2020 तबाहियों का मंज़र लेकर आया है. प्रकृति के साथ इंसानों ने जितना खिलवाड़ किया अब इंसान उसी का खामियाज़ा भुगत रहे हैं.
कुछ प्राकृतिक आपदाएं जो इंसानों ने 2020 में झेले-
1. कोविड19 पैंडमिक
कोविड19 पैंडमिक ने दुनियाभर में मौत का तांडव मचा रखा है. इस वायरस की अभी तक कोई वैक्सिन नहीं बनी है और पॉज़िटिव मामलों और वायरस से मरने वालों की तादाद रोज़ बढ़ रही है.
2. इबोला
A new outbreak of #Ebola is occurring in Équateur province, #DRC. 6 cases detected so far, including 4 deaths. WHO surge team already on the ground supporting the response: https://t.co/wtEwTODxEG pic.twitter.com/mz1RjPZSUQ
— World Health Organization (WHO) (@WHO) June 1, 2020
WHO के एक ट्वीट के मुताबिक़, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ द कोन्गो में इबोला के नये केस सामने आये हैं.
3. साइक्लोन अम्फ़न
साइक्लोन अम्फ़न ने भारत के कई राज्यों और बांग्लादेश में तबाही मचाई.
4. साइक्लोन निसर्ग
अनुमान था कि साइक्लोन निसर्ग मुंबई से टकराएगा पर उसने अपना रुख़ बदला और अलिबाग, रायगढ़ समेत अन्य क्षेत्रों में तबाही मचाई. मुंबई में निसर्ग की वजह से भारी बारिश हुई.
5. लोकस्ट (टिड्डी) अटैक
Dreaded #locust swarm on a citrus orchard in #India, possibly Amaravathi in Maharashtra pic.twitter.com/5ZlvK0IzQv
— Channa Prakash (@AgBioWorld) May 27, 2020
Locust swarms now invade India. This from Jaipur in Rajasthan yesterday pic.twitter.com/IzOtposTUu
— Channa Prakash (@AgBioWorld) May 26, 2020
भारत ने 2020 में बीते 26 सालों में सबसे भयंकर टिड्डियों का हमला देखा
6. उत्तराखंड में जंगल की आग
Uttarakhand: Forest fire broke out in Srinagar of Pauri Garhwal district today. Forest officer Anita Kunwar says, “5-6 hectares of forest have been affected. Fire could not be controlled due to wind. More teams will be called to extinguish it.” pic.twitter.com/iJveQaHNK6
— ANI (@ANI) May 23, 2020
हर साल उत्तराखंड के जंगलों में आग लगती है और इस साल 4 दिनों तक लगातार जले जंगलों की वजह से 50 हेकटेयर जंगल ख़ाक हो गये.
7. दिल्ली-एनसीआर में आने वाले भूकंप के झटके
एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में बीते 54 दिनों में 6 बार भूकंप आ चुके हैं.
अगर हम किसी तरह इस साल बच गये तो एक बात हमें अच्छे से समझनी होगी कि प्रकृति से हम हैं, हम से प्रकृति नहीं!