मैं ये बेशक़ मानती हूं कि इस दुनिया में हर रिश्ता अलग होता है. मगर जब भी मैं ये सोचती हूं कि मुझे मेरे पार्टनर में क्या चाहिए, तो उस समय मेरे मन ये ये बिलकुल भी नहीं आता कि वो कितना कमाता है कितना नहीं? बल्कि मेरे मन में सबसे पहले ये सवाल आता है कि वो मेरी कितनी इज़्ज़त करेगा? मेरे विचारों का कितना सम्मान करेगा? क्योंकि लम्बे वक़्त में रुपये और शक़्ल नहीं बल्कि यही सब है जो वाक़ई में हर किसी के लिए मायने रखता है.
इसलिए सिर्फ़ मेरे लिए ही नहीं, बल्कि हर रिश्ते में ये 5 चीज़ें होनी बेहद ज़रूरी हैं-
1. इज़्ज़त
बिना इज़्ज़त के दुनिया का कोई भी रिश्ता नहीं चल सकता है. मेरा मानना तो ये है कि चाहे कुछ भी हो जाए हमें इसमें कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए. इज़्ज़त का होना मतलब आपका पार्टनर आपके विचारों और मूल्यों कि क़द्र करता है, भले ही वो उससे राज़ी न हो. इसका मतलब वो आपको अपनी बात रखने का मौका दे. आप जो हों जैसे हों वो उसे स्वीकारे.
2. आज़ादी
हर इंसान के लिए आज़ादी बेहद ज़रूरी है. ज़रा सोचिए क्या आप ऐसे रिश्ते में रहना पसंद करेंगे जिसमें आपको अपने लिए फ़ैसला लेने का हक़ ही न हो. हां कभी-कभी दूसरों की ख़ुशी या अपने पार्टनर की बात सुनने में कोई हर्ज़ नहीं है. मगर यदि आपका हर फ़ैसला उसी के हिसाब से चलने लगे तो आपको एक बार अपने रिश्ते के बारे में सोचने की ज़रूरत है. क्योंकि अगर आप ख़ुल कर अपने लिए ही कोई फैसला नहीं ले सकते हैं तो ख़ुल कर प्यार कैसे करेंगें?
3. प्राइवेसी
हर रिश्ते में आपके पास ये हक़ भी होना चाहिए है कि आप अपने जीवन के कुछ हिस्से या किस्से अपने तक ही रखें और इसमें कोई बुराई भी नहीं है. हमें ये समझना होगा कि हमारे पार्टनर की कुछ इमोशनल या शारीरिक सीमाएं हैं जिसके अंदर वो नहीं चाहते कि आप आएं. भले ही आपकी नज़र में उनकी ये सीमाएं एकदम समझ न आएं, फिर भी आपको इसकी इज़्ज़त करनी ही होगी.
4. समानता
समानता का मतलब सिर्फ़ धन दौलत से नहीं बल्कि विचारों से होना चाहिए. समानता ख़ुल कर अपनी बात रखने की. हर रिश्ते के लिए समानता अलग होती है. ऐसा नहीं हो सकता कि एक इंसान बहुत कुछ करे और दूसरा उसके लिए बेहद कम. किसी भी रिश्ते में ये ज़रूरी है कि दोनों कि बराबर की भागीदारी हो वरना आगे चल कर यही चीज़ें मुश्किलें पैदा करती हैं.
5. सहानुभूति
अगर आप अपने पार्टनर को ही अच्छे से मसझ नहीं पाएंगें तो फिर किसको समझेंगे? अधिकतर झगड़े इसलिए होते हैं क्योंकि हम एक दूसरे को समझने के बजाय एक दूसरे के समक्ष अपना नज़रिया रखने पर लगते हैं. हमें एक दूसरे की बातों को समझना होगा. यही नहीं जब हम एक दूसरे के प्रति सहानुभूति का भाव रखेंगे तो ही हम अपने पार्टनर पर ज़्यादा ध्यान दे पाएंगे.