मां, एक छोटा सा शब्द जो अपने आप में पूरा जहां समेटे है. मां से ज़्यादा हमें कोई प्रेम नहीं कर सकता. पिता का स्नेह भी है पर मां का रुतबा अलग है. हमने तो अपनी मां को हमें मारकर ख़ुद फूट-फूटकर रोते देखा है.
मां पर 15 शेर जिन्हें पढ़कर आपको उसका स्नेह भरा हाथ अपने माथे पर महसूस होगा-

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