12 अक्टूबर 1891 को पटियाला के मोती बाग में जन्मे भुपिंदर सिंह, महराजा राजेन्द्र सिंह के पुत्र थे. वर्ष 1900 में पिता की मौत के बाद भुपिंदर सिंह को राज्य का दायित्व मिला, जिसे वर्ष 1909 में औपचारिक तौर पर भुपिंदर सिंह ने संभाला। छोटी उम्र से ही राजा काफी रंगीन शौक रखते थे.
1. निर्वस्त्र होकर अपने लिंग से बुरी आत्माओं को भगाते थे
‘फ्रीडम ऑफ़ मिडनाइट’ में लिखा है कि राजा अक्सर अपनी प्रजा को निर्वस्त्र होकर संबोधित करते थे. नंग्न राजा का स्वागत काफी जोश और उल्लास के साथ होता था. छाति पर सिर्फ हीरों का ब्रेस्टप्लेट पहन कर राजा अपने लिंग से बुरी आत्माओं को भगाने का दावा करते थे.
2. सामूहिक सेक्स का शौक
राजा की सेक्स की भूख अतुल्य थी. जवानी में सेक्स के शौक के चलते उनकी रुचि खेल के प्रति कम होती दिखाई पड़ी. गर्मियों में अपने स्वीमिंग पूल में राजा नग्न महिलाओं और मदिरा के साथ अय्याशी करते थे. राजा फ्रेन्च ब्यूटीशियन, भारतीय प्लास्टिक सर्जन, सोनार, परफ्यूमर और फैशन डिज़ाइनर के साथ मिलकर अपनी रखैलों को अपनी पसंद के हिसाब से तैयार करवाता था. दिवान जरमानी दास की किताब ‘महराजा’ में राजा के बारे में लिखा है कि लगभग 150—400 पुरुष और महिलाओं के साथ अय्याशी करता था जिसमें नग्न औरतों के सीने पर मदिरा उडेल कर मदिरा सेवन और उसके बाद सामूहिक सेक्स होता था.
3. एयरप्लेन, रोल्स रॉयस और भुपिंदर सिंह
राजकीय ठाठ की अलग की परिभाषा थी राजा के लिए. वह भारत में एयरप्लेन खरीदने और अपने राज्य में रनवे बनाने वाले पहले व्यक्ति थे. भुपिंदर सिंह के पास 44 रोल्स रॉयस थी जिनमें से 20 रोल्स रॉयस का काफिला रोजमर्रा में सिर्फ राज्य के दौरे के लिए इस्तेमाल होती थीं.
4. हिटलर और राजा की दोस्ती
1935 में बर्लिन दौरे के वक्त भुपिंदर सिंह की मुलाकात हिटलर से हुई. कहा जाता है कि राजा से हिटलर इतने प्रभावित हो गए कि उसने अपनी माय्बैक कार राजा की तोहफे में दे दी.
5. रणजी ट्रॉफी की शुरुआत
भुपिंदर सिंह के पिता महराजा राजेंद्र सिंह ने खेल को काफी बढ़ावा दिया, विश्व की सबसे ऊंची क्रिकेट पिच चैल में बनवाई. 1911 में भुपिंदर सिंह की कप्तानी में ब्रिटेन में टीम ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. क्रिकेट के क्षेत्र में रणजी ट्रॉफी की शुरुआत करने वाले भी भुपिंदर सिंह ही थे. इसके अलावा राजा को पोलो में भी काफी पदक जीते.
6. तीन साल तक बनता रहा 2930 हीरों का हार
वर्ष 1929 में राजा की ठाठ का एक और उदाहरण सामने आया जब उन्होंने कीमती नग, हीरों और आभूषणों से भरा संदूक पेरिस के जौहरी को भेजा। लगभग 3 साल की कारीगरी के बाद तैयार हुए इस हार ने खूब चर्चा बटोरी. 25 मिलियन डॉलर की कीमत वाला यह हार देश के सबसे महंगे आभूषणों में से एक है.