दिल्ली में बहुत प्रदूषण है, सरकार कुछ करती क्यों नहीं?
बंगलुरू में पानी की बहुत कमी है, सरकार कुछ करती क्यों नहीं?
गंगा बहुत मैली हो गई है, सरकार कुछ करती क्यों नहीं?
इन टिप्पणियों से मिलती-जुलती टिप्पियां आपने भी सुनी होंगी या फिर की ही होंगी. सरकार किसी भी पार्टी की हो, आस-पास की हर समस्या का ज़िम्मेदार हम सरकार को ही ठहराते हैं. लेकिन हम उन समस्याओं से लड़ने के लिए क्या करते हैं? सोचिए, जवाब ज़रूर मिलेगा…
अगर उत्तर नहीं मिला. तो समझ लीजिए हम अपने तरफ़ से सरकार को खरी-खरी सुनाने के अलावा कुछ नहीं करते. प्रदूषण, स्वच्छता… ये समस्याएं तभी सुधर सकती हैं जब हम अपने तरफ़ से भी कुछ करें और सरकार की योजनाओं के भरोसे न बैठे रहे.
हमारे बीच ही ऐसे कई उदाहरण है जहां लोगों ने एकसाथ मिलकर असंभव को संभव कर दिखाया है.
1. वरसोवा Beach Clean Up

इस अभियान के बारे में शायद ही कोई होगा जिसने न सुना होगा. एक वक़्त था जब वरसोवा Beach पर पड़े प्लास्टिक पर गोता लगाना संभव था और अब यहां की शक़्ल-सूरत पूरी तरह से बदल गई है. कारण? मुंबईवालों की ज़िद, अपने समुद्री तटों को ख़ूबसूरत बनाने की ज़िद. 2 साल में मुंबई वालों ने इस बीच की ऐसी सफ़ाई की है कि अब यहां Sea Turtles वापस आने लगे हैं. 21 महीने में इस बीच से 5.3 मिलियन किलोग्राम कूड़ा उठाया गया और आज भी मुंबई वाले इस बीच की सफ़ाई का ध्यान रख रहे हैं.
2. Mission Gange

गंगा की सफ़ाई में अब तक कई हज़ार करोड़ ख़र्च कर दिए गए. मौजूदा सरकार ने तो एक अलग मंत्रालय भी बनाया. इतना सब करने के बाद भी गंगा की मौजूदा हालत क्या है इससे हम भली-भांति परिचित हैं. इन सबके बीच ‘Mission Gange’ द्वारा स्थापित किया गया उदाहरण ये साबित करता है कि गंगा सफ़ाई मुश्किल है, नामुमकिन नहीं. बछेंद्री पाल के नेतृत्व में 40 लोगों ने हरिद्वार से पटना तक गंगा यात्रा की. 40 लोगों के साथ सैंकड़ों लोग जुड़े और महीने भर में गंगा से 55 टन कूड़ा साफ़ कर दिया गया.
3. Himalayan Clean Up 2018

12 पहाड़ी शहरों में कई लोगों ने 26 मई को सफ़ाई अभियान शुरू किया. मक़सद था, जागरूकता फैलाना. 12 शहरों में 245 जगहों से कूड़ा हटाया गया. मुख्य उद्देश्य था, ‘पहाड़ों से प्लास्टिक हटाना’. इस अभियान में सरकारी और ग़ैर-सरकारी संगठनों ने मिलकर काम किया. इस अभियान में सैंकड़ों किलो कूड़ा उठाया गया. Waste Warriors नामक संस्था ने भी इस अभियान में हिस्सा लिया था. इस संगठन ने देहरादून से 571 किलोग्राम, धर्मशाला से 288 किलोग्राम, कॉर्बेट से 128 किलोग्राम कूड़ा उठाया. अब सोचिए 1 दिन की सफ़ाई में अगर इतनी सफ़ाई की जा सकती है तो जनभागिदारी बढ़ने पर क्या होगा?
4. Chennai Coastal Clean Up

साल में एक बार हज़ारों लोग मिलकर चेन्नई के Beaches, तटीय इलाकों की सफ़ाई करते हैं. इन हज़ारों लोगों में IT कंपनी के कर्मचारी से लेकर स्कूल और कॉलेज के बच्चे तक शामिल हैं. Chennai Coastal Clean Up द्वारा इकट्ठे किए कूड़े में से 90 प्रतिशत चीज़ों की Recycling हो जाती है.
5. Triund Trek की सफ़ाई

ट्रेकर्स के पसंदीदा ट्रेक्स में से एक है Triund ट्रेक. ज़ाहिर है इस ट्रेक पर हर कदम पर इंसानों ने अपनी निशानियां (प्लास्टिक की बोतलें, कैन आदि) भी प्रचुर मात्रा में छोड़ी होंगी. Waste Warriors नामक Voluntary संस्था के 30 Volunteers इस ट्रेक रूट में आने वाले 30 हज़ार सैलानियों के कूड़े को साफ़ करते हैं.
6. Plantation Drives

गांव, शहर, स्कूल, कॉलेज, दफ़्तर, हर जगह Plantation Drives चलाए जाते हैं. कहीं-कहीं लगाए गए पौधों पर ध्यान दिया जाता है और कहीं-कहीं उन्हें प्रकृति के भरोसे ही छोड़ दिया जाता है.
ऐसे ही अनगिनत उदाहरण हैं हमारे आस-पास. लोगों ने अपने दम पर नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है. जिस देश के प्रधानमंत्री तक ने झाड़ू उठा लिया, क्या वहां के देशवासी एकसाथ मिलकर प्रकृति का संरक्षण नहीं कर सकते? कुछ लोगों ये दलील देते हैं कि सरकार कुछ नहीं कर रही है, ठीक है. आप करिए. अपने घर ही नहीं, आस-पास की भी सफ़ाई का बीड़ा उठाइए. सड़क पर कूड़ा न फेंककर, कूड़ा डालने की जगह पर फेंकिए.
ये इतना भी मुश्किल काम नहीं. ऐसी ही छोटी-छोटी कोशिशों से हमारा वातावरण रहने लायक तो हो ही जाएगा.