीं हुआ. इस ऑपरेशन को अंजाम देने में भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र रामराव निंभोरकर (Rajendra Ramrao Nimbhorkar) ने अहम भूमिका निभाई थी.
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बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र रामराव निंभोरकर साल 2017 में सेना से रिटायर हो गये थे. साल 2018 में पूर्व नगरोटा कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल निंभोरकर को एक कार्यक्रम के दौरान सम्मानित भी किया गया था. इस दौरान उन्होंने भारतीय सेना का एक दिलचस्प वाकया भी सुनाया था.
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दरअसल, भारतीय सेना के लिए सर्जिकल स्ट्राइक एक बड़ा ऑपरेशन था. ऐसे में एक छोटी सी ग़लती भी ऑपरेशन को फेल कर सकती थी. इसलिए ‘भारतीय सेना’ इसके लिए बेहद बारीकी से तैयारी की थी. ऑपरेशन से जुड़ी हर एक चीज़ पहले से ही तय थी. इन्हीं तैयारियों में से एक तेंदुए का पेशाब भी था, जिसने इस ऑपरेशन को सफ़ल बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.
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लेफ्टिनेंट जनरल निंभोरकर ने बताया कि, सीमा के आसपास के जंगलों में हमने देखा है कि तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला करते हैं और इन हमलों से बचने के लिए कुत्ते रात के समय बस्ती में ही रहते हैं. रणनीति बनाते वक्त हमें अच्छे से पता था कि सेना की आहट सुनते ही ये आवारा कुत्ते भौंकना शुरू कर सकते हैं और जवानों पर हमला कर सकते हैं. इससे निपटने के लिए भारतीय सेना अपने साथ ‘तेंदुए का पेशाब’ लेकर गई थी.
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निंबोरकर ने आगे बताया, इस दौरान ‘भारतीय सेना’ जब पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर घुस गई तो प्लान के मुताबिक़ हमने ‘कुत्तों को शांत’ रखने के लिए ‘तेंदुए के पेशाब’ का इस्तेमाल किया. हमने मल-मूत्र गांव के बाहर ही छिड़क दिया, ताकि कुत्ते तेंदुए की आहट से भौंके नहीं और सेना आसानी से सीमा पार कर सके. अगर ऐसा नहीं करते तो गांव के आवारा कुत्ते पूरे ऑपरेशन को मिनट में फेल कर सकते थे.
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इसीलिए ‘भारतीय सेना’ अपने हर सीक्रेट ऑपरेशन के दौरान ‘तेंदुए के मल मूत्र’ का इस्तेमाल करती है.
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बता दें कि ये ऑपरेशन इतना सीक्रेट था कि इसकी जानकारी प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, अजीत डोभाल और आर्मी चीफ़ के अलावा किसी को भी नहीं थी. इस दौरान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सेना को 1 हफ़्ते में ‘ऑपरेशन’ को अंजाम देने के आदेश दिया था. हालांकि, सेना प्रमुख ने ‘ऑपरेशन’ की तैयारी के लिए बिना किसी पूर्व सोचना के जवानों की एक टीम को पहले से ही ख़ास ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी. ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कहां होगी इसके बारे में जवानों को बताया नहीं गया था. सैनिकों को हमले से 1 दिन पहले पता इसके बारे में पता चला था.
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इस हमले के लिए सुबह 3.30 बजे का समय चुना गया था. भारतीय सेना ने आतंकियों के लॉन्च पैड्स और ठिकानों को पहले ही चिह्नित कर लिया था. रणनीति के तहत ‘भारतीय सेना’ ने पैदल ही पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकियों पर हमला बोल दिया था. सेना ने इस हमले में क़रीब 70 आतंकियों को मार गिराया था और उनके लॉन्च पैड्स और ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. हमले को अंजाम देने के बाद ‘भारतीय सेना’ के सभी जवान सुरक्षित लौटे थे.
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