भारत को किसानों का देश कहा जाता है. कहते हैं गांव में ही भारत की आत्मा बस्ती है. काम के सिलसिले में गांव की आधी आबादी शहरों में बसने लगी है, लेकिन अभी भी भारत की जान उसके गांव ही हैं. हरे-हरे खेतों, नीले पानी वाले तालाब और नीले आकाश के तले खाट पर लेटने में जो सुकून मिलता है, उसके आगे सब फ़ेल है. 

भले ही गांव और शहरों में ज़मीन-आसमान का फ़र्क हो, लेकिन देश में ऐसे कई गांव हैं, जो विकास के मामले में किसी शहर से कम नहीं.

1. Pothanikkad, केरल

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केरल के इस गांव ने 100 प्रतिक्षत साक्षरता हासिल कर ली है. इस गांव का सबसे पुराना स्कूल है, St.Mary’s High School. 2011 में यहां 17,563 निवासी रहते थे और सभी शिक्षित थे.

2. छप्पर, हरियाणा

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हरियाणा, एक ऐसा राज्य जहां महिला लिंग अनुपात बहुत कम है. इस राज्य में एक ऐसा गांव भी है जहां बेटियों के जन्म पर मिठाई बांटी जाती है. यहां की पूर्व सरपंच नीलम ने बेटियों और महिलाओं की ज़िन्दगी सुधारने की ठान ली थी और वो कामयाब भी हुई थीं. इस गांव की महिलाओं ने लंबे घूंघट में रहना भी छोड़ दिया है.

3. बलिया, उत्तर प्रदेश

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बलिया में एक भयंकर समस्या थी. यहां के रहनेवाले आर्सेनिक युक्त पानी पीते थे और कई स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित थे. बलिया में ये दिक्कत शुरू हुई जब सरकार ने हैंड-पंप लगवाए. समस्या की गंभीरता को समझने के बाद गांववालों ने सारे पुराने कुंओं की सफ़ाई की और समस्या से निजात पाया.

4. Mawlynnong, मेघालय

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मेघालय के Mawlynnong को एशिया का सबसे साफ़-सुथरा गांव घोषित किया गया है. 2003 में ही इस गांव को ये उपलब्धि मिल गई थी. प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसा ही है. गांववाले ख़ुद ही अपने गांव की सफ़ाई करते हैं. गांव के कोने-कोने में कूड़ेदान लगे हैं और यहां आपको प्लास्टिक के रैपर, सिगरेट के टुकड़े कुछ भी नहीं मिलेंगे.

5. Korkrebellur, कर्नाटक

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कर्नाटक का ये छोटा सा गांव प्रकृति की रक्षा में तत्पर है. आमतौर पर किसान, पक्षियों को खेती का नाश करने वाले ही समझते हैं. लेकिन इस गांव में कई दुर्लभ पक्षी आते हैं. न ये पक्षी इंसानों को तंग करते हैं और न ही इंसान पक्षियों को. गांववालों ने ज़ख़्मी परिंदों के लिए एक अलग डेरा भी बना दिया है.

6. हिवड़े बाज़ार, महाराष्ट्र

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ये गांव है अहमदनगर ज़िले में. एक ऐसा ज़िला, जो अक़सर सूखे की मार झेलता है. हिवड़े बाज़ार देश का एकमात्र ऐसा गांव हैं जहां 60 लखपति हैं और एक भी ग़रीब नहीं. 1990 में पोपटराव पवार को इस गांव का सरपंच चुना गया और उन्होंने इस गांव की काया पलट दी. गांव में नशीले पदार्थों पर रोक लगाने से लेकर बरसात के पानी का उचित प्रयोग तक, पवार ने गांव में ये सब शुरू करवाया. नतीजा ये हुआ कि गांव की प्रति व्यक्ति आय, 830 से बढ़कर 30 हज़ार हो गई.

7. पुनसारी, गुजरात

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पुनसारी में इतनी सुविधाएं हैं जो कई शहरों में भी नहीं होती. इस गांव में 24 घंटे Wifi व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. एक प्राइमरी स्कूल होने के अलावा यहां की सड़कों पर लगी बत्तियां सौर ऊर्जा से चलती हैं. इतना ही नहीं, प्रत्येक गांववाले के पास 1 लाख का Accidental Cover और 25 हज़ार का Mediclaim भी है.

देश की प्रगति देखनी है, तो उसके गांव का विकास देखना चाहिए. इस बात को सच साबित कर रहे हैं ये गांव.