देश को रामनाथ कोविंद में अपना 14वां राष्ट्रपति मिल गया है. उनके साथ इस रेस में विपक्ष की उम्मीदवार, मीरा कुमार थी, जिनको हरा कर वे राष्ट्रपति बने हैं. बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में कई नाम सामने आए थे. लालकृष्ण आडवाणी से लेकर मोहन भागवत जैसे दिग्गजों के नाम पर समर्थक आपस में ही भिड़े हुए थे. देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति के रूप में ओडिशा की द्रौपदी मुर्मु का नाम भी सामने आ रहा था. पर बीजेपी ने तुरुप का इक्का फेंका और सभी हक्के-बक्के रह गए.
अब ये हमारा धर्म भी है और फ़र्ज़ भी कि हम उनसे जुड़े कुछ Facts आप तक पहुंचाये:
1) कानपुर की मिट्टी की संतान हैं रामनाथ
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रामनाथ का जन्म, 1 अक्टूबर, 1945 में कानपुर के एक गांव में हुआ.
2) नेता बनने से पहले कई सालों तक की वकालत
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रामनाथ ने कानपुर विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई की थी. 1993 तक वे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकील थे.
3) 1994 में चुवे गए राज्य सभा के सदस्य
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रामनाथ 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्य सभा के सांसद चुने गए. मार्च, 2006 तक वे इस राज्य सभा के सदस्य रहे.
4) कई संसदीय कमिटियों के सदस्य रह चुके हैं कोविंद
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रामनाथ कई संसदीय कमिटियों के सदस्य रह चुके हैं. जैसे कि Parliamentary Committee on Welfare of Scheduled Castes/Tribes, Parliamentary Committee on Home Affairs, Parliamentary Committee on Social Justice आदि.
5) UN में भी किया भारत का प्रतिनिधित्व
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रामनाथ ने 2002 में भारत की तरफ़ से UN Assembly में भाषण दिया था.
6) अनुसुचित जाति, जनजातियों और महिलाओं के हक़ के लिए लड़ी कई लड़ाईयां
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छात्र जीवन से ही रामनाथ स्त्रियों और पिछड़ी जातियों के हक़ के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं. 1997 में उन्होंने सरकार के एक अनुसुचित जाति और जनजाति विरोधी फ़ैसले का कड़ा विरोध किया. उनकी मेहनत से संविधान में 3 संशोधन किये गये ताकि पिछड़ों को उनका हक़ मिल सके.
7) बीजेपी के दलित मोर्चे के प्रेसिडेंट रह चुके हैं कोविंद
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कोविंद ने बीजेपी दलित मोर्चे के प्रेसिडेंट का पद 1998-2002 तक संभाला.
8) प्रधानमंत्री के PA भी थे रामनाथ
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देश के भावी राष्ट्रपति 1977-78 के बीच मोरारजी देसाई के PA के रूप में काम कर चुके हैं.
9) IIM कोलकाता और बी.आर.अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ के Board of Governors के सदस्य रह चुके हैं
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रामनाथ देश के सबसे अच्छे शिक्षण संस्थानों में से एक IIM कोलकाता के Board of Governors के और बी.आर.अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ के सदस्य भी रह चुके हैं. शिक्षा के उत्थान के लिए भी उन्होंने बिहार में भी कई योजनाएं चलाईं, जिसमें अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक अहम है.
जिन्होंने देश के कई वर्गों के उत्थान के लिए इतना कुछ किया था, वो देश के प्रथम नागरिक पद को भी बहुत अच्छे से ही संभालेंगे, ऐसी हम आशा रखते हैं.
बाद बाक़ि बीजेपी के पुराने नेता आडवाणी ज़रा खफ़ा हैं, तो विपक्ष को मनाने वाले प्रधानमंत्री परिवार के बुज़ुर्ग को भी मना ही लेंगे.