देवियों और सज्जनों, सस्ती फ़ोटोग्राफ़ी का शौक़ रखने वाले हर व्यक्ति का पसंदीदा ‘बारिश’ का मौसम हमारे बीच आ चुका है.  

हर साल की तरह सड़कें स्विमिंग पूल बनने में इस बार भी कामयाब हुई हैं. मेंढक इधर-उधर, टर्र-टर्र करने पहुंच गए हैं. कोरोनाकाल में भी आप एक-आधा सज्जन व्यक्तियों को बाइक पर गेड़ियां लगाने का अद्भुत दृश्य देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हो ही जाएगा.  

माता जी हर साल की तरह चाय और पकोड़े बना रही हैं. आस-पास ख़ुशी का वातावरण है मगर दिल में अभी भी थोड़ा सा जग सूना-सूना है. 

ये सूनापन इस साल लगभग पूरा देश महसूस कर पा रहा है क्योंकि कोरोना की वजह से वो न तो बाहर निकल पा रहा है और न ही बारिश के वक़्त अपने इन बुनियादी मानवाधिकारों का अभ्यास कर पा रहा है.  

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