अपनों को खोने के दर्द को बयां करना नामुमकिन है. सोचकर ही रूह कांप जाती है कि माता-पिता के बिना ज़िन्दगी कैसे बीतेगी. हमारे माता-पिता तो हमारे साथ हैं, लेकिन देश में ऐसे कई बच्चे हैं, जो महीनों अपने माता-पिता से नहीं मिलते.
ये वो बच्चे हैं जिनके माता-पिता हमारी सुरक्षा के कारण अपने घर-परिवार को छोड़कर सीमा पर खड़े रहते हैं, ताकि हम चैन की नींद सो सकें.
दुश्मनों के हमले और कभी किसी अन्य दुर्घटना के कारण शहीद हुए जवानों के परिवार कैसे उस दुख से उबरते हैं, इसका हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते.
15 फरवरी को असम के माजुली द्वीप के पास Microlight Helicopter क्रैश होने के कारण भारतीय वायुसेना के दो जवान शहीद हो गये.
विंग कमांडर दुष्यंत वत्स के अंतिम संस्कार की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली गई. इस तस्वीर में शहीद दुष्यंत वत्स की पत्नी मेजर कुमुद डोगरा अपनी 5 दिन की बेटी को गोद में लेकर शामिल हुईं.
मेजर कुमुद पूरी यूनिफॉर्म में अपने पति को अंतिम विदाई देने आईं. एक फ़ेसबुक पोस्ट के मुताबिक, शहीद विंग कमांडर अपनी बेटी से मिल भी नहीं पाये थे. उस बच्ची को तो पिता का स्पर्श तक नसीब नहीं हुआ, ये सोचकर ही दिल बैठ जाता है.