हमारे समाज में सामान्य होने की परिभाषा ज़रा अलग है, आप दाल-रोटी खाते हैं, सुबह जल्दी उठते हैं बाकि लोगों की तरह नहाते हैं, तो आप सामान्य हैं. लेकिन अगर आप लड़के हैं और आपको लड़के पसंद हैं या आप लड़की हैं और आपको लड़की पसंद है, तो दुर्भाग्यवश आप सामान्य नहीं हैं. ऐसा नहीं है आपको इस असामान्यता के साथ सामान्य करने की कोशिश LGBTQIA+ Community बनाई गई है, लेकिन हमारे समाज में इस Community को चैलेंज करने वालों की कमी नहीं है. ऐसे ही लोगों से उभरकर निकले ये हैं, वो लोग जो कई लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं.

1. गौरी सावंत

गौरी को पहचान विक्स के विज्ञापन से मिली थी, लेकिन गौरी हमेशा से ही ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए लड़ती आई हैं. इसके चलते 2014 में उन्होंने ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, ऐसा करने वाली वो पहली ट्रांसजेंडर थीं. आपको बता दें, गौरी भले ही मां नहीं बन सकतीं, लेकिन 2008 में एक बच्ची को गोद लेकर वो मां बन गईं.
2. हरीश अय्यर

हरीश अय्यर, आमिर ख़ान के शो ‘सत्यमेव जयते’ में दिखाई दिए थे और वो LGBTQIA+ Community का समर्थन भी करते हैं. इसके अलावा वो राजनीतिक पार्टी में भी शामिल हुए. राजनीतिक पार्टी जॉइन करने वाले वो भारत के पहले समलैंगिक कैंडिडेट हैं.
3. दूती चंद

दूती चंद एक एथलीट हैं. ये भारत की तीसरी महिला हैं, जिन्होंने Summer Olympic Games में Women’s 100 Metres में क्वालीफ़ाई किया है. ये भारत की पहली और एकमात्र समलैंगिक एथलीट है.
4. नवतेज सिंह जौहर

नवतेज सिंह जौहर, ट्रेंड भरतनाट्यम कोरियोग्राफ़र हैं, उन्हें संगीत नाटक एकेडमी ने पुरस्कार से भी नवाज़ा है. इन्होंने जून 2016 में LGBT समुदाय के अन्य पांच लोगों के साथ मिलकर भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसके तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को चुनौती दी थी. 2018 में नवतेज सिंह जौहर और अन्य बनाम भारत संघ एक ऐतिहासिक मामला बन गया जब सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति से क़ानून को ‘असंवैधानिक’ घोषित किया, क्योंकि न्यायालय का मानना था कि समान जेंडर के लोगों के बीच संबंध होना ग़लत हैं. हालांकि, 377 लागू हो चुकी है और अब समान जेंडर के लोगों का साथ रहना ग़लत नहीं है.
5. अन्वेश साहू

अन्वेश साहू, एक ब्लॉगर, लेखक, मॉडल और एक्टर हैं. वो 16 साल की उम्र में अपनी बहन के पास आए थे और 18 साल की उम्र से LGBTQIA+ के लोगों से जुड़े हैं और इस समुदाय के बारे में कुछ न कुछ लिखते रहते हैं. अन्वेश 2016 में मिस्टर गे वर्ल्ड इंडिया के सबसे कम उम्र के विजेता भी रह चुके हैं.
6. ऐश्वर्या रुतुपर्णा प्रधान

ऐश्वर्या भारत की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट हैं और भारतीय वित्तीय विभाग में अपनी सेवाएं दे रही हैं. इन्होंने 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद क़ानूनी रूप से अपनी लैंगिक पहचान बदल दी, जिसने ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्तियों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी.
7. प्रिंस मनविंदर सिंह गोहिल

प्रिंस मनविंदर सिंह गोहिल भारत के शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे, वो पहले ऐसे समलैंगिक थे, जो शाही परिवार से थे. उन्होंने LGBTQIA+ के लोगों को Protected Sex के बारे में शिक्षित करने के लिए ‘लक्ष्य’ नाम का ट्रस्ट शुरू किया. इसके अलावा ये ट्रस्ट Sexually Transmitted Diseases से पीड़ित लोगों के लिए काउंसलिंग सेशन और ट्रीटमेंट भी देता है.
8. विक्रम सेठ

विक्रम सेठ एक प्रसिद्ध उपन्यासकार और कवि हैं. उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से एक समलैंगिक कथा को लोगों तक पहुंचाया. ये कहानी उन्होंने लोगों तक तब पहुंचाई थी, जब Homosexuality के बारे में लोगों को कम पता था.
9. अंजली आमीर

अंजली आमीर पहली ऐसी ट्रांसजेंडर हैं, जिन्होंने भारतीय फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाई है. अंजली ने बहुत छोटी उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था. उसके बाद वो ट्रांसजेंडर समुदायों के साथ रहने लगीं. उन्होंने काफ़ी समय तक मॉडलिंग भी की. इसी दौरान 20 साल की उम्र में उन्होंने सेक्स चेंज सर्जरी करा ली और फ़िल्मों में आने वाली पहली ट्रांसविमेन बन गईं.
10. अत्रि कर

अत्रि का मन सिविल सेवा परीक्षा में बैठना था, लेकिन उसमें जेंडर के दो ही ऑप्शन होने की वजह से उन्होंने बहुत लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़कर जीत हासिल की और एक ट्रांसजेंडर के रूप में परीक्षा दी. ऐसा करके वो UPSC की परीक्षा में बैठने वाली भारत की पहली ट्रांसजेंडर बन गईं.
11. केशव सूरी

केशव, The Lalit Suri Hospitality Group के Executive Director हैं और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों के ज़रिए LGBTQIA+ के लिए कई नौकरियों से जुड़े अवसर दिए हैं.
12. मधु बाई

मधुबाई पहली ऐसी महिला किन्नर हैं, जिन्होंने रायगढ़ से बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़कर मेयर का चुनाव जीता था.
13. गंगा कुमारी

राजस्थान के जालौर की रहने वाली गंगा कुमारी को लंबे संघर्ष के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश पर राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया. ये राज्य की पहली ऐसी किन्नर हैं, जिन्होंने पुलिस फ़ोर्स जॉइन की है.
14. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी

किन्नर समाज में सबसे जाना-माना नाम लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी एक समाजिक कार्यकर्ता और भरतनाट्यम डांसर हैं, जो ‘बिग-बॉस के सीज़न-5’, टीवी शो ‘सच का सामना’, ‘दस का दम’ और ‘राज पिछले जनम का’ में भी देखी जा चुकी हैं. 2019 में हुए कुंभ मेले में शामिल हुए थे. वो किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर थीं.
15. साधना मिश्र

साधना मिश्र कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेस में साधना को सामाजिक विकास अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया था. साधना ने अपने समुदाय के लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है. उन्होंने सोशल वर्क और बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातकोत्तर की डिग्री भी हासिल की है.
16. पद्मिनी प्रकाश

पद्मिनी प्रकाश पहली ऐसी किन्नर हैं, जिन्होंने न्यूज़ एंकरिंग की. तमिलनाडु के लोटस टीवी में वह न्यूज़ एंकर थीं. इन्होंने अपनी क़िताब के जरिए पहचान बनाई. इनकी लिखी बुक ‘The Truth About Me’ को थर्ड जेंडर लिट्रेचर एट दी अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ मदुरई के रूप में शामिल किया गया.
17. कल्कि सुब्रमण्यम

कल्कि सुब्रमण्यम पहली किन्नर एंटरप्रेन्योर हैं. इन्होंने साहोदरी फ़ाउंडेशन की शुरुआत की, जो भारत में किन्नरों के सशक्तिकरण के लिए काम करता है. आज समाज के हर क्षेत्र में ट्रांसजेंडर अपनी एक अलग पहचान बनाने में क़ामयाब हो रहे हैं.
इनके जज़्बे को सलाम! जिन्हें कभी अपनों से लड़ना पड़ा, तो कभी ग़ैरों के ताने सुने पड़े, लेकिन डरे नहीं उभर गए.