वर्तमान समय प्रतियोगिताओं का दौर है. मनुष्य हर पल किसी न किसी परीक्षा से गुज़र रहा होता है. बदलती जीवन शैली ने खान-पान और रहन-सहन को भी काफ़ी हद तक बदल डाला है. इंसान अपने कामों में इतना उलझा रहता है कि वो बाकी दुनिया से भावनात्मक रूप से अपने आप को कब अलग कर चुका होता है, इस बात का उसे पता भी नहीं चलता.

क्या है मानसिक रोग?

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जब कोई भी इंसान अपने व्यवहार, अपनी भावनाओं के साथ-साथ सोचने की शक्ति पर सही तरीके से नियन्त्रण नहीं कर पा रहा हो, तो इस अवस्था को मानसिक रोग कहेंगे. इस अवस्था में वो चीज़ों और बाकी इंसानों को सही तरीके से देख और समझ नहीं पाता है. धीरे-धीरे जब यह प्रक्रिया स्थाई होती चली जाती है, तो व्यक्ति अपने जीवन को सामान्य तौर पर नहीं जी पाता है.

मानसिक रोग होने के कोई निश्चित लक्षण नहीं होते हैं. इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि सम्बन्धित व्यक्ति की परिस्थितियां कैसी हैं. हालातों के हिसाब से सभी में इसके लक्षण अलग-अलग होते हैं. इसी वजह से हमें अक़सर पता भी नहीं चल पाता है कि हमारे नजदीकी भी कब इस रोग के प्रभाव में आ चुके हैं.

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मानसिक रोग का खेल सोचने-समझने की प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है. खान-पान भी इसमें काफ़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह किसी को भी हो सकता है. मानसिक रोग का मतलब यह कभी नहीं होता कि सम्बन्धित व्यक्ति में किसी तरह की कोई कमी है. रोगी सही तरीके से अपना इलाज़ करवाकर ख़ुशहाल ज़िन्दगी जी सकता है.

मानसिक रोगों के प्रकार-

इस समस्या पर धीरे-धीरे लोग बात करने लगे हैं, जिससे की नए-नए मानसिक विकार सामने आ रहे हैं. इनमें प्रमुख मानसिक विकार निम्न प्रकार से हैं.

1. एंजाइटी डिसऑर्डर

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एंजाइटी को हम सामान्य भाषा में चिंता कह सकते हैं. व्यक्ति इसमें ज़रुरत से ज़्यादा किसी बात या परिस्थिति को लेकर सोचने लगता है. धीरे-धीरे यही सिलसिला बरकरार रहने पर व्यक्ति एंजाइटी का शिकार हो जाता है. एंजाइटी में कुछ व्यक्ति सम्बन्धित ऑब्जेक्ट या सिचुएशन के बारे में जब सोचते हैं, तो उनकी हार्ट बीट असंतुलित हो जाती है. कुछ लोगों में इस समय तेज़ पसीना भी आने लगता है. सम्बन्धित सिचुएशन में व्यक्ति अगर सामान्य बिहेव नहीं कर पाता है, इसका मतलब वो एंजाइटी का शिकार हो सकता है. सामान्यत इसमें जनरलाइज़ड एंजाइटी, पैनिक डिसऑर्डर, सोशल एंजाइटी डिसऑर्डर और स्पेसिफिक फ़ोबिया शामिल किये जाते हैं.

2. Mood (मनोदशा) डिसऑर्डर

Mood Disorder को Affective Disorder भी कहा जाता है. इसमें अचानक से मनुष्य ख़ुश होते हुए दुखी महसूस करने लगता है. उसी तरह जब दुखी होता है, तो अचानक ही अपने आप को ख़ुश महसूस करने लगता है. सबसे आम Mood Disorders में डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर और Cyclothymic Disorder को रखा जाता है.

3. मानसिक असंतुलन

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इस विकार में व्यक्ति विकृत विचारों में खोया रहता है. इस बीमारी में इंसान को अनावश्यक वहम होते रहते हैं. इसमें व्यक्ति को अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती है, साथ ही अजीब-अजीब दृश्य भी दिखाई देते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ होता नहीं है. Schizophrenia इसका सबसे आम प्रकार है.

4. Eating Disorders

इस विकार में व्यक्ति खाने-पीने और वजन को लेकर काफ़ी उत्तेजित भावनाएं दिखाता है. Bulimia Nervosa, Anorexia Nervosa और Binge Eating Disordres Eating Disorder इसके सबसे कॉमन रूप हैं.

5. Impulse Control and Addiction Disorders

इस विकार में व्यक्ति किसी स्पेसिफ़िक चीज़ का एडिक्ट हो जाता है. इस वजह से वो अपने रिश्तों और ज़िम्मेदारियों पर ध्यान देना भी छोड़ देता है. Pyromania, Kleptomania और Compulsive Gambling इसके उदाहरण हैं.

6. पर्सनालिटी डिसऑर्डर्स

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इसमें व्यक्ति हमेशा दृढ़ और उत्तेजित रहता है. इस व्यवहार की वजह से वो अपने आस-पास के लोगों को प्रभावित करने लगता है. Antisocial Disorder, Paranoid Personality Disorder इसमें सबसे कॉमन है.

7. Obsessive-Compulsive Disorder (OCD)

यह आज के जमाने में सबसे कॉमन मेंटल डिसऑर्डर है. इसमें इंसान के दिमाग में किसी चीज़ को लेकर ऐसे विचार आने लगते हैं, जिससे उसको लगता है, वह चीज़ उसके लिए हानिकारक हो सकती है. इस तरह के विचारों को Obsessions कहा जाता है. इसके बाद व्यक्ति उन चीज़ों से बचने के लिए बेतुके उपाय करने लगता है, जिनकी वजह से वो कई तरह के एक्शन लेता है. इन एक्शन्स को Compulsions कहते हैं. उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति को Germs को लेकर कोई डर पैदा हो जाये और इससे बचने के लिए वो बार-बार पानी से हाथ धो कर आता है.

8. Post-traumatic Stress Disorder (PTSD)

इस डिसऑर्डर में व्यक्ति अपने साथ हुए किसी दर्दनाक हादसे की यादों को सोच-सोच कर परेशान हो रहा होता है. इन सबके अलावा भी कुछ मानसिक विकार हैं, जो आजकल सामने आ रहे हैं.

9. Stress Response Syndromes

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इस विकार को पहले एड्ज्स्मेंट डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता था. यह ज़्यादातर तब होता है, जब व्यक्ति अपने साथ हुई किसी घटना से स्ट्रेस में चला जाता है. इसका प्रभाव घटना के लगभग 3 महीने बाद शुरू होता है, जो कि सामान्यत 6 महीने में खत्म हो जाता है.

10. Dissociative Disorders

इसे आमतौर पर मल्टीप्ल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता है. इसमें व्यक्ति अपने अनुभवों की वजह से अपने आस-पास के वातावरण को अलग नज़रिए से देखने लगता है. धीरे-धीरे इस चीज़ का प्रभाव उसकी ख़ुद की पर्सनालिटी पर भी पड़ने लगता है. वह अपनी पहचान को कई रूपों में देखने लगता है.

11. Factitious Disorders

यह बीमारी काफ़ी अजीब है. इसमें व्यक्ति अपने आस-पास के लोगों या रिश्तेदारों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए किसी बीमार की तरह बिहेव करने लगता है. उदाहरण के लिए पेट दर्द, सिर दर्द, जबकि वह इन समस्याओं से वास्तविक रूप से प्रभावित नहीं होता है.

12. सेक्सुअल और जेंडर डिसऑर्डर्स

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इसमें व्यक्ति अपने सेक्स के प्रति विचारों में कॉण्ट्राडिक्शन महसूस करने लगता है. उसके सेक्स के अनुसार जैसा उसका व्यवहार होना चाहिए, उनमें काफ़ी बदलाव आ जाता है.

13. सोमेटिक सिम्पटम डिसऑर्डर्स

पहले इस डिसऑर्डर को Psychosomatic Disorder या Somatoform Disorder के नाम से जाना जाता था. इसमें व्यक्ति अपने आप को किसी शारीरिक समस्या से ग्रसित महसूस करता है, जबकि वास्तविकता में उसे कुछ भी नहीं हुआ होता है.

14. Tic Disorders

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इसमें व्यक्ति अजीब आवाजें निकालने लगता है, असामान्य बिहेव करने लगता है. यह सब उसके कंट्रोल में नहीं होता है.

इन सबके अलावा Dementia, Alzheimer’s Disease के कुछ मामलों को भी मेंटल इलनेस में शामिल कर लिया जाता है.

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दुनिया में हर चौथा इंसान लाइफ़ में कभी न कभी किसी मानसिक बीमारी से गुजरता है. ज़िन्दगी जैसे-जैसे मुश्किल होती जा रही है, मानसिक बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं, लेकिन लोग शर्म के मारे इन बिमारियों के बारें में खुल कर बात नहीं करते हैं.

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अच्छे खानपान और लोगों से मिल जुल कर इस समस्या से बचा जा सकता है. जब भी किसी भी तरह का तनाव महसूस हो, तो अपने आसपास के अच्छे लोगों से उसके बारे में बात करें. समस्या के ज़्यादा बढ़ जाने पर बेझिझक डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए. अकसर लोग शर्मिदंगी की वजह से डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं, कोई भी बीमारी व्यक्ति के ख़ुद के हाथ में नहीं होती है, इसलिए बिना घबराए डॉक्टर के पास जाएं और ख़ुशहाल जीवन की ओर कदम बढाएं.