ज़िंदगी में कई बार बेइज़्ज़ती भरी फीलिंग झेल चुका हूं. वो भी ऐसे-ऐसे मौक़ों पर कि न चाहते हुए भी आंखों में ख़ून और ज़ुबान पर गाली उतर आए. मगर क्या कीजिएगा, इज़्ज़त को उतरने-चढ़ने की चीज़ समझकर झेल ले जाता हूं.
मगर आप ज़्यादा खीसें न निपोरिए. काहे कि हम ही नहीं अकेले हैं, जो मारे बेज़्ज़ती के शर्मसार हुए पड़े हैं. ये कांड तो सबसे साथ होता है. वो भी बहुत बार.
ऐसे में आज हम आपसे उन मौक़ों का जिक्र करने जा रहे है, जिसमें इंसान चाहकर भी बेइज़्ज़त होने से बच नहीं पाता.
1. फटे मोज़े पहने हों और आपको जूते उतारने पड़ जाएं
अब भइया रोज़-रोज़ तो नए मोज़े खरीदेंगे नहीं. अलटा-पलटा के काम चलता रहता है. वैसे भी कौन जूते के अंदर आपके फटे मोज़े चेक करेगा. बस यही सोच लोगों के साथ कांड करा देती है. क्योंकि इस दुनिया में कुछ मनहूस ऐसे हैं, जिनके घर में जूते उतारकर दाख़िल होना पड़ता है. बस यहां जूते उतारे और वहां फटे मोज़ों के साथ इज़्ज़त के भी चीथड़े नज़र आते हैं. ऊपर से कहींं सुगंधित मोज़े हुए, फिर तो चार-चांद लगे समझिए.
2. मस्त डांस परफ़ॉर्मेंस के बीच पैंट फ़ट जाए
कुछ लोगों का डांस बात-बात पर निकल जाता है. कभी-कभी ऐसा भावुक हो जाते कि टांगे-वांगे भी फ़र्श पर चीर बैठते. ऐसे ही मौक़ोंं पर जब पैंट चर्र से बोलती है, तब उनकी इज़्ज़त के फटफटाने की आवाज़ लोगों की आंख़ों में सुनी जा सकती है. बाद में उनकी इस फाड़ू परफ़ॉर्मेंस के चर्चे सालों तक सुनाई पड़ते हैं.
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3. कोई सारे दोस्तों से हाथ मिलाए, बस आप रह जाएं
ये तो मतलब बेइज़्ज़ती की इंतिहा होती है. कोई आकर सबसे हाथ मिला रहा है, बस आप ही महरूम रह गए. वो भी तब, जब आप ख़ुद हाथ भी बढ़ाए थे. इससे भी बुरा तब होता है, जब आपको ऐसा करते हुए सबने देख लिया हो. ऐसे वक़्त यही लगता है कि काश ये धरती फटे और हम उसी में इस लौंडे को घुसेड़ दें.
4. जब अंग्रेज़ी में पूछे सवाल का ग़लत जवाब दे बैठें
एक तो वैसे भी हम हिंदी मीडियम वाले अंग्रेज़ी माहौल में कंपकंपाए रहते हैं. ऊपर से कोई भारी-भरकम अंग्रेज़ी सामने से पेल दो, तो और आफ़त. मसलन, कोई पूछे ‘हे डू यू वांट समथिंग?’ और हम ‘यस यस. आई एम डुइंग बीकॉम.’ अब देखो इतने में ही सामने वाला समझ गया कि आपको घंटा अंग्रेज़ी पल्ले नहीं पड़ती, तो वो – ‘ब्रो मेरा मतलब है तुम्हें कुछ चाहिए.’ सच बता रहा हूं ऐसे समय यही लगता है कि बोल दें, ‘हां.. हां.. चाहिए. ज़हर दे मुझे, तेरे मुंह में घुसेड़ना है.’
5. लेना हो तो लो, नहीं तो आगे बढ़ो
आप वाक़ई कोई सामान ख़रीदना चाहते हैं. पैसे भी है. मगर थोड़ा मोलभाव कर रहे हैं. उतने में ही दुकानदार आपको बोल दे कि लेना हो तो लो, नहीं तो आगे बढ़ो. ऐसे वक़्त भाई समझ नहीं आता कि क्या करें. इसको यहीं लेटाकर कोहनी ही कोहनी पेलें, या अपने ही मुंह पर कंटाप दे मारे. हालांकि, आमतौर पर आदमी, सामान और इज़्ज़त दोनों उसी दुकान पर छोड़कर आगे बढ़ जाता है.
6. बर्थडे पार्टी में आप केक खाने को मुंह खोलें और वो किसी दूसरे को खिला दे
कुछ लोग दूसरे के बर्थडे पर ऐसा ख़ुश होते हैं कि जैसे वो शख़्स इन्हीं के लिए धरती पर अवतरित हुआ है. केक कटा नहीं कि मुंह फाड़कर आगे खड़े हो गए. मगर ख़लती तब है, जब वो केक किसी दूसरे को खिला दे. आसपास खड़े लोगों की आंख़ें यही कहती सुनाई पड़ती हैं. करवा ली बेज़्ज़ती, आ गया स्वाद?
7. जिसे डांस न आता हो और आप उसे जबरन स्टेज पर खींच ले
आप स्टेज पर एकदम नागिन टाइप नचनिया बने लोटे पड़े हैं और इत्ते में ही आप किसी दूसरे को भी खींच लें. वो भी उसे जिसे डांस न आता है और न ही पसंद है. ऐसे में वो आपको चार गालियां देकर स्टेज से उतर आए, तो भइया बेज़्ज़ती की वो फ़ीलिंग आती है कि कान गर्म हो जाते. फिर डांस तो छोड़िए पार्टी में खड़े रहना भी मुश्किल हो जाता है.
8. नवरात्रि में कन्याओं के बीच लंगूर बनकर बैठना पड़े
इतिहास गवाह है कि जो लौंडा नवरात्रि में लंगूर बना है, उसकी मोहल्ले में किसी भी लड़की के साथ सेटिंग नहीं हो सकी. काहे कि आप जब भी अपना हाल-ए-दिल बयां करने जाते हैं, सामने से लड़की बोल देती. ए तुम सुनारन के छोटे वाले लड़के हो न, वो ही जो मिश्राइन आंटी के यहां लंगूर बने थे. ऊपर से घर वालों को अगर मना कर दो. तो हाए, माता रानी के काम में मना कर रहा. बेशर्म, पाप लगेगा. अब कैसे बताएं घरवालों को कि लौंडा कबसे पाप ही करने को तरसा बैठा है.
9. जिस दोस्त की बुराई कर रहे हो वो अचानक से आकर सुन ले.
जब से कॉन्फ़्रेंस कॉल का बवाल चला है, तब से ये भसड़ ज़्यादा हो गई है. कई बार हम फ़ोन पर किसी की बुराई हौके रहते हैं, इत्ते में ही सामने वाला दूसरे शख़्स को भी कॉल पर ले लेता है. यक़ीन मानिए ऐसे मौक़े पर सिर्फ़ बेज़्ज़ती ही नहीं ठुकाई भी होती है.
10. नहाने के बाद भी कोई कह दे, जाओ नहा लो फिर जाना.
हम जैसे कुछ लोग हैं, जो भले रिन साबुन से रगड़कर नहा लें, फिर भी नहाए नहीं लगते. मतलब फ़ेयर एंड लवली भी हमारे गुप्पा जैसे मुंह पर निखार न ला पाती है. ऐसे में हमें बेज़्ज़ती का डोस घर पर ही तब मिलता है, जब माता जी बोलें, बेटा नहा लो फिर जाना काम पर.
11. जब हमारा जोक हमें ही जोक बना दे.
12. जब ऑनलाइन मीटिंग में कोई अतरंगी कांड हो जाए.
ये बवाल आजकल बहुत चल रहा है. किसी साजन को उसकी सजनी ऑन वीडियो चूमे डाल रही तो कोई बच्चा अपनी टीचर की सुंदरता वर्णन किए पड़ा है. ऐसे अवसरों पर सिवाए ख़ुद को कोसने का आपके पास कोई चारा नहीं बचता. हद तो तब होती है, जब आपको पता ही न हो कि ऑडियो ओपेन हो, और आप अपनी ही लंतरानी पेलने में बिज़ी हों. कसम ख़ुदा की उस वक़्त चुल्लू भर पानी भी ढूंढे न मिलता है.
तो जनाब ये थी हमारी नज़र. अगर आपने भी ऐसे मौक़े झेलें हैं या किसी को झेलते देखा हो, तो हमसे शेयर करें. नज़र और नज़रिए दोनों का स्वागत है.