Why Sikkim Native People are Income Tax-Free: भारत के हर एक व्यक्ति को किसी न किसी तरीक़े से डायरेक्ट या इन-डायरेक्ट टैक्स चुकाना पड़ता है. भारतीय आयकर अधिनियम में इसका प्रावधान है. देश हर शख़्स को अपनी एक निश्चित आय पर इनकम टैक्स (Income Tax) चुकाना पड़ता है. ये हमें आय के हिसाब से बने टैक्स स्लैब की दर से चुकाना होता है. इस दौरान जो लोग टैक्स स्लैब अंतर्गत नहीं आते वो इससे बच जाते हैं और उन्हें अपनी कमाई पर किसी भी तरह का प्रमाण भी नहीं देना होता है. लेकिन देश का एक राज्य ऐसा भी है जिसके नागरिकों को चाहे वो टैक्स स्लैब में आते हों या नहीं, उन्हें अपनी आय पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है.
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हम बात कर रहे हैं देश के पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम (Sikkim) की. सिक्किम देश का एकमात्र राज्य है जहां के मूल नागरिकों को अपनी आय पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. आख़िर ऐसा क्यों है? इसके पीछे की वजह दिलचस्प है.
सिक्किम के मूल निवासी क्यों नहीं चुकाते Income Tax
दरअसल, पूर्वोतर के सभी राज्यों को भारतीय संविधान के आर्टिकल 371-F के तहत विशेष राज्य का दर्जा हासिल है. ऐसे में देश के दूसरे हिस्से के लोगों के लिए इन राज्यों में संपत्ति या ज़मीन ख़रीदने पर पाबंदी है. वहीं सिक्किम के मूल निवासियों को आयकर अधिनियम की धारा, 1961 की धारा 10 (26AAA) के तहत इनकम टैक्स से भी छूट हासिल है. यानी राज्य के लोगों को अपनी आमदनी पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है.
आयकर अधिनियम की धारा, 1961 की धारा 10 (26AAA) के तहत ये छूट सिर्फ़ सिक्किम के मूल निवासियों को ही मिलती है. सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फ़ैसले के बाद सिक्किम के क़रीब 95% लोग इस छूट के दायरे में आते हैं. लेकिन पहले ये छूट केवल ‘सिक्किम सब्जेक्ट सर्टिफ़िकेट’ रखने वालों और उनके वंशजों को ही मिलती थी. इन्हें सिक्किम नागरिकता संशोधन आदेश, 1989 के तहत भारतीय नागरिक बनाया गया था. इसलिए सिक्किम में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को भी सिक्किम के मूल निवासी का दर्जा देने के बाद 95 फ़ीसदी आबादी टैक्स के दायरे से बाहर हो गई.
आख़िर मूल निवासियों को ही क्यों मिलती छूट?
साल 1948 में ‘सिक्किम इनकम टैक्स मैनुअल’ जारी किया था. इस दौरान भारत में विलय की शर्तों में सिक्किम के निवासियों को इनकम टैक्स छूट की शर्तें भी शामिल थी. भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 10 (26AAA) के तहत आज भी सिक्किम के मूल निवासियों को आयकर से छूट प्रदान की जाती है.
भारत की स्वतंत्रता से पहले कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने सिक्किम और भूटान को हिमालयी राज्यों के रूप में स्थापित करने के लिए उनके भविष्य पर बातचीत का प्रस्ताव रखा था. फ़रवरी 1948 में इस संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए थे. सन 1950 में ‘भारत-सिक्किम शांति समझौते’ के तहत सिक्किम भारत के संरक्षण में आ गया. लेकिन तब सिक्किम के शासक चोग्याल थे.
आख़िरकार 26 अप्रैल, 1975 को सिक्किम का भारत के साथ पूर्ण विलय हो गया. इसके बाद सिक्किम 16 मई, 1975 को देश का 22 राज्य बना था.
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