होमवर्क न करना, स्कूल न जाने का बहाना बनाना, दिनभर बस खेलते रहना, रात को पापा से डांट खाना और मां का हमेशा हमें बचाना. बचपन के दिन भी क्या दिन थे. इन्हें याद कर हर किसी का मन ख़ुश हो जाता है. वो दिन लौट कर तो नहीं आ सकते, पर उन पलों को याद कर थोड़ी देर के लिए ही सही ख़ुश तो हुआ जा सकता है.

चलिए आज बचपन कि गलियों से उन यादों को एक बार फिर से ताज़ा कर लेते हैं.

1. हर पल खेलने का प्लान बनाना 

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सारा दिन खेलना और खेलने के प्लान बनाना फिर चाहे धूप हो या फिर बारिश. कई बार तो मां से छिपकर खेलने निकल जाते थे.

2. टॉफ़ी और चॉकलेट्स से प्यार

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टॉफ़ी और चॉकलेट के लिए दोस्तों से भी झगड़ लेते थे. मम्मी-डैडी भी किसी काम को करवाने के लिए इसका ही लालच देते थे. 

3. पेरेंट्स के साथ कहीं घूमने जाना 

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पेरेंट्स के साथ पास के बाज़ार या फिर मेले में जाने का मौक़ा तलाशते थे. यहां जाकर मिठाई और अलग-अलग प्रकार के खिलौने ख़रीदने की ज़िद करना. 

4. कागज़ के हवाई जहाज़ उड़ाना 

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क्लास हो या फिर घर हर जगह कागज़ से बने हवाई जहाज़ को उड़ाते रहते थे.

5. गुल्लक 

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रिश्तेदारों और घरवालों के दिए हुए पैसे गुल्लक में डालना. फिर इन पैसों को कैसे ख़र्च करना इसका प्लान बनाना.  

6. शनिवार और रविवार को कार्टून देखना 

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शनिवार और रविवार को टीवी पर आने वाले कार्टून शो का इंतज़ार करना. उसमें दिखाए गए कैरेक्टर्स को कॉपी करने की कोशिश करना. 

7. स्कूल की पिकनिक ट्रिप 

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जिस दिन स्कूल की पिकनिक ट्रिप के बारे में बताया जाता था, उसी दिन से उसकी तैयारियों में जुट जाते थे. क्लासमेट्स के साथ बिताए इस अमेज़िंग दिन के बारे में घर आकर सबको बताते थे. 

8. बर्थडे पार्टी 

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बर्थडे पार्टी चाहे अपनी हो या दोस्तों की, उसका इंतज़ार रहता था. इस दिन ढेर सारे गिफ़्ट और मिठाइयां साथ में केक जो खाने को मिलता था. 

9. स्कूल का Annual Day Celebration 

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Annual Day के फ़ंक्शन के लिए डांस या फिर ड्रामा की रिहर्सल के नाम पर क्लास बंक करना.

10. सैंटा क्लॉस 

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दिंसबर का महीना आते ही सैंटा क्लॉस से रिलेटेड गाने और कविताएं गाने लगते थे. इस दिन मिलने वाली टॉफ़ियों और गिफ़्ट्स का बेसब्री से इंतज़ार करते थे. 

क्यों हो गई न बचपन की यादें फिर से ताज़ा? 

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