छठ के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन कितना जानते हैं ये जानने वाली बात है. कुछ लोग ठेकुआ तक जानते हैं, कुछ गीतों तक जानते हैं, तो कुछ पानी में खड़ी औरतों को सूर्य देव को जल चढ़ाती तस्वीरों तक.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/11/5bea771b19867e7f7c7f30e4_a92b3346-a6fc-4f90-b35d-4f26ce18f52c.jpg)
महापर्व छठ इन सबके अलावा भी बहुत कुछ है. छठ की ये बातें उसी को पता होगी, जिसने इस त्योहार को करीब से जीया है.
छठ को सिर्फ़ एक त्यौहार तक सीमित करेंगे, तो इसके बारे में ज़्यादा नहीं जान पाएंगे. इसे हमारी सभ्यता का हिस्सा मान कर ये बहुत सी बातें सीख सकते हैं:
1. डूबते सूर्य की पूजा
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/11/5bea771b19867e7f7c7f30e4_3a0e6fb5-d46b-4e35-8821-08214a18f8d2.jpg)
सब उगते सूरज की पूजा करते हैं, लेकिन शायद ही कहीं डूबते सूरज को भी पूजा जाता है. छठ में तीसरे दिन यानी संध्या अर्घ्या के दिन डूबते सूरज की भी उपासना की जाती है. आप इस प्रथा के कई सांकेतिक अर्थ निकाल सकते हैं. एक सामान्य अर्थ ये भी निकलता है कि इंसान को ज़िंदगी के बुरे दौर में भी लोगों से समान व्यवहार करना चाहिए. या फिर ये कि ज़िन्दगी का पाठ दुःख से भी उतना ही सीखना, जितना कि सुख.
2. किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/11/5bea771b19867e7f7c7f30e4_62a57d74-6b2d-4ea9-b963-6cb8df3add0a.jpg)
आपने छठ की जितनी भी तस्वीरे देखी होंगी, उन अधिकांश तस्वीरों में आपको महिलाएं ही पूजा करते दिखी होंगी. किंतु असल में छठ का उपवास रखने में लिंग का कोई बंधन नहीं है. पुरुष भी इस पर्व में उपवास रख सकते हैं और रखते हैं.
3. जाति-धर्म का कोई भेद नहीं
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/11/5bea771b19867e7f7c7f30e4_2a7e3967-b001-4af4-9129-acaf0c8bf871.jpg)
जिन यूपी-बिहार के इलाकों में छठ पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है वहां आपको अगर कोइ मुसलमान छठ के दौरान उपवास करता दिख जाए, तो इसमें अचरज की कोई बात नहीं. सांझी सभ्यता की वजह से वहां आपको ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे.
छठ की एक ख़ासियत ये भी है कि इसे कम पैसों में भी मनाया जा सकता है. इसलिए ये मज़दूरों और किसानों के घरों में भी उतनी ही खु़शी और श्रद्धा से मनाया जाता है, जितना सम्पन्न परिवारों में.
4. पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/11/5bea771b19867e7f7c7f30e4_430aa599-6fda-49c3-ba7a-e87792bb1c9b.jpg)
सूर्य और नदी प्रकृति के दो रूप हैं, जो इस त्योहार में पूजे जाते हैं. इसमें बड़े पैमाने पर मूर्ती पूजा या उसका विसर्जन नहीं होता, जिस वजह से नदियां प्रदूषित नहीं होती. पूजा की सामग्री भी वापस घर आ जाती है.
5. साफ़-सफ़ाई
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/11/5bea771b19867e7f7c7f30e4_225bce2c-81ba-4a36-a797-9ede70ad58b4.jpg)
इस त्योहार में साफ़-सफ़ाई का ख़ास महत्व है. गांव और शहरों की गलियों को छठ के दो दिन पहले ही पूरी तरह से साफ़ कर दिया जाता है, आपको किसी गली के कोने पर कूड़ा देखने को नहीं मिलेगा.
6. सामाजिक समरसता
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/11/5bea771b19867e7f7c7f30e4_74665c8b-6c23-4b0c-b6dd-a2e8e6471e3f.jpg)
शहरों में तो कम ही संभव है लेकिन आज भी गांवों में छठ के दौरान लोग अपनी श्रद्धा, क्षमता और मन्नत के अनुसार बाकी घरों में पूजा में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें जैसे, फल, गन्ना, लौकी आदी बांटी जाती हैं. जिन किसानों ने अपने खेतों में गन्ने की फ़सल उगा रखी है, वो आस-पास के लोगों में मुफ़्त में गन्ना बांट देते हैं. अधिकांशत: आटा-चक्की वाले छठ में इस्तेमाल होने वाले गेंहू की पिसाई मुफ़्त में कर देते हैं.
7. छठ की शुरुआत
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2018/11/5bea771b19867e7f7c7f30e4_9c538da3-8899-4081-8709-03191e774d4e.jpg)
रिग वेद में सूर्य की पूजा का ज़िक्र है, इसके लिए कई मंत्र भी लिखे गए हैं. उसमें से कुछ मंत्र छठ पूजा के दौरान भी बोले जाते हैं. और कई ऐसी रीतियों का पालन किया जाता है जिनका ज़िक्र वेदों में है.
इससे जुड़ी एक दंता कथा महाभारत की कहानी से भी आती है. कुंति पुत्र कर्ण भगवान सूर्य का बड़ा उपासक था, दुर्योधन ने उसे अंग देश(जो अब बिहार में है) का राजा बनाया था. कहा जाता है कि वो राजा कर्ण ही था जिसने सबसे पहले छठ पूजा की थी.
इतना पढ़ने के बाद आपके पास भी यूपी-बिहार की जनता जितना ज्ञान आ चुका है. अब आप श्रद्धा और आस्था के साथ-साथ हक़ से छठ का प्रसाद खा सकते हैं.