रिश्ता अगर सच्चा हो, तो उसे ज़माने के सर्टिफ़िकेट की ज़रूरत नहीं होती. उदयपुर के रहने वाले इस कपल की ये प्रेम कहानी आपका दिल छू जाएगी. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 48 साल पहले परगियपाड़ा गांव के रहने वाले 76 साल के देवदास कालासुआ को पड़ोस के गांव की मगडु बाई से प्यार हो गया.
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इनकी लव स्टोरी में दिक्कत जातिवाद या धर्म नहीं, बल्कि देवदास की पहली शादी थी. दरअसल, देवदास पहले से ही शादीशुदा थे, इसके बावजूद वो मगडु बाई को अपना दिल दे बैठे. धीरे-धीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया और दोनों ने एक साथ रहने का फ़ैसला किया. सामाजिक स्वाकृति न मिलने के कारण देवदास, मगडु बाई को अपने घर तो ले आए, लेकिन शादी नहीं की.
देवदास की पहली पत्नी को उनकी प्रेमिका से कोई परेशानी थी और दोनों ख़ुशी-ख़ुशी साथ रहने लगी. ज़िंदगी के 48 बरस हंसी-ख़ुशी एक साथ बिताने बाद, ब़ुज़ुर्ग कपल के बच्चों को सामाजिक स्वीकृति से उनकी शादी कराने का ख़्याल आया और बीते मंगलवार को उन्होंने गांव और परिवार के सामने उनका भव्य विवाह सम्पन्न कराया. नवविवाहित दंपत्ति के पोते-परपोते भी इस शुभ कार्य का गवाह बने.
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देवदास के बेटे अर्जुनलाल एक स्कूल टीचर हैं. अपने माता-पिता के ख़ास रिश्ते पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘मैं काफ़ी समय से चाह रहा था कि मेरे पेरेंट्स के रिश्ते को सामाजिक स्वीकृति मिले. हांलाकि, स्थानीय रीति-रिवाज़ों के मुताबिक दोनों पक्षों और पंचायत की मर्ज़ी के बिना ये संभव नहीं हो सका था.’
आज के वक़्त में कई लोग लिव-इन रिलेशनशिप को गंदी नज़रों से देखते हैं, लेकिन अगर प्यार सच्चा हो, तो उसे शादी के मुहर की ज़रूरत नहीं होती. हमारी तरफ़ से इस नवविवाहित बुज़ुर्ग दंपत्ति को शादी की बधाई!