कहानियां सुनना सबको अच्छा लगता है. गर्मी की दोपहर हो या सर्दी की रातें दादी और नानी की कहानियां हमेशा दिल को सूकून दे जाती हैं. आज हम आपको वही सुकून देने की कोशिश करने जा रहे हैं. ये 13 कहानियां दादी और नानी की तो नहीं हैं, लेकिन हां कुछ ऐसे लोगों की ज़रूर हैं, जो रोज़ कुछ न कुछ सराहनीय काम कर रहे हैं पर्यावरण को संरक्षित करने और ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए.  


तो आइए सुन लीजिए ये 13 कहानियां.  

1. ऐसा सर्च इंजन जो हर बार ऑनलाइन सर्च करने पर एक पेड़ लगाता है.

सुनकर हैरानी होगी, लेकिन ऐसा है. Ecosia नाम का एक सर्च इंजन है, जो हर बार ऑनलाइन सर्च करने पर एक पौधा लगाता है. इस सर्च इंजन ने वर्तमान में 50,120,906 पेड़ लगाए हैं और इनकी संख्या हर एक सेकंड में बढ़ती रहती है. Bored Panda की एक रिपोर्ट के मुताबिक, Ecosia से जुड़े लोगों का कहना है, कि कंपनी ने इस विकल्प को इसलिए चुना है, क्योंकि एक पेड़ लगाने से आप जलवायु परिवर्तन से लड़ सकते हैं, पानी के चक्र को फिर से शुरू कर सकते हैं, रेगिस्तानों को उपजाऊ जंगलों में बदल सकते हैं और पोषण, रोज़गार, शिक्षा, चिकित्सा सहायता और राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता प्रदान कर सकते हैं. अगर हम अपनी प्रकृति के लिए कुछ करना ही चाहते हैं, तो आप क़ागज़ का इस्तेमाल कम से कम करें. इससे पेड़ कम कटेंगे. अभी का आंकड़ा देखा जाए, तो दुनिया भर में हर साल 7 अरब पेड़ काटे जाते हैं.

2. एक शख़्स, जो 40 साल से रोज़ एक पौधा लगा रहा है

इस शख़्स का नाम जादेव पयेंग है. इनके एक प्रयास ने एक घने और विशाल जंगल का रूप ले लिया है, जो किसी सेंट्रल पार्क से कम नहीं है. ये जंगल 1,360 एकड़ में फ़ैला है. आज ये जंगल कई जंगली जानवर जैसे, हाथी, गेंडे और पक्षियों का घर भी है. इनका कहना है कि वो आख़िरी सांस तक पेड़ लगाएंगे. ये काम उनको सूकून, शक्ति और साहस देता है. अगर आप इनके बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं, तो जादव की डॉक्यूमेंट्री के ज़रिए जान सकते हैं. 

3. मैक्सिकन कंपनी ने एवोकाडो के बीज से बनी कटलरी

BioFase नाम की एक मैक्सिकन कंपनी ने Single-Use Cutlery और Straws बनाए, जो केवल 240 दिनों में बायोडिग्रेड हो गए. ये कटलरी एवोकाडो से बनाई गई है, क्योंकि मैक्सिको से लगभग 50% एवोकाडो की सप्लाई की जाती है. ये कंपनी इसी के बीज का इस्तेमाल कर कटलरी बनाती है. इससे प्लास्टिक का कचरा कम होता है.

4. मुंबई बीच से उठाया गया क़रीब 5 से 3 मिलियन किलो कचरा 

ये पहल ‘दुनिया की सबसे बड़ी समुद्र तट सफ़ाई परियोजना’ है. इसकी शुरूआत Environmentalist अफ़रोज़ शाज़ ने 2015 में की थी. उन्होंने मुंबई के Beach से कचरा उठाना शुरू किया. इनकी इस मुहीम में बहुत से लोग इनके साथ जुड़े. इसी दौरान मुंबई में वॉलेंटियर के रूप में काम करने वाले लोगों ने क़रीब 5,3 मिलियन किलोग्राम कचरा उठाया. इनकी ये पहल रंग लाई और मुंबई का Versova Beach आज शुद्ध वातावरण में सांस ले रहा है. साथ ही ये एक पर्यटन स्थल भी बन गया है. अगर आप अपने देश को साफ़ रखना चाहते हैं, तो प्लास्टिक कचरे को कम करने की कोशिश करें. 

5. ऑस्ट्रेलिया में एक नेट के प्रयोग से प्रदूषण को रोका जा रहा है

2018 में, ऑस्ट्रेलिया के Kwinana शहर ने हेनले रिज़र्व में दो पानी निकलने वाले जाल बिछाए. इनकी कुल लागत क़रीब 20 हज़ार डॉलर थी. इससे पहले कि ये जाल काम में लाए जाते कूड़ा उठाना वाले कार्यकर्ता पहले ही कूड़ा उठा ले जाते थे. कार्यकर्ताओं द्वारा कूड़ा उठाना इस जाल की क़ीमत से ज़्यादा था. इसलिए इस जाल को ही रखा गया. इस जाल में केवल चार महीनों में लगभग 815l BS यानि 370 किग्रा कचरा फंसा. सफ़ाई अभियान की ओर अग्रसर Greenpeace Organization लोगों को प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में बताती है और देश को साफ़ रखने के लिए प्रोत्साहित करती है.   

6. पुरानी इलेक्ट्रॉनिक चीज़ों से बनाया मेडल

2020 में टोक्यो में होने वाले Olympic and Paralympic Games में ओलंपियन चीज़ों को रिसाइकिल कर अपने पुरस्कार का निर्माण करेंगे. पर्यावरण की तरफ़ काम करते हुए ये फ़ैसला लिया गया है. इसमें स्क्रैप धातुओं का इस्तेमाल हो रहा है. इसके लिए जापान के सभी नागरिक अपने पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स दे रहे हैं. ई-कचरा, डंप किए गए इलेक्ट्रॉनिक्स से निकलने वाला कचरा दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती अपशिष्ट समस्या है. U.N की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में दुनिया भर में 45 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक्स फेंके गए थे और उस कचरे का केवल 20% पुनर्नवीनीकरण किया गया था.  

7. पाकिस्तान में 1 बिलियन पेड़ और अगले 5 सालों में 10 बिलियन पौधे लगाने की योजना है

पाकिस्तान में आने वाली नई सरकार का लक्ष्य अगले पांच सालों में 10 बिलियन पेड़ लगाकर पर्यावरण की समस्याओं को हल करना है. इनका मानना है, कि पेड़ों को लगाकर कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. इससे बाढ़, सूखा, बारिश, तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है. # Plant4pakistan और “Billion Tree सुनामी” जैसी पहल पर्यावरणीय समस्याओं से निपट रही हैं. 

8. New Clean Up System से 2040 तक 90% प्लास्टिक को महासागर से निकालने का लक्ष्य है

वर्तमान में समुद्र में तैर रहे 5 ट्रिलियन से अधिक प्लास्टिक कचरे को साफ़ करने के लिए कुछ नई तकनीक की ज़रूरत है, जो पानी को साफ़ करने में मदद करे. इसी के चलते 2013 में बना Ocean Cleanup दुनिया का सबसे बड़ा क्लीनअप ऑर्गेनाइजेशन है. इसका काम महासागरों से प्लास्टिक की सफ़ाई करना है. इन्होंने समुद्र के बीच में एक 600 मीटर लंबी तटीय रेखा बनाई है, जो प्लास्टिक को पकड़ने के लिए प्राकृतिक महासागरीय बलों का उपयोग करती है. उम्मीद की जा रही है कि ये संगठन अगले 5 सालों में समुद्र से 50% प्लास्टिक को साफ़ करने करने में क़ामयाब रहेगा, क्योंकि इनकी Website के अनुसार इनका लक्ष्य 2040 तक 90% प्लास्टिक को महासागर से निकालने का है.

9. डेनमार्क में WeFood शॉप एक अनोखी शॉप है

डेनमार्क के सुपरमार्केट में एक शॉप है, जिसका नाम WeFood है. जहां पर एक्सपायरी डेट और पैकेजिंग की कमी के कारण हटाए गए प्रोडक्ट बेचे जाते हैं. इसके चलते उपभोक्ताओं के लिए लागत में 30 से 50 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है. WeFood न केवल कम आय वाले दुकानदारों के लिए उपयोगी है, बल्कि खाने की चीज़ें भी ख़राब नहीं होती है. इससे भी अच्छी बात ये है कि ये स्टोर पूरी तरह से स्वैच्छिक रूप से चलाया जाता है और इसके लाभ से देश में चैरिटी की जाती है. अगर देखा जाए, तो Global Famine हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है. इसके चलते खाद्य पदार्थों का क़रीब एक तिहाई भाग फेंका जाता है, जो हर साल लगभग 1,3 बिलियन टन होता है.

10. स्विस बिलियनेयर ने धरती को बचाने के लिए 1 बिलियन डॉलर का दान दिया

Philanthropist और संरक्षणवादी Hansjörg Wyss ने हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए 1 बिलियन डॉलर दिया है. इनका कहना है, कि उन्हें धरती को बचाना है. इसलिए वो 1 बिलियन डॉलर दान कर रहे हैं. वो ये राशि इस दुनिया के 30 प्रतिशत हिस्से को बचाने के लिए दे रहे हैं, जो 2030 तक का लक्ष्य है. दुनिया के सबसे धनी लोगों के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि वो पर्यावरण को बचाने के लिए आगे आएं. 

11. 5 पेंस प्रति प्लास्टिक बैग से एक साल में 37% प्लास्टिक कचरा कम हो सकता है

यूके में 2015 में दुकानदारों को प्लास्टिक की थैलियों के लिए चार्ज करके एक बड़ा बदलाव किया गया. इसके तहत एक बैग की क़ीमत केवल पांच पेंस थी. इससे न केवल कई लोग प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल करने से बचे, बल्कि दुकानदारों को पर्यावरण संरक्षण में दान करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया. 2016 में, ग्रेट ब्रिटिश बीच क्लीन एसोसिएशन ने बताया, ऐसा करने से समुद्र तटों पर प्लास्टिक की थैलियों की मात्रा में 37% कमी हुई है, जो काफ़ी अच्छा बदलाव है. संयुक्त राज्य अमेरिका में हर व्यक्ति प्रति दिन लगभग 1 प्लास्टिक बैग का उपयोग करता है, जिसके चलते प्रति व्यक्ति 365 प्लास्टिक बैग इस्तेमाल होते हैं. 

12. बछेंद्री पाल की गंगा बचाओ मुहिम

बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला हैं. इन्होंने कई लोगों को अपने साथ जोड़कर क़रीब 55 टन वेस्ट कचरा गंगा नदी से साफ़ किया है. प्रेमलता अग्रवाल सहित 40 सदस्यीय एक टीम, जिसमें दुनिया की वो महिलायें शामिल थीं, जिन्होंने सिर्फ़ एक महीने में इस बड़े पैमाने पर कचरा साफ़ किया. इनका कहना है कि ये पहल कुछ भी नहीं है गंगा एक अद्भुत नदी है. इसलिए इसकी सफ़ाई होनी बहुत ज़रूरी है. ये पवित्र नदी न केवल धार्मिक स्वच्छता का प्रतीक है, बल्कि ये मानव और औद्योगिक कचरे का भी भंडार है. गंगा नदी की ये सफ़ाई ‘नमामि गंगे योजना’ के तहत की जा रही है.

13. Brewery की बोतल से प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने का अजब तरीका

फ़्लोरिडा में Saltwater Brewery ने 6 बायोडिग्रेडेबल बोतल का एक पैक बनाया. इसका उद्देश्य प्लास्टिक वेस्ट को कम करना था. इस तरह की पैकेजिंग जानवरों के लिए काफ़ी अच्छी होती है, क्योंकि ये जौ और गेहूं के रिबन से बने होते हैं. Saltwater Brewery एक इंटरव्यू में बताया, कि बायोडिग्रेडेबल सिक्स-पैक रिंग्स की स्थापना के बाद से, हमारा लक्ष्य पर्यावरण को सुरक्षित रखना है. 

पर्यावरण को बचाना बहुत ज़रूरी है, इसलिए हम सबको इसे बचाने के लिए एक साथ होना पड़ेगा.