राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले के बिदनोर पंचायत में एक शपथ ग्रहण समारोह देखा गया, जिसमें कई बच्चे और उनके माता-पिता अपने पूज्यनीय का नाम लेकर शपथ ले रहे थे. 

‘मैं अपनी क़ानूनी उम्र से पहले शादी नहीं करूंगा/करूंगी.’ 

‘मैं किसी बाल विवाह में हिस्सा नहीं लूंगा/लूंगी.’ 

‘अगर मुझे किसी किसी बाल विवाह के बारे में पता चला तो मैं उसे रोकने और रिपोर्ट करने की कोशिश करूंगा/करूंगी.’ 

ये शपथ ग्रहण समारोह 26 वर्षीय IAS अधिकारी, अथर आमिर खान द्वारा शुरू की गई मुहिम का हिस्सा है. 

जम्मू कश्मीर के अथर आमिर खान साल 2015 में UPSC के टॉपर थे, इन्होंने राजस्थान के भीलवाड़ा में एक क्रांति की नींव रखी है. 

The Better India के साथ हुई ख़ास बातचीत में अथर ने इस मुहिम के बारे में विस्तार से बताया. 

6 महीने पहले अथर की पोस्टिंग इस इलाके में Sub-Divisional Magistrate(SDM) के रूप में हुई थी, ज्वाइन करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें पता चल गया था कि उन्हें यहां काम करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. 

बाल विवाह और कम शिक्षा दर उन्हें कई परेशानियों की जड़ लगी, उन्होंने पहले इसी मुद्दे पर काम करने की शुरुआत की और सबसे पहले इस समस्या की वजह की पड़ताल की. 

उनके अनुसार, माता-पिता के भीतर डर रहता है कि बच्चे बड़े होकर जाति के बाहर शादी न कर लें और शादी के ख़र्च बचाने के लिए भी वो कई बच्चों की शादी एक साथ कर देते हैं. कई बार ऐसी भयावह स्थिति बन जाती है कि बच्चे दबाव न झेल पाने की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं. 

अथर आमिर ने सीधे छापेमारी कर शादियों को रोकने के साथ-साथ जागरुकता अभियान की शुरुआत की और एक बालविवाह के ऊपर स्कूल और अभिभावकों के बीच एक हैंडबुक बांटी गई. बच्चों को भी खेल के माध्यम से उनके अधिकारों और बाल विवाह के बारे में समझाया जाता है. खान ख़ुद भी स्कूलों, समाजिक आयोजनों और कार्य स्थलों पर जाकर लोगों से बात करते रहते हैं. 

‘कई बार परिवार वाले क़ानून को झांसा देने के लिए Dummy दूल्हे को सामने रख देते हैं. ऐसे में हमें सतर्क रहना पड़ता है. हम ऐसी चीज़ के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं जिसे परंपरा का हिस्सा माना जाता है.’ 

-अथर आमिर खान

इस कुप्रथा को ख़त्म करने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है, इसलिए अथर उस पर जी जान लगा कर काम कर रहे हैं. 

बहाली के बाद जब खान ने स्कूलों का मुआयना किया तो पता चला कि वहां के 78 स्कूलों में मूल सुविधाएं भी नहीं हैं, स्कूल में कम से कम और कहीं-कहीं न के बराबर सुविधा है. इसे समाजिक भागीदारी से ठीक करने का फ़ैसला लिया गया. 

‘जब मैंने IAS ज्वाइन किया था तब मुझे परेशानियों की उम्मीद थी. लेकिन मुझे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि लोगों से मुझे इतना प्यार और अपनापन मिलेगा. यहां कई ख़ामियां हैं और ऐसी चीज़ें भी हैं जिससे ख़ुशी मिलती है. मुझे इस जगह से प्यार है और आशा करता हूं कि हम अपनी सभी योजनाओं को पूरा करें.’ 

-अथर आमिर खान

गांव वालों की मदद से स्कूल में किताबें, डेस्क, पेंसिल आदि बांटी गई. जो गांव वाले पैसों से मदद नहीं कर सकते थे उन्होंने बच्चों के बैठने के लिए दरी दान में दीं. खान के प्रयासों की वजह से 6 महीनों के भीतर 70 स्कूलों में ठीक-ठाक सुविधा जुटा ली गई. 

समस्याएं देश के हर हिस्से में व्याप्त हैं लेकिन कुछ ही लोग और अधिकारी उसे ठीक करने का बीड़ा उठाते हैं, अथर आमिर खान उन कुछ लोगों में से हैं. अगर आप अथर की इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आप उनसे atharaamirkhan@gmail.com से संपर्क कर सकते हैं.