जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, अगर किसी मासूम बच्चे को उस उम्र में केवल एक जगह पर बैठा देखकर कैसा लगेगा. शायद दिल दुखी हो जाएगा. ज़रा सोचो उस बच्चे के पेरेंट्स पर क्या बीतती होगी, जब उनका बच्चा बाकी बच्चों की तरह दौड़-भाग नहीं पाता है. ऐसा ही एक बच्चा है, जिंदा रहने के लिए ब्लू लाइट के नीचे रहना पड़ता है.
जी हां, इंग्लैंड के Bedfordshire के Luton में रहने वाले 4 साल के इस्माइल अली को लीवर की एक दुर्लभ बीमारी है, जिसके कारण उसे रोज़ाना 20 घंटे ब्लू लाइट (Photo Therapy Lights) के नीचे रहना पड़ता है.
इस्माइल जब कुछ हफ़्तों का ही था, तब से वो फ़ोटोथैरेपी लाइट्स के नीचे ही रहता है. उसके लिए उसका बेड ही उसकी छोटी सी दुनिया है. वो बेड है, तो उसकी ज़िन्दगी है.
इस्माइल को Crigler-Najjar या आजीवन पीलिया (Lifetime Jaundice) है. इस बीमारी के इलाज के लिए ही उसको दिन के 20 घंटे एक ख़ास तरह की ब्लू लाइट के नीचे रहना होता है, जो उसके बेड के ऊपर ही लगी हुई हैं.
Crigler-Najjar नामक बीमारी की वजह से इस्माइल को इस तरह का जीवन जीना पड़ रहा है. वो अपने इसी ख़ास बेड पर खाता है, सोता, खेलता और पढ़ता है.
बीमारी की वजह से इस्माइल के शरीर में एक विशेष प्रकार के एंजाइम नहीं बनते हैं.
डॉक्टरों का दावा है कि ये बीमारी दुनिया में केवल 100 लोगों को है. डॉक्टरों का कहना है कि यदि उसको ये इलाज नहीं दिया जाएगा, तो इस्माइल का ब्रेन डैमेज हो सकता है.
इस्माइल अपने पूरे परिवार के साथ इंग्लैंड के ल्यूटन शहर में रहता है. इस्माइल की मां कहती हैं कि ये बीमारी उसे पैदाइशी है और ब्लू लाइट के नीचे रहने के अलावा इसका कोई इलाज नहीं है. इसलिए हम उसे बेहतर बचपन देने की कोशिश कर रहे है.
हमने उसके बेड को खिलौनों से सजा रखा है. वह लाइट के नीचे बैठकर बस मुस्कुराता रहता है.
जब वह ब्लू लाइट से किसी दूसरे बेड पर जाता है, तो जोर से छलांग लगाता है.
उसका ध्यान रखने के लिए हम कहीं नहीं जाते हैं, यहां तक कि हमने किसी भी तरह की पार्टियों में भी जाना छोड़ दिया है.
इस्माइल की फैमिली ने वेस्ट यॉर्कशायर के इंजीनियरों से उसके लिए ख़ास बेड बनवाया है. इस बेड में दो बड़ी ब्लू लाइट्स लगी हैं, जिनसे फ़ोटोग्राफ़िक किरणें निकलती है.
इन किरणों का तापमान 43 डिग्री तक होता है और इसे इस्माइल की आवश्यकतानुसार कम या ज़्यादा किया जाता है. साथ ही उसे ऑक्सीजन भी दी जाती है. इससे इस्माइल के लीवर में टॉक्सिन बनता है.
इस्माइल 24 घंटे में से सिर्फ़ चार घंटे ही लाइट से दूर रह पाता है और इस दौरान जब वो ठीक होता है, तो वो पढ़ाई करने के लिए 2 घंटे स्कूल भी जाता है.
इस्माइल की मां के मुताबिक, नेशनल हेल्थ सर्विस इस्माइल के इलाज में उनकी मदद कर रही है.
अब इस्माइल के लिए ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस की ओर से नीदरलैंड में एक और स्पेशल बिली बेड बनवाया जा रहा है.
बेड बन जाने के बाद उसे सिर्फ़ सात घंटे ब्लू लाइट के नीचे रहना पड़ेगा.
हम आशा करते हैं कि धीरे-धीरे ये 7 घंटे भी कम हो जायें और इस्माइल एकदम स्वस्थ हो जाए.