भारत में दुनिया के कई बेहतरीन वास्तुकला के नमूने हैं. ताज महल, चित्तौड़गढ़ का किला, जैसलमेर का किला और स्वर्ण मन्दिर जैसे अनेक उदाहरण यहां देखे जा सकते हैं. किसी समय यह भवन राजा-महाराजाओं की शान का प्रतीक हुआ करते थे. देश में मौजूद ऐसे सैकड़ों स्ट्रक्चर में अनेक ऐसे भी हैं, जो अपने समय में काफ़ी रिहायशी और वैभवपूर्ण हुआ करते थे, लेकिन आज उनको बदनाम और डरावनी जगहों के रूप में जाना जाता है.

इन जगहों के बदनाम होने के पीछे सबसे बड़े कारणों में से कुछ का भुतहा हो जाना और कुछ का युद्ध के समय भीषण रूप से मार-काट होना है.

आज खंडहर में बदल चुके अपने जमाने के कुछ शानदार वास्तुकला के नमूने इस प्रकार हैं…

1. उनाकोटी, त्रिपुरा

wikimedia

निर्जन और गुमनामी में जी रहा यह क्षेत्र एक तरह से खोये हुए खजाने जैसा है. यहां पर अनेक चट्टानों को काट कर बनाये गये बेहतरीन कला के नमूने देखने को मिल जायेंगे. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र को भगवान शिव द्वारा नष्ट कर दिया गया था. इसके बाद यहां किसी ने भी बसने की कोशिश नहीं करी.

2. हम्पी, कर्नाटक

abhiomkar

किसी समय यह क्षेत्र विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था. आज यह यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची की शोभा बढ़ा रहा है. 1500 ईसा में यहां लगभग 5 लाख की आबादी निवास करती थी. इस तरह अपने समय में यह Peking-Beijing के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर कहलाता था. मुस्लिम आक्रांताओं के नष्ट कर देने के बाद यह कभी दोबारा नहीं बस पाया.

3. रोस आइलैंड, अंडमान और निकोबार

flickr

यह क्षेत्र 1941 में आये एक विनाशकारी भूकम्प में तबाह होने से पहले अंडमान और निकोबार का प्रशासनिक केंद्र हुआ करता था. किसी समय आधुनिक नगरीय व्यवस्था का पर्याय कहलाने वाले इस शहर में आज खंडहरों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है.

4. Chiktan, लद्दाख

epicchannel

लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित इस किले को हम Castle of Count Dracula का देसी वर्जन कह सकते हैं. इस किले का निर्माण 16वीं सदी में हुआ था. नौ मंजिला इस इमारत में आज केवल टूटी-फूटी दीवारें बची हैं.

5. धनुषकोडी, तमिलनाडु

lakshmisharath

पंबन आइलैंड के किनारे पर स्थित यह कस्बां किसी समय एक शानदार टूरिस्ट डेस्टिनेशन हुआ करता था. 1964 में आये Gigantic Cyclone ने इस क्षेत्र को पूरी तरह तबाह कर दिया था. इस तूफ़ान ने 1800 लोगों को अपना शिकार बना लिया था. आज यहां वीरानी के अलावा कुछ भी देखने को नहीं मिलता.

6. Kalavantin Durg, Maharashtra

lazerhorse

पश्चिमी घाट क्षेत्र में आने वाला यह दुर्ग मुम्बई के नजदीक स्थित है. Kalavantin नामक एक महारानी के लिए इसे 500 ईसा पूर्व बनवाया गया था. इसे एक चट्टान को काट कर बनाया गया था.

7. कुलधरा, राजस्थान

flickr

राजस्थान का यह कस्बा अपने भुतहा इतिहास के लिए काफ़ी जाना जाता है. लगभग 300 साल पहले यहां के निवासी इस कस्बे को छोड़ कर चले गये थे. उसके बाद आज तक इस गांव में किसी ने बसने की कोशिश नहीं करी है.

8. भानगढ़, राजस्थान

amazingindiablog

राजस्थान का यह कस्बा 1613 में मानसिंह के बेटे माधोसिंह द्वारा बसाया गया था. एक तांत्रिक के अभिशाप के बाद यह शहर तबाह हो गया था. स्थानीय गांव वालों का कहना है कि उसके बाद जब भी किसी ने यहां मकान बनाने की कोशिश की, तो उस मकान की छत अपने आप गिर जाती थी. जो भी आदमी इस क्षेत्र में रात को जाता है, उसके लिए वो पल काफ़ी डरावना बन जाता है. यह आज भी वीरान बना हुआ है.

9. मार्तण्ड सूर्य मंदिर, जम्मू और कश्मीर

flickr

यह जगह जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग पर्वत के पठार पर स्थित है. 8वीं सदी में बना यह मन्दिर सूर्य भगवान को समर्पित है. इस मन्दिर को 15वीं सदी में मुस्लिम आक्रमणकारी सिकंदर Butshikan ने नष्ट कर दिया था. तब से लेकर आज तक यह वीरान पड़ा है. आज यह जगह भारत की प्रसिद्ध आर्कियोलॉजिकल साइट्स के रूप देखी जाती है.

10. Gandikota, आंध्र प्रदेश

flickr

Pennar नदी के किनारे यह छोटा सा गांव स्थित है. इस फोर्ट में मन्दिर और मस्जिद दोनों स्थित हैं. आज यह जगह केवल एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन कर रह गई है. प्रांगण में मौजूद मन्दिरों का निर्माण 15वीं और 16वीं सदियों के दौरान करवाया गया है.

11. फतेहपुर सीकरी, आगरा

flickr

महान मुगल सम्राट अकबर ने सन 1569 में इस शहर की स्थापना की थी. तत्कालीन समय में यह मुगल साम्राज्य की राजधानी था. कुछ ही समय बाद पानी की कमी और सामरिक मुद्दों की वजह से शासकों ने इस जगह को छोड़ दिया. आगे चल कर यह स्थान निर्जन हो गया. आज यह स्थान एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है.

12. नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार

flickr

किसी समय यह स्थान बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था. इसकी स्थापना 5वीं सदी में गुप्तकाल के दौरान हुई थी. यहां पर पूरे भारत और दुनिया के अनेक कोनों से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे. इस जगह पर नौ मंजिला एक लाइब्रेरी भी थी. तुर्की आक्रमणकारियों के इस जगह को नष्ट करने के बाद इसे दोबारा नहीं बसाया जा सका.

13. Bateshwar, Morena

phototravelings

यह क्षेत्र 25 एकड़ में फैला हुआ है. यहां 200 से ज्यादा मन्दिर हुआ करते थे. इसके पास में पदावली नामक एक गांव भी स्थित है. यहां बने हुए मन्दिर भगवान विष्णु और शिव को समर्पित हैं. यह 8वीं और 10वीं सदी के मध्य बनाये गये थे. आज यहां सिर्फ़ खंडहर नज़र आते हैं.

14. Maluti Temples, झारखंड

flickr

झारखंड के Maluti गांव में 72 प्राचीन मन्दिर स्थित है. लोगों का कहना है कि शुरुआत में यहां 108 मन्दिरों का निर्माण करवाया गया था. आगे चल कर लोगों ने इन मन्दिरों की सही से देखभाल नहीं की, जिसकी वजह से आज यह केवल खंडहर बन कर रह गये हैं.

15. एहोल, कर्नाटक

flickr

यह जगह कर्नाटक के Bagalkot जिले में स्थित है. यह चालुक्य इतिहास के स्वर्णकाल के दौरान बनवाए गये थे. इन मन्दिरों की छत्तों पर काफ़ी विशेष कलाकारी का उपयोग किया गया था.

16. Lakhpat, Gujrat

wikimedia

यह कस्बा कच्छ जिले में स्थित है. वैसे तो इस गांव के नाम का आशय मिलेनियर होता है, लेकिन अपनी बदकिस्मती की वजह से यह गांव एक भुतहा गांव बन कर रह गया है. प्राचीन समय में सिंध से व्यापार के दौरान यह एक कनेक्टिंग पॉइंट के रूप में जाना जाता था.

17. Garh Kundar, मध्य प्रदेश

wikimedia

इसका निर्माण 1180 में चंदेलों द्वारा करवाया गया था. इस गढ़ के अंदर कई मन्दिर भी बने हुए है. अब यह केवल एक तीन मंजिला वीरान जगह बन कर रह गई है.

18. चंपानेर-पावागढ़, गुजरात

flickr

यह जगह 15वीं और 16वीं में अपने शबाब पर हुआ करती थी. उस दौर में यह गुजरात रियासत की राजधानी हुआ करती थी. यहां पर हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का संक्रमण देखने को मिलता था. चंपानेर में अनेक मन्दिरों के बीच मस्जिदें भी देखने को मिल जाएगी, बस नहीं देखने को मिलेंगे तो केवल इंसान.

19. Rosary Church, Shettihali, Karnataka

team

इस चर्च को 1860 में फ्रेंच मिशनरीज द्वारा बनाया गया था. यह चर्च एक नदी के मुहाने में बना हुआ है. बारिश के दिनों में यह पानी में डूब जाता है.

20. रत्नागिरी, उड़ीसा

flickr

रत्नागिरी, उड़ीसा के जाजपुर जिले में स्थित है. यहां एक समय बौद्ध धर्मावलम्बियों का बोलबाला हुआ करता था. यहां अनेक मोनस्टेरिज़ बनी हुई थी. फ़िलहाल यहां जीर्ण-शीर्ण ढांचों के अलावा कुछ भी नज़र नहीं आता है.

देश में ऐसी ही ना जाने और भी कितनी जगहें हैं, जो कभी अपने आप पर काफ़ी गुमान किया करती थी और आज वहां परिंदा भी पर नहीं मारता.