भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कुछ दिनों में ‘गोली की तेज़ी’ से कई ऐतिहासिक फ़ैसले दिए हैं.

आधार से लेकर सबरीमाला मंदिर में प्रवेश तक सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कई गंभीर विषयों पर अपना निर्णय दे दिया है. ये कुछ ऐसे फ़ैसले हैं जिनसे न सिर्फ़ हमारे समाज के कुछ लोगों को पहचान मिली, बल्कि इन फ़ैसलों से हमारा आने वाला कल भी विकसित और बेहतर होगा.

सुप्रीम कोर्ट के आज के फ़ैसले, जो आने वाले कल को सुदृढ़ करेंगे:

1. सबरीमाला मंदिर में सभी आयु की महिलाओं का प्रवेश

DB

28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की आज्ञा दे दी. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि लिंग के आधार पर किसी को पूजा-अर्चना करने से नहीं रोका जा सकता. केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 वर्ष तक की महिलाओं का प्रवेश निषेध था.

2. आधार

News 18

26 सितंबर को 5 न्यायाधीशों की बेंच ने आधार की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को ख़ारिज किया और आधार को संवैधानिक वैधता दे दी. इसके अलावा ये भी निर्णय दिया कि आधार नंबर को फ़ोन नंबर से लिंक करना अनिवार्य नहीं है. ये भी कहा कि प्राइवेट कंपनियां KYC के नाम पर आधार नहीं मांग सकती और न ही स्कूल में दाखिले के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है.

3. सेक्शन 377 आपराधिक नही

Indian Express

6 सितंबर 2018 को भारत में पूरी तरह से ‘प्यार की जीत’ हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेज़ों के ज़माने के क़ानून (समलैंगिकता अपराध है) को बदल दिया.

कई सालों से Activists आदम ज़माने के इस क़ानून को बदलने की मांग कर रहे थे. कई Activists की तो लड़ते-लड़ते जान भी चली गई. 5 न्यायाधीशों की बेंच ने एकमत होकर निर्णय दिया कि अंग्रेज़ों के ज़माने के इस नियम को बदलना अनिवार्य है.

4. Adultery

Outlook India

27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सेक्शन 497 को हटाया और कहा ‘पत्नी पति की संपत्ति नहीं है.’ भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मिश्रा ने ये भी कहा कि ये सेक्शन निजता के अधिकार का कुछ हद तक हनन करता है.

5. तीन तलाक़

Quora

सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन तीन तलाक़ को ग़ैरक़ानूनी घोषित किया. इस साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हक़ में फ़ैसला सुनाया.

6. इच्छामृत्यु

Proto Info

9 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने ये ऐतिहासिक निर्णय दिया और Passive Euthanasia को क़ानूनी तौर पर वैधता दे दी. निर्णय में ये भी कहा गया कि Passive Euthanasia तभी वैध होगी जब कोई ‘Terminally Ill’ हो या ‘Vegetative State’ में हो तभी Passive Euthanasia मान्य होगी.

इन फ़ैसलों के साथ ही ऐसे कई व्यक्तियों को पहचान भी मिली, जो सालों से अपनी आज़ादी का इंतज़ार कर रहे थे. WhatsApp Message पर ख़त्म होने वाली शादियां भी इन फ़ैसलों के बल पर रोकी जा सकेंगी.