हेडफ़ोन का आविष्कार होने के बाद इंसानों के जीवन की कई परेशानियों का अन्त हुआ है. इसने लोगों को उन मुसीबतों से छुटकारा दिलाया है, जो हमेशा से उनके गले का फन्दा बनी हुई थीं. इसे अगर सदी का सबसे महान आविष्कार कहा जाए, तो भी उसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा.

आइए आज हम आपको हेडफ़ोन के कुछ मज़ेदार फ़ायदों के बारे में बताते हैं.
रेल में ऊपर की बर्थ पर सोये हुए को बताना कि कौन सा स्टेशन है.

पहले ट्रेन में सफ़र करते समय टाइमपास का एक मात्र साधन किताबें पढ़ना होता था. जैसे ही मन किताबों में रमता और आप कहानी को एन्जॉय करने लगते, तुरन्त ऊपरी बर्थ पर लेटे सज्जन, पत्रकार बनकर आपसे पूछ लेते ‘अरे भई, अगला स्टेशन कौन सा है?’ लेकिन हेडफ़ोन लगाने के बाद इस समस्या से काफ़ी हद तक छुटकारा मिल गया है. अब बंदा एक बार पूछेगा, दो बार पूछेगा, तीसरी बार ख़ुद ही उतर कर देख लेगा कि गाड़ी कौन से स्टेशन पर खड़ी है.
बस या ट्रेन के सफ़र में जब कोई ब्रह्म ज्ञानी मिल जाए!

बस और ट्रेन में सफ़र करते समय कभी-कभी ऐसे सहयात्री मिल जाते हैं, जो अपने आपको चाणक्य और विदुर का ताऊ मानते हैं. पूरी दुनिया की नीति और ज्ञान का ख़जाना इनके दिमाग़ में भरा होता है. इन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि इनका राजनीतिक और सामाजिक ज्ञान किसी के लिए सिरदर्द बन रहा है, ऐसे लोगों के ज्ञान के प्रकोप से बचने के लिए भी हेडफ़ोन एक अचूक अस्त्र होता है.
मम्मी की खरी-खोटी से बचाता है.

घर में मां अकसर कूलर के में पानी भरने और तीन सीटी के बाद कूकर बंद करने का महत्वपूर्ण काम देती हैं. अगर ग़लती से कभी ये काम करना भूल जाएं, तो हेडफ़ोन मां की चप्पल से तो नहीं, हां उनकी खरी-खोटी से ज़रूर बचा लेता है.
क्लास में प्रोफ़ेसर साहब जब ज़्यादा पकाने लगें.

आधुनिक शिक्षक, ख़ासकर उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाते कम हैं, अपना पीआर ज़्यादा करते हैं. अगर आपको जानकारी न हो, तो ऐसे शिक्षक महोदय ये भी कह देंगे कि आइंस्टीन मुझसे प्राइवेट ट्यूशन लेता था. ऐसे महान शिक्षकों के पीआर से भी हेडफ़ोन बचाने में काफ़ी मदद करता है.
जब आपका रूममेट ‘भेजा फ़्राई’ करने वाला हो!

ये भी एक बड़ी विकट समस्या है, जिससे हेडफ़ोन हमें बचाता है. अगर आप सीधे-साधे प्राणी हैं और आपका रूममेट ‘भेजाफ़्राई’ के लीड एक्टर की तरह मिल गया, तो उसे झेलना काफ़ी मुश्किल हो जाता है, ऐसे में हेडफ़ोन ही एक मात्र ऐसी चीज़ होती है, जो आपको उसके क़हर से बचा सकती है.
पिताजी के बगल में लेटकर, सुन सकते हैं गाने.

हेडफ़ोन उन युवकों के लिए वरदान साबित हुआ, जिन्हें अपने पिताश्री के साथ कमरे में सोना पड़ता था. ऐसे में ये समस्या बनी रहती कि अगर गाने या फ़िल्म की आवाज़ पिताश्री के कानों में पहुंची, तो वे दुर्वासा बन जाएंगे. फिर उनके क्रोध के प्रकोप से कोई नहीं बचा पाएगा. लेकिन हेडफ़ोन ने इस डर को ख़त्म कर दिया. अब बच्चे आराम से अपने पिताजी के बगल वाले बेड पर लेटकर बीबर और हनी सिंह के गानों को सुनते हुए सो सकते हैं.
लेकिन इन सब फ़ायदों के बावजूद गाड़ी चलाते समय हेडफ़ोन का प्रयोग न करें, वरना ये सभी फ़ायदे नुकसान में बदल जाएंगे.