Yusuf Meherally : भारत की आज़ादी का इतिहास इतना बड़ा है कि इसमें शामिल सभी छोटी-बड़ी घटनाओं और उनके पीछे मौजूद सभी क्रांतिकारियों और नेताओं के बारे में किसी को पता नहीं होगा. वहीं, इतिहास की किताबों में हमें कुछ ही क्रांतिकारियों के बारे में ज़्यादा पढ़ाया गया है, जबकि कई ऐसे भी हैं जिनके बारे में बहुत कम जानकारी आपको मिलेंगी.
आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं Yusuf Meherally के बारे में
यूसुफ़ मेहर अली
Yusuf Meherally : हम जिस भारत की आज़ादी के सिपाही के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनका नाम है यूसुफ़ मेहर अली. यूसुफ़ मेहर अली का जन्म मुंबई के व्यापारी के घर 3 सितंबर 1903 को हुआ था. उनके दादा भी एक व्यापारी थी, जिन्होंने मुंंबई में एक टेक्सटाइल मिल लगाई थी. हाई स्कूल के दिनों से ही उनमें देशभक्ति की भावना जाग्रत हो गई थी.
पढ़ाई के दौरान ही आंदोलन में शामिल हो गए
देश भक्ति की भावना Yusuf Meherally में इस कदर समा गई कि वो स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करते ही आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो गए. इतिहास और अर्थशास्त्र में बी.ए की पढ़ाई के बाद उन्होंने Government Law College से वक़ालत पढ़ने लगे. जिस वक़्त वो लॉ की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान ‘साइमन कमीशन’ मुंबई आ गया. वो समय था फ़रवरी 1928 का. सात ब्रिटिश संसद सदस्यों का एक समूह यानी साइमन कमीशन संवैधानिक सुधारों का सुझाव देने के लिए भारत आया था, लेकिन उसमें एक भी भारतीय सदस्य नहीं था. इस अनुचित और अपमानजनक निर्णय से भारतीयों में बहुत गुस्सा था.
साइमन कमीशन का विरोध
उसी वर्ष ‘बॉम्बे यूथ लीग’ की स्थापना करने के बाद, मेहर अली ने तुरंत साइमन कमीशन के खिलाफ़ एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. उन्होंने शुरू में समुद्र में ही सदस्यों से मिलने के लिए नावों पर एक अभियान की योजना बनाई थी, लेकिन योजना लीक हो गई और पुलिस ने इसे होने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए.
कभी गिरफ़्तारी से डरे नहीं
1934 में अपनी रिहाई के बाद Yusuf Meherally ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना के लिए जयप्रकाश नारायण, अशोक मेहता, नरेंद्र देव, अच्युत पटवाधन, मीनू मसानी और अन्य के साथ हाथ मिलाया. 1938 में मेक्सिको में होने वाले विश्व सांस्कृतिक सम्मेलन में भाग लेने से पहले, मेहर अली ने न्यूयॉर्क में ‘विश्व युवा कांग्रेस’ में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.
जीता मेयर इलेक्शन
1942 में Yusuf Meherally लाहौर जेल में थे, जब उन्हें बॉम्बे मेयरल्टी (Bombay Mayoralty) के चुनाव के लिए कांग्रेस द्वारा नामित किया गया था. इस नामांकन को व्यक्तिगत रूप से सरदार वल्लभभाई पटेल का समर्थन प्राप्त था. चुनाव में भाग लेने के लिए जेल से रिहा होकर, मेहर अली आराम से जीत भी गए और बॉम्बे के नगर निगम के इतिहास में सबसे कम उम्र के मेयर बने. अपने कार्यकाल के दौरान Yusuf Meherally प्रभावी नागरिक सेवा सुनिश्चित करने के प्रति अपने समर्पण के कारण जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए.
‘भारत छोड़ो’
इस सब के दौरान, वो देश की आज़ादी की लड़ाई में शामिल होते रहे. 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक हुई थी और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की गई थी, जिसमें विफल रहने पर एक बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया जाएगा.
जब मेहर अली को दिल का दौरा पड़ा
जेल में आखिरी कार्यकाल के दौरान मेहर अली को दिल का दौरा पड़ा था. जेल अधिकारियों ने उन्हें विशेष उपचार के लिए सेंट जॉर्ज अस्पताल में सिफ़्ट कर दिया था, लेकिन मेहर अली ने मांग की कि दो अन्य बीमार स्वतंत्रता सेनानियों को भी समान सुविधाएं मिलनी चाहिए. जब अधिकारियों ने इनकार कर दिया, तो उन्होंने जेल में रहने का फैसला किया.