किताबों में क्या है? कुछ लोगों के लिए दुनिया तो कुछ लोगों के लिए निंदिया रानी लाने का ज़रिया. कुछ लोगों के लिए किताबों के बिना दिन गुज़ारना मुश्किल होता है वहीं कुछ लोगों को स्कूल की मार भी किताबों के पास नहीं ले जा पाती. पर आप चाहें या चाहें पर किताबें तो पढ़नी ही पड़ती है. आप माने या ना माने, पर बिना किताबों के आपकी नैया पार नहीं लग सकती. इसीलिये शायद रो-रो कर ही सही, पर नापसंद करने वाले भी किताबें पढ़ते ही थे.

सारी किताबें Boring नहीं होती. कुछ किताबों में ज़िन्दगी जीने के तरीके लिखे होते हैं, वहीं कुछ की कहानी और पात्र इतने Appealing होते हैं कि आपको सच्चा वाला इश्क हो जाए.

आज हम आपको बताएंगे ऐसी 10 किताबों के बारे में जिन्हें पढ़कर एक किताबों से भागने वाले को भी किताबों से इश्क हो जाएगा. अब ये मत पूछना कि इनमें कितने Pages हैं.

1. Kite Runner- Khaled Hosseini

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अफ़गानिस्तान के बारे में जानना हो तो ये किताब ज़रूर पढ़े. Khaled ने दो दोस्तों की कहानी में अफ़गानिस्तान के हालातों को बहुत अलग तरीके से पेश किया है. इस किताब से आप ज़रा दुखी हो सकते हैं, क्योंकि इन दोनों बच्चों की ज़िन्दगियां बहुत सारी मुश्किलों से भरी हुई हैं. रूह कंपा देने वाली बहुत सी हक़ीक़तों से भी आपका सामना हो सकता है.

अगर आपको ये किताब पसंद आए, तो Khaled की और दो किताबें, Thousand Splendid Suns, And The Mountains Echoed भी ज़रूर पढ़ें.

2. Lolita- Vladimir Nabokov

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आजकल एक सीरियल सब की आंखों की किरकिरी बना हुआ है, सीरियल में एक 18 साल की लड़की एक 10 साल के बच्चे से शादी कर लेती है. Lolita की कहानी ऐसी ही है, पर इससे उल्टी. 1955 में आई ये किताब आज के लिए भी बेहद Controversial है. इसमें 40 साल के एक व्यक्ति को 12 साल की लड़की से प्रेम हो जाता है. यही नहीं ये 40 साल का व्यक्ति उस लड़की के साथ Sexual Relations भी बनाता है. किताब बेहतरीन है, पर Socially Acceptable नहीं है. बहुत से देशों में इस पर पाबंदी भी लगी हुई है.

3. दो गज़ ज़मीन- अब्दुस्समद

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Partition को लेकर कई किताबें लिखी गईं, ये भी उन्हीं में से एक है. ये किताब 1970 की घटनाओं पर आधारित है. विभाजन के बाद एक मुस्लिम परिवार के साथ हो रही ज़्यादतियों के बारे में है ये किताब. कथा का नायक अंत में इसी निष्कर्ष पर पहुंचता है कि सब बातें बेकार हैं, हक़ीक़त है तो बस ‘दो गज़ ज़मीन’.

4. Interpreter of Maladies- Jhumpa Lahiri

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9 Short Stories की ये किताब, कई पहलुओं पर बात करती है. हर कहानी आपके मन में बहुत से प्रश्न छोड़कर जाएगी. अमेरिका में संघर्ष कर रहे भारतीयों के जीवन पर आधारित हैं ये कहानियां.

5. Untouchable- Mulk Raj Anand

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एक अछूत के ज़िन्दगी के 24 घंटों को अगर किसी ने बहुत अच्छे से बयां किया है तो वो मुल्क राज आनंद ने किया है. हमारे देश में दलितों और अछूतों के साथ हो रहे बुरे व्यवहार को करीब से जानने के लिए ज़रूर पढ़ें इसे. आरक्षण दिए जाने के बावजूद बहुत से दलित और नीची जाति वालों की ज़िन्दगी मुश्किलों से भरी है.

6. आपका बंटी- मन्नू भंडारी

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Child Psychology पर आधारित ये किताब में आपको बहुत सारा अपनापन मिलेगा. तलाकशुदा माता-पिता के बच्चे पर क्या गुज़रती है, वो बच्चा किन हालातों में बड़ा होता है, इन सब को बंटी के नज़रिए से देख सकते हैं. आप बंटी जैसे बच्चों के लिए सहानुभूति महसूस करेंगे.

7. मंटो की कहानियां- सआदत हसन मंटो

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मंटो… बस नाम ही काफ़ी है. मंटो का नाम, बदनाम होकर हुआ. Social Animals को उनकी असलियत दिखाई मंटो ने. समाज के उन पहलुओं पर बात की जिस पर बात करना असभ्यता समझा जाता है. मंटो की विभाजन की कहानियां हों या सामाजिक बुराईयों की, हर कहानी आपको आपके समाज की हक़ीक़त से रूबरू करवाएगी और आपको उनकी किताबों से दूर करना भी मुश्किल हो सकता है.

8. Eleven Minutes- Paulo Coehlo

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एक आम लड़की के वेश्या बनने और उसके बाद के जीवन की कहानी है इस किताब में. ब्राज़ील के लेखक Paulo Coehlo ने कई किताबें लिखी है. ये किताब समाज के उस वर्ग के बारे में है जिसे लोग निकृष्ट मानते हैं.

ये किताब पढ़ने के बाद आप Paulo Coehlo की बाकी किताबें पढ़ने से ख़ुद को नहीं रोक पाएंगे.

9. Oliver Twist- Charles Dickens

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Workhouse में जन्मे एक अनाथ बच्चे की कहानी. किस तरह से Oliver चोर और ख़ूनियों के एक गिरोह के चंगुल में फंस जाता है और चोरी करने पर मजबूर हो जाता है. किस तरह से तमाम मुसीबतों से लड़कर वो एक आम ज़िन्दगी जीने लगता है. ये सब पढ़ कर आपको ऐसा ही लगेगा, मानो आप ये सब अपने सामने देख रहे हों. ये 18वीं शताब्दी के इंग्लैंड की कहानी है, पर Oliver के जैसे न जाने कितने ही बच्चे हैं इस दुनिया में.

10. प्रथम प्रतिश्रुति- आशापूर्णा देवी

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घर की चारदीवारी में क़ैद भारतीय स्त्रियों के जीवन की ये कहानी, आपको अंत तक बांधकर रखेगी. 8 साल की उम्र में ही ब्याह दी गई सत्यवती की कहानी, जो पढ़ना चाहती है और दूसरे औरतों से अलग ज़िन्दगी जीना चाहती है. ये किताब आपको हंसाएगी, रूलाएगी, पर आपको अंत तक बांधकर रहेगी.

तो शुरू कर दीजिए किताबें पढ़ना, इनमें से किसी एक किताब से.