भारत में वास्तु कला के एक से एक उदाहरण हैं. इसे अब किसानों का देश कहा जाता है पर पहले ये शिल्पकारों का देश हुआ करता था.
एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक नियमों को चुनौतियां देने वाली इमारतें यहां के स्वर्णिम इतिहास की गवाही देती हैं.
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कल्लानाई बांध
कल्लानाई बांध या ग्रैंड एनिकट बांध भारत के प्राचीनतम बांधों में से एक है. बीतते वक़्त के साथ कई इमारतें खंडहर बन चुके हैं पर ये बांध 2000 साल बाद भी जस का तस खड़ा है और इंसानों के काम आ रहा है.
कावेरी नदी के प्राकृतिक बहाव को रोकने के लिए इसे बनाया गया था. जिस समय ये बनाया गया था उस समय ये आस-पास रहने वालों को भयंकर बाढ़ से बचाता था.
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चोल वंशी राजा की देन
दक्षिण भारत के चोल वंश के राजा करिकाल ने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में ये बांध बनवाया था. इसे दुनिया का चौथा पुराना बांध और भारत का पहला बांध कहा जाता है.
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पत्थरों से बना है बांध
ये बांध बड़े-छोटे पत्थरों से बनाया गया है. इसकी लंबाई 329 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर है. 19 वीं शताब्दी में इस बांध को Capt. Caldwell ने दोबारा बनवाया. 20वीं शताब्दी के शुरुआत में इस बांध से कई लाख एकड़ ज़मीन की सिंचाई होने लगी. जब ये बांध बनाया गया था तब इससे सिर्फ़ 69000 एकड़ ज़मीन की सिंचाई होती थी.
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कैसे पहुंचे?
तमिलनाडु के तंजावुर ज़िले से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. ये तंजावुर से 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. तिरुचिरापल्ली डैम से सिर्फ़ 16 किलोमीटर दूर है और यहां चेन्नई से आसानी से पहुंच सकते हैं.