कामसूत्र… बहुत से लोगों के दिमाग में ये शब्द सुनते ही एक ही बात आती है, ‘सेक्स की किताब’. कुछ लोग तो यहां तक तर्क देने लगते हैं कि एक ऋषि जिसने संसार की मोह-माया त्याग दी हो, उसने काम जैसे विषय पर किताब कैसे लिखी? वहीं कुछ ऐसे भी महानुभाव हैं जो इस किताब को सिर्फ़ एक भ्रम मानते हैं.
पूरी दुनिया में हमने ये मुनादी तो करवा दी कि भारत मॉर्डन बन गया है और आधुनिकता की तरफ़ बढ़ रहा है, पर ‘कामसूत्र’ शब्द को आज भी हम धीरे से बोलते हैं. बहुत से लोगों को तो ये भी लगता है कि ये किताब इतिहास की बात है और आज के संदर्भ में प्रेम की इस किताब का कोई मतलब नहीं है. काम शब्द, सेक्स शब्द से कहीं ज़्यादा गंभीर है. ख़ैर इस शब्द की गंभीरता को समझने के लिए इस विषय पर बात करनी होगी और हम तो कामसूत्र शब्द ही बोलने में हिचकिचाते हैं.
10 Facts जिससे कामसूत्र से जुड़ी आपकी कुछ गहतफ़हमियां दूर हो जाएंगी.
1.
कामसूत्र में मनुष्यों के काम व्यवहार के बारे में लिखा गया है. वात्स्यायन ने वैदिक काल में इसे लिखा था, पर कुछ इतिहासकार कामसूत्र की उत्पत्ति को विश्व की उत्पत्ति से भी जोड़ते हैं.
2.
जी सही पढ़ा आपने. कामसूत्र कामेच्छा से जुड़ी किताब है, पर उसमें दर्शन से भी जुड़ी बातें लिखी हैं. सुनी-सुनाई बातों को ही लपेटना आदत है बहुत से लोगों की, कभी किताब खोल कर पढ़ने की ज़हमत भी उठाइए.
3.
ऋषि वात्स्यायन ने अलग-अलग ज्ञानियों की किताबों का संकलन कर इस पुस्तक की रचना की थी. 7 भागों में विभक्त ये किताब, दत्तक, सुवर्णानाभ, घोताकामुख, गोनार्दिय, गोनिकापुत्र, चारण्य और कुचुमार के लेखन से प्रभावित है.
4.
काम, अर्थ, धर्म, मोक्ष नाम तो सुना ही होगा आपने. संस्कृति का हवाला देने वाले, काम शब्द से इतने असहज क्यों हो जाते हैं, इसका जवाब तो शायद उनके पास भी नहीं होगा.
5.
बुद्ध के अथ्थाकावग्गा सूत्र में कामसूत्र के जैसे ही उपदेश हैं. पर बुद्ध का ये सूत्र कामसूत्र से थोड़ा भिन्न है, क्योंकि इसमें सिर्फ़ काम की खोज में रहने वाले मनुष्यों पर आने वाले संकट की भी बात कही गई है.
6.
कामसूत्र का पहला अंग्रेज़ी अनुवाद, सन् 1883 में किया गया था. Sir Richard Francis Burton ने इस अनुवाद को छपवाया था.
7.
कामसूत्र को 7 भागों में बांटा गया है, जिसमें 36 चैप्टर हैं और 1250 सूत्र हैं.
8.
वात्सयायन ने यौवन के दौरान ही कामेच्छा को पूरा करने की हिदायत दी है. बढ़ती उम्र के साथ, मोक्षप्राप्ति पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया है.
9.
कामसूत्र पुस्तक में काम के अति इच्छा से होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया गया है. जब दो प्रेमी, काम-क्रिया में चरम पर होते हैं, तो बहुत सारी ऊर्जा पैदा होती है. ध्यान न देने पर प्रेमी-जोड़े का इन्द्रियों पर से नियंत्रण हट सकता है. ये जीवन के लिए सही नहीं है.
10.
कामसूत्र और तांत्रिक सेक्स दोनों बहुत अलग हैं. तंत्र विद्या में सेक्स का तो कोई स्थान ही नहीं है.
आशा है अब सेक्स और कामसूत्र के बीच का फ़र्क कुछ तो क्लियर हुआ होगा.