वक़्त क्या है, गुज़रता है गुज़र जाएगा. गुज़रते वक़्त को कोई नहीं रोक सकता न ही गुज़रे हुए वक़्त को कोई वापस ला सकता है.
इतिहास में ऐसी कई घटनाएं घटी हैं, जिनके बारे में जब भी पढ़ते हैं तो एक बार ये बात दिमाग़ में ज़रूर आती है कि कितना अच्छा होता अगर हम उन्हें करीब से देख पाते? चाहे वो आज़ादी की लड़ाई हो या फिर धरती का सृजन.
हमने अपने सहकर्मियों से पूछा कि वो कौन सी ऐतिहासिक घटना है जिसका वो साक्षी बनना चाहेंगे, जवाब बेहद दिलचस्प मिले-
1. ताजमहल की संरचना/निर्माण
दुनिया के 7 अजूबों में से एक, ताजमहल. जिसकी ख़ूबसूरती की जितनी तारीफ़ की जाए कम है. मोहब्बत की निशानी, ताज को शाहजहां ने अपनी बेग़म मुमताज़ के लिए बनवाया था. आज भी दूर-दूर से लाखों लोग इसकी दीदार करने आते हैं.
2. देश की आज़ादी का पल
200 साल की ग़ुलामी के बाद 15 अगस्त, 1947 को हिन्दुस्तान को अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता मिली थी. ये एक ऐसा क्षण है जिसे लगभग हर भारतीय देखना ही चाहता होगा.
3. दांडी मार्च देखना
नमक का क़ानून तोड़ने के लिए गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक शांतिपूर्ण मार्च किया था. 12 मार्च 1930 को ये मार्च शुरू हुआ था और 6 अप्रैल को गांधी जी दांडी पहुंचे थे.
4. सृष्टि का सृजन
ये एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब अब तक हमें ढंग से नहीं मिल पाया है. कुछ लोग इसके पीछे वैज्ञानिक कारण बताते हैं, वहीं कुछ लोग दैविक. पर असल में क्या हुआ होगा, ये सामने से देखना कितना ज़्यादा दिलचस्प होगा…
5. एलोरा के कैलाश मंदिर की संरचना
एलोरा की गुफ़ाओं में है कैलाश मंदिर. आमतौर पर किसी भी इमारत की संरचना के लिए सबसे पहले उसकी नींव रखी जाती है. पर इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे ऊपर से नीचे की तरफ़ तराशा गया है, यानि कि पहले छत और सबसे आख़िर में नींव. पर असल में क्या हुआ था ये जानने के लिए वक़्त में पीछे जाना होगा.
6. नेताजी के आख़िरी पलों का सच
नेताजी की मृत्यु कैसे हुई, ये इंसानों के इतिहास का सबसे रहस्यमयी प्रश्न है. कुछ लोग मानते हैं कि प्लेन क्रैश में ही नेताजी की मृत्यु हो गई थी. पर समय-समय पर कई अन्य परिकल्पनाएं सामने आईं हैं. कभी नेताजी को हिमालय की गुफ़ाओं में वास करने वाला सन्यासी बताया गया तो कभी इलाहाबाद के निकट कुटिया बनाकर रहने वाला एक साधु. हक़ीक़त किसी को नहीं पता. पर असल में क्या हुआ ये हम करीब से जानना चाहेंगे.
7. कुलधरा की हक़ीक़त
रातों-रात गायब हो गया पलिवाल ब्राह्मणों का एक बसा-बसाया गांव. कारण? एक कहानी के अनुसार, राजा के मंत्री, सलीम सिंह की उस गांव की एक लड़की पर बुरी नज़र थी. गांव की बेटी को सलीम सिंह के हवाले करना सभी को नामंज़ूर था, इसलिये रातों-रात गांववालों ने बसा-बसाया गांव छोड़ दिए. एक अन्य तथ्य की मानें तो पानी की कमी के कारण सबने ये गांव छोड़ दिया. 2017 में एक नया तथ्य सामने आया, इसमें गांव के उजड़ने का कारण भूकंप को बताया गया.
पर हक़ीक़त क्या है, ये ज़रूर पता करना चाहेंगे हम.
8. HSRA की गतिविधियों को क़रीब से देखना चाहेंगे
भगत सिंह और साथियों की पार्टी, हिन्दुस्तान सोशियलिस्ट रिपब्लिकन एसोशियन. भारत की आज़ादी की लड़ाई को अलग दिशा दी थी उन युवाओं ने. उनकी गतिविधियां के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, पढ़ा गया है. पर उन्हें अपने सामने देखने का अलग एहसास होगा.
9. गौतम को बुद्ध बनते देखना
कैसे तप और एक कन्या के हाथों की खीर खाकर गौतम, बुद्ध बन गए. ये सामने से देखना बहुत दिलचस्प और ज़रूरी भी है, क्योंकि आज आलम ये है कि हम एक काम पर ध्यान नहीं लगा पाते.
10. Hiuen Tsang की पैदल यात्रा
7वीं शताब्दी में Hiuen Tsang पैदल ही भारत आए थे. चीन से भारत वो पैदल ही आए थे. बौद्ध भिक्षु Hiuen की इस यात्रा का साक्षी बनना भी काफ़ी दिलचस्प होगा.
अगर आपकी भी हो कोई ऐसी इच्छा हो तो हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बतायें.