अलिबाग पुलिस ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर, अर्नब गोस्वामी को गिरफ़्तार कर लिया. अर्नब को उनके मुंबई स्थित घर से गिरफ़्तार किया गया. अर्नब पर आरोप है कि 2018 में उन्होंने इंटीरियर डिज़ाइनर, अन्वय नाइक और उसकी मां कुमुद नाइक को ख़ुदकुशी करने के लिए भड़काया था. पुलिस ने धारा 306 और 34 के अंतर्गत उनकी गिरफ़्तारी की. इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है.     

अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी से चारों ओर हल्ला है. कई लोगों ने इसे महाराष्ट्र सरकार की गुंडागर्दी बताया, तो कई ने लोकतंत्र का दमन बताया. हांलाकि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब किसी मामले में कोई पत्रकार जेल के अंदर है. इससे पहले भी कुछ जर्नलिस्ट जेल की हवा खा चुके हैं.

1. प्रशांत कनौजिया

इस साल अगस्त महीने में पत्रकार प्रशांत कनौजिया को यूपी पुलिस ने एक विवादित ट्वीट के लिये गिरफ़्तार किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत कनौजिया ने राम मंदिर से जुड़ा एक भड़काऊ ट्वीट किया था. इसके बाद पुलिस ने जाति, धर्म और वर्ग को बांटने के जुर्म में एफ़आईआर दर्ज कर, उन्हें हिरासत में ले लिया. हांलाकि, काफ़ी खोजबीन के बाद भी प्रशांत का कोई भड़काऊ ट्वीट सामने नहीं आया था.

ibtimes

2. सुधीर चौधरी

सुधीर चौधरी को 2012 में व्यापारी और सांसद नवीन जिंदल से जबरन 100 करोड़ रुपये वसूलने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. 

dnaindia

3. शेवांग रिगजिन

शेवांग रिगजिन लद्दाख़ के एक न्यूजपेपर में बतौर पत्रकार काम करते हैं. सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा पर ये सच है. पत्रकार को सिर्फ़ इसलिये अरेस्ट कर लिया गया था, क्योंकि किसी व्यक्ति ने उनके फ़ेसबुक ग्रुप पर बीजेपी सांसद के ख़िलाफ़ कमेंट किया था. शेवांग की गिरफ़्तारी बीजेपी सांसद जाम्यांग शेरिंग नामग्याल की शिकायत के बाद हुई थी. 

FB

4. धवल पटेल

गुजराती पत्रकार धवल पटेल ने 7 मई को ‘फे़स ऑफ़ द नेशन’ पर एक आर्टिकल छापा था. आर्टिकल के जरिये उन्होंने गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना व्यक्त की थी. पुलिस ने ये कहते हुए उन्हें अरेस्ट किया कि उन्होंने कोविड-19 के दौर में माहौल बिगाड़ने की कोशिश की. इसके साथ ही उनके लेख में कोई तथ्य मौजूद नहीं है.    

article

5. सिद्दीकी कप्पन

केरल निवासी सिद्दीकी कप्पन 6 अक्टूबर को हाथरस में हुए रेप एंड मर्डर केस को कवर करने जा रहे थे. इस दौरान उन्हें यूपी के टोल प्लाज़ा पर अरेस्ट कर लिया गया था. पत्रकार कप्पन को हाथरस में जातीय दंगा फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. इसके साथ ही उन्हें PFI का कार्यकर्ता भी बताया गया.    

thehindu

ख़बर लिखने और बनाने वाले अक़सर ख़बरों में आ जाते हैं. इस देश में कोई बड़ी बात नहीं है.