हम सबने सुन रखा होगा कि श्रीमद्भगवद्गीता में सही जीवन जीने का तरीका छुपा हुआ है. महाभारत युद्ध के समय भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिये गये उपदेश किसी के लिए भी आज भी फ़ायदेमंद हो सकते हैं. श्री कृष्ण की बातों का प्रभाव अर्जुन पर ऐसा पड़ा था कि वो युद्ध भूमि में फिर से खड़े हो गए थे. ऐसे ही गीता किसी को भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए सही रास्ता दिखा सकती है.
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क्योंकि महाभारत के रहन-सहन और अब के रहन-सहन में ज़मीन आसमान का अंतर है तो कई लोग ये भी सोच सकते हैं कि सदियों पुरानी ये बातें आज लागू भी हो सकती हैं क्या? मगर गीता में कही हर बात को अपने जीवन में उतार कर जीवन आसान बनाया जा सकता है.
गीता में आज के जीवन की 6 प्रमुख समस्याओं के बारे में क्या कहा गया है जानिए:
1. गीता : काम के बारे में
गीता का अध्याय-2 श्लोक-47:
इसका अर्थ है कि किसी भी इंसान का सिर्फ़ काम करने का ही अधिकार है लेकिन उसका क्या फल आएगा इस पर तुम्हारा अधिकार नहीं है. उस काम से ज़्यादा उसके फल पर ध्यान न दो. सिर्फ़ काम को अच्छी तरह से करो.
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2. गीता : गु़स्से के बारे में
गीता का अध्याय-2 श्लोक-63:
इसका अर्थ है कि गुस्सा करने से मोह उत्पन्न होता है और मोह से याद करने की शक्ति का नाश होता है और जब स्मरणशक्ति भ्रमित हो जाति है, तो बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि नष्ट होने पर इंसान भी नष्ट हो जाता है.
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3. गीता : मन को काबू रखने के बारे में
गीता का अध्याय-6 श्लोक-35:
इसका अर्थ है कि मन बहुत ही चंचल होता है और इसको अपने वश में करना कठिन होता है इसमें कोई शक़ नहीं है मगर सही अभ्यास और वैराग्य किया जाए तो मन को काबू में किया जा सकता है.
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4. गीता : दोस्ती और दुश्मनी के बारे में
गीता का अध्याय-6 श्लोक-5:
इसका अर्थ है कि आप अपने द्वारा ही अपना उद्धार करें क्योंकि आप ही अपने मित्र और आप ही अपने शत्रु हैं.
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5. गीता : दुःख और सुख
गीता का अध्याय-2 श्लोक-56:
इसका अर्थ है कि जो दुःख में जिसका दिमाग़ पहले सा रहता है और जो सुख के लिए तरसता नहीं है. जो किसी भी तरह के लगाव, डर और गुस्से से बंधा नहीं है उसे ही असली ज्ञानी कहा जाएगा.
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6. गीता : मौत के बारे में
गीता का अध्याय-2 श्लोक-27:
इसका अर्थ है कि जिसने भी जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के पश्चात् पुनर्जन्म भी निश्चित है. इसको किसी भी तरह से टाला नहीं जा सकता इसलिए जो होना ही है उस चीज़ का शोक नहीं करना चाहिए.