ज़िंदगी एक ऐसे फ़लसफ़े का नाम है, जो हर वक़्त कुछ न कुछ ऐसा सिखाती है, जो हमारे लिए बड़ा सबक बन जाता है. इस सबक को यदि हम गंभीरता से लें, तो शायद हमें ज़िंदगी जीने का एक सकारत्मक बहाना मिल जाए. आज ज़िंदगी की किताब से हम कुछ ऐसे ही Chapter ले कर आये हैं, जिन पर यदि हम अमल करें, तो शायद कभी पीछे मुड़ कर न पड़े.
धोखा
कहने को धोखा देना और खाना दोनों ही ग़लत है, पर धोखे को यदि सकारत्मकता से लें, तो ये भी काफ़ी कुछ सिखा जाता है. धोखा हमें सिखलाता है कि अपनी ग़लती को दोबारा न दोहरायें.
हार
हार किसी को पसंद नहीं, पर यही हार आपकी सफ़लता की पहली निशानी है, जिसे पाने के लिए दोगुनी ताक़त के साथ मेहनत करते हैं.
वक़्त
कहते हैं कि वक़्त अपने आप ही इंसान को सिखा देता है. ये ख़ुद उसमें इतनी समझ पैदा करता है कि वो धीरे-धीरे परिपक्व होता जाता है.
ईर्ष्या
बचपन से हमें सिखाया गया है कि ईर्ष्या बुरी बात है, पर आप ईर्ष्या में भी अपने लिए प्रतिष्पर्धा का मार्ग ढूंढ सकते हैं. बस आपको इतना हमेशा याद रखना है कि प्रतिष्पर्धा के चक्कर में आप कहीं किसी का नुकसान न करें.
संदेह
अगर आप संदेह करते हैं, तो ये अच्छी बात है. हालांकि ये संदेह उस समय एक बड़ी ग़लती बन जाता है, जब आप उसे दूर करने की कोशिश नहीं करते. असल में संदेह आपके अंदर जानने की उत्सुकता को पैदा करता है इसलिए चीज़ों को समझिये और संदेह को दूर करिये.
अकेलापन
कई लोग अकेलेपन को किसी बीमारी की तरह देखते हैं, पर सही मायने में अकेलापन ही आपको कुछ ऐसा वक़्त देता है, जिसमें आप ख़ुद के बारे में कुछ सोच सकते हैं. इसी वक़्त में आप अपने सुनहरे भविष्य के लिए योजना बना सकते हैं.
ख़ामी (Imperfection)
हर किसी को पूर्ण होना पसंद है, पर किसी शख़्स को पूरा उसकी ख़ामियां करती हैं, जो आपके अंदर की कमी को दर्शाती हैं.
बीमारी
किसी भी बीमारी के समय आप स्वास्थ्य की अहमियत समझ जाते हैं. इसके बाद हमेशा आपकी कोशिश रहती है कि आप ग़लती से भी बीमार न पड़ें.
बदलाव
बदलाव आपको बताता है कि कुछ भी स्थिर नहीं है, इसलिए कल की तैयारी आज से ही शुरू कर दें.