शास्त्रों में बताया गया है कि हमारे देवता अपने भवन और इमारतों को बनाने के लिए विश्वकर्मा जी को बुलाया करते थे. विश्वकर्मा जी को इसीलिए देवताओं का वास्तुकार भी कहा जाता है. उनके द्वारा बनाई इमारतें काफ़ी भव्य और शानदार हुआ करती थीं. कलयुग के इस जमाने में ना देवता रहे हैं और ना ही विश्वकर्मा जैसे वास्तुकार. ऐसे माहौल में बनने वाले कई निर्माणों का हाल ऐसा है कि देखने पर आपकी हंसी छूटे बिना नहीं रह पायेगी.
1. इस सड़क को बनाने वाले को प्रकृति से कुछ ज़्यादा ही प्रेम था.
2. प्रेशर बनने पर इस टॉयलेट में न जाओ तो ही अच्छा.
3. बंदा धोयेगा कहां और पोंछेगा कहां.
4. इस टॉयलेट में दरवाजा लगाने वाला कुछ ज़्यादा ही क्रांतिकारी विचारों वाला रहा होगा.
5. इन सीढ़ियों पर आप चल भी सकते हैं और फिसल भी सकते हैं.
6. पार्किंग के लिए इससे सही जगह ओर क्या होगी.
7. लिलिपुट वासियों के घर इसी तरह के बने होते हैं.
8. इन सीढ़ियों पर जो एक बार चढ़ा वो दोबारा कहीं और चढ़ने के काबिल नहीं रहा.
9. वैसे अगर रेलिंग सीढ़ियों पर ही लगी होती, तो ज़्यादा सही रहता.
10. ऐसे मिस्त्री धरती पर कभी भी कांच को विलुप्त नहीं होने देंगे.
11. यहां लगता है, ईंट और सीमेंट कुछ फालतू बच गया था.
12. मुर्गी, अंडे को छोड़ो और ये बताओ कि दरवाज़ा पहले लगा या चौखट.
13. ख्यालों में डूब कर चलने वालों के लिए यह रास्ता जोख़िम से भरा है.
14. एग्ज़िट का बोर्ड तो लग गया, अब थोड़े दिन में बाहर जाने का दरवाज़ा भी लग ही जायेगा.
15. लगता है भाई का खिड़की लगाने को लेकर मूड बदल गया.
16. खतरों के खिलाड़ी ही इस बैंच पर बैठने का रिस्क ले सकते हैं.
17. अलीबाबा के चालीस चोर, चोरी करने के बाद इसी रास्ते से भागा करते थे.
18. ये सब अमीरों के चोचले हैं, वरना कोई गरीब इतना दिमाग नहीं लगा सकता.
19. आज कुछ तूफ़ानी करते हैं.
20. इस मिस्त्री से पूछना पड़ेगा. भाई, करना क्या चाहते थे?
21. ये सीढ़ियां सीधे स्वर्ग को जाती हैं.
22. दीवार बनाते समय ज़रुर ईंटें कम पड़ गई होंगी.
23. प्लास्टर करने वाले से बिजली लगाने वाला ज़्यादा फ़ास्ट निकला.
24. इन वेटिंग चेयर पर बंदा बैठेगा तो तब जब घर के अंदर घुस पायेगा.
25. ये लगता है मार्केट में नया स्टाइल आया है बोर्ड लगाने का.
इन मिस्त्रियों को देख कर लगता है, आने वाले समय में लोगों को अपने मकान और रास्ते ख़ुद ही बनाने पड़ेंगे. आपकी इस बारे में क्या राय है?