भारतीय दंड संहिता का सेक्शन 377, जिसके अंतर्गत आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध आपराधिक थे, अब आपराधिक नहीं रहेंगे. 6 सिंतबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के जीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा ने ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि Homosexuality या समलैंगिकता अपराध नहीं है.

दीपक मिश्रा के शब्द थे:

‘Take me as I am’

‘मैं जैसा हूं, मुझे वैसा ही स्वीकार करो.’

आदम ज़माने का क़ानून

समलैंगिक संबंध आपराधिक हैं, ये क़ानून आज का नहीं, अंग्रेज़ों के ज़माने का है. 1861 में ये क़ानून अंग्रेज़ों द्वारा बनाया गया था.

कई देशों में समलैंगिकता अपराध नहीं है

दुनिया के कई देशों में समलैंगिकता अपराध नहीं है. आपसी सहमति से समलैंगिक विवाह भी करते हैं.

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कुछ लोगों का मानना है कि भारत में समलैंगिकता कभी थी ही नहीं. कुछ लोगों का ये भी कहना है कि विदेशी संस्कृति को कॉपी करने के चक्कर में कुछ भारतीय समलैंगिक रिश्ते बनाने लगे.

जानकर ताज्जुब होगा कि भारत के लिए नए नहीं है समलैंगिक संबंध, मिसाल के तौर पर ये:

1. वाल्मिकी रामायण में लिखा गया है कि हनुमान ने 2 राक्षस स्त्रियों को चूमते और गले लगाते देखा है.

2. रामायण में ही राजा दिलीप का ज़िक्र मिलता है. राजा दिलीप की दो पत्नियां थी, लेकिन बिना किसी को उत्तराधिकारी घोषित किए ही वो चल बसे. कहानी के अनुसार, भगवान शिव ने दोनों रानियों को सपने में आकर एक-दूसरे के साथ काम संबंध बनाने को कहा. रानियों ने वैसा ही किया और एक रानी गर्भवती हो गई. रानी ने पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम था ‘भगीरथ’, वो राजा जो गंगा को स्वर्ग से धरती पर लेकर आए थे.

3. महाभारत में कई विचित्र किरदारों का ज़िक्र किया गया है. उन्हीं में से एक है शिखंडी. एक ट्रांसजेंडर, जिसने भीष्म को मार गिराया. शिखंडी के पिता द्रुपद ने उसका विवाह एक स्त्री से किया था. जब शिखंडी की पत्नी को इसके बारे में पता चला, तो उसने विरोध किया. इसके बाद शिखंडी को रात में पुरषत्व का वरदान मिला.

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4. मत्स्य पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था. जब भगवान शिव ने मोहिनी को देखा तो उनकी तरफ़ आकर्षित हो गए. उनके मिलन से एक पुत्र का जन्म हुआ, भगवान अयप्पा.

5.खजुराहो की मूर्तियां. खजुराहो में कई समलैंगिक मूर्तियां हैं. यहां नग्न स्त्रियों को आलिंगन की मुद्रा में और पुरुषों के बीच समलैंगिक संबंध दिखाती मूर्तियां हैं.

6. वात्स्यायन की कामसूत्र में भी समलैंगिक संबंधों के बारे में बताया गया है और ये किताब शताब्दियों पहले लिखी गई थी.

7. चाणक्य के ‘अर्थशास्त्र’ में भी समलैंगिक संबंधों के बारे में बताया गया है. हालांकि इसमें ये कहा गया है कि राजा को ऐसे संबंध बनाने वालों को कड़ी सज़ा देनी चाहिए.

8. नारद पुराण में समलैंगिक संबंध बनाने वालों के लिए लिखा गया है कि उन्हें नर्क यातना भोगनी पड़ेगी. इससे ये भी साबित होता है कि उस समय समलैंगिकता थी और ये विदेशों से भारत में नहीं आई है.

पुराणों, शास्त्रों, पुराने मंदिरों की दीवारों हर जगह सुबूत मौजूद हैं कि भारत में काफ़ी पहले से ही समलैंगिकता है. भले ही कई शास्त्रों में ऐसा करने वालों के लिए सज़ा कि मांग की गई है लेकिन इससे एक बात तो साबित हो गई कि समलैंगिकता कोई मानसिक बीमारी या विदेशी संस्कृति की कॉपी करना नहीं है.