बहुत कम लोग होते हैं जो अपने सपनों तक पहुंचने के लिए किसी भी हद को पार कर जाते हैं. ‘नौकरी है यार, क्या ही करें’ तो हम सब कहते हैं लेकिन वो एक सपना जो हमारी आंखों में हमेशा से रहता है उसे पूरा करने के लिए आरामदायक जीवनशैली को बाय-बाय सब नहीं बोल पाते.
1. सबिता राजेंद्रन और Julius Rego

2011 में सबिता ने अपनी एडवर्टाइज़िंग की नौकरी छोड़ी और Julius ने फ़र्नीचर डीलरशिप की. ये दोनों किटनाशक वाली फल-सब्ज़ियां खाकर तंग आ गये थे. 2012 में इन दोनों ने मात्र 20,000 रुपये से Green Souls की शुरुआत की. सबिता और Julius फल और सब्ज़ियों के अलावा औषधीय फूल और पौधे भी उगाते हैं, जिन्हें Tata Memorial Hospital में दान कर दिया जाता है.
2. गौरव और निक्की चौधरी (Tree Farming Couple)

गौरव और निक्की को ये महसूस हुआ कि उन्हें सुकून कोरोपरेट नौकरी में नहीं बल्कि Agroforestry में मिलेगा. ये कपल उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में Eucalyptus और अन्य पेड़ लगाता है. दोनों मिलकर Progressive Dairy Farmers Association भी चलाते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस जोड़े का मानना है कि ज़रा सी बुद्धि और अच्छी प्लानिंग से खेती में सफ़लता पाई जा सकती है.
3. संतोष सिंह

संतोष IT में काम करते थे. लगभग एक दशक काम करने के बाद संतोष का इस इंडस्ट्री से मन उचट गया और संतोष ने 2 साल का Sabbatical लिया. संतोष के दो भाई, राजेश और सतीश भी उसके साथ आ गये. इन तीनों ने बेंगलुरू से 40 किलोमीटर दूर, हालेनाहल्ली में अपने पुरखों क ज़मीन पर सिर्फ़ 3 गायों के साथ अम्रुथा डेयरी फ़ार्म्स की स्थापना की. कुछ वक़्त बाद उनकी डेयरी पर 100 गायों की जगह बन गई और उन्हें NABARD का भी समर्थन मिला.
4. संकल्प शर्मा

संकल्प ने B.Tech (Mechanical Engineering) और MBA किया हुआ है. समाज के लिए कुछ करने की इच्छा के साथ उन्होंने 2015 में नौकरी छोड़ दी. संकल्प ने भी खेती का रुख किया. एक रिपोर्ट के अनुसार, किताबों और अलग-अलग वेबसाइट्स से जानकारी जुटाकर, संकल्प ने Zero Budget Farming विधि का इस्तेमाल कर 10 एकड़ ज़मीन पर खेती शुरू की.
5. जूली करियप्पा और विवेक करियप्पा

जूली और विवेक की एक्सपोर्ट कंपनी में अच्छी नौकरी थी. इस कपल ने नौकरी छोड़ मैसूर के पास 13 एकड़ ज़मीन ली. एक रिपोर्ट के अनुसार उन्हें खेती की कोई जानकारी नहीं थी और आज न सिर्फ़ उनके पास बहुत सारी ज़मीन है बल्कि मवेशी भी हैं.
6. नीरज ढांडा

किसान परिवार में पैदा हुए नीरज ने इंजीनियरिंग की और डेवेलपर की नौकरी करने लगे. लैपटॉप के सामने घंटों बैठे नीरज को घर की याद सताती थी. नीरज ने अमरूद की एक वैराइटी की खेती करने का निर्णय लिया, जिसकी शहरों में भी काफ़ी मांग है. ख़र्च और मेहनत के बारे में सोचे बिना नीरज ने 7 एकड़ ज़मीन पर नीरज ने 1900 अमरूद के पौधे लगाए. एक रिपोर्ट के मुताबिक, नीरज की मेहनत रंग लाई और आज उनके एक पेड़ से 50-50 किलो अमरूद होते हैं.
7. वल्लारी चंद्राकर

27 साल की वल्लारी बतौर M.Tech प्रोफ़ेसर काम करती थी. वल्लारी ने छत्तीसगढ़ में 27 एकड़ की अपनी ज़मीन पर सब्ज़ियां उगाना शुरू कर दिया. वल्लारी की सब्ज़ियों को दुबई और इज़रायल जैसे देशों को Export किया जाता है. वल्लारी ने इंटरनेट से खेती के नए तरीके सीखे और समय-समय पर वो भी किसानों के लिए वर्कशॉप करवाती हैं
8. हरीश धनदेव

आरामदायक सरकारी नौकरी छोड़कर, हरीश ने खेती चुना. ताज्जुब की बात है कि हरीश एलोवेरा की खेती करके लाखों कमा रहे हैं. हरीश के एलोवेरा की वैराइटी की मांग सिर्फ़ पतंजलि में ही नहीं है, बल्कि ब्राज़ील, हॉन्ग कॉन्ग जैसे देशों से भी उनके पास ऑर्डर आते हैं.
9. हेमल पटेल

कॉर्पोरेट नौकरी ने हेमल को एक बक्से में क़ैद कर दिया था. विकेंड ट्रिप्स में गांव-गांव घूम-घूमकर हेमल को भी खेती करने की प्रेरणा मिली. 2014 में उन्होंने Urban Soil की स्थापना की और ऑर्गैनिक फ़ार्मिंग करने लगे. हेमले ऑर्गनेनिक फ़ार्मिंग के बारे में वर्कशॉप भी करवाते हैं.
10. सुरेश बाबू

सुरेश ने कोयंबटूर से इंजीनियरिंग के बाद आगे की पढ़ाई Universtiy of Australia से की. सुरेश को वहीं नौकरी भी मिल गई. सुरेश में पैसे कमाने की इतनी प्रबल इच्छा थी कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की ही नागरिकता ले ली. सब कुछ होने के बाद भी सुरेश की ज़िन्दगी से सुकून ग़ायब था. सुरेश घर लौट आए, पिता के पास 9.5 एकड़ ज़मीन थी जहां हाथियों की वजह से खेती नहीं होती थी. सुरेश ने बिजली के तार लगाकर सुपारी और केले की खेती शुरू की. एक रिपोर्ट के मुताबिक़, सुरेश खेती के लिए Drip Irrigation System और कीटनाशक के लिए नीम पत्तों का रस इस्तेमाल करते हैं.
अगर लंबे समय से अपने मन की करना चाह रहे हो तो इनसे प्रेरणा ले सकते हो.याद रखना, पहला और आख़िरी क़दम ही सबसे मुश्किल होता है.