MDH के मालिक ‘महाशय’ धर्मपाल गुलाटी जी अब हमारे बीच नहीं है. बीते गुरुवार दिल का दौरा पड़ने से 97 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. कल सुबह आई इस ख़बर ने हर किसी का दिल तोड़ कर रखा दिया. 97 साल की उम्र में वो पैसों से भी राजा थे और दिलों पर भी राज करते थे. आज की पीढ़ी को भले ही उनके बारे में ज़्यादा जानकारी न हो, पर 90 के दशक का हर एक बच्चा आज भी उनका फ़ैन है.
ऊपर हमने गुलाटी जी के लिये दिलों का राजा शब्द इसलिये इस्तेमाल किया, क्योंकि वो जाते-जाते भी 90 के दशक के बच्चों को ज़िंदगी की कुछ बड़ी सीख देकर गये हैं. अगर आपने इन बातों को गांठ बांध लिया, तो निश्चित ही भविष्य सुनहरा है.
1. क़िस्मत नहीं, मेहनत पर विश्वास करना
1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में जन्मे धर्मपाल गुलाटी विभाजन के बाद भारत आए थे. जब वो दिल्ली पहुंचे थे तो उनके पास मात्र 1500 रुपये थे. इससे उन्होंने एक तांगा ख़रीदा और सवारी ढोने लगे. चूंकि, पाकिस्तान में उनका मसालों का करोबार था. इसलिये वो ज़्यादा जिन तांगा का काम न कर सके. कुछ पैसे जमा किये और महाशियां दी हट्टी (महाशय की दुकान) नामक मसाले की दुकान खोल डाली. धर्मपाल जी उन चंद लोगों में थे, जो क़िस्मत नहीं, मेहनत पर यकीन रखते हैं और अपनी क़िस्मत ख़ुद लिखते हैं.
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2. स्टार्टअप्स का आइडिया
आज कल हर कोई ब्रांड के पीछे भागता है और उसके साथ ही काम करना चाहते हैं. पर धर्मपाल जी ने ऐसा बिल्कुल नहीं सोचा. उन्होंने अपने देसी मसालों के करोबार को इतनी शिद्दत से चलाया कि वो स्टार्टअप से जल्द ही दुनियाभर में मशहूर ब्रांड बन गया. स्टार्टअप आईडिया अगर अच्छा हो, तो भविष्य में वो बड़ा ब्रांड बन सकता है.
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3. रुढ़िवादी विचारधारा को तोड़ना
घर के बने मसालों से पहले उन्होंने लोकल बाज़ार में अपनी पहचान बनाई. इसके बाद देशभर में मशहूर हुए और फिर धीरे-धीरे दुनियाभर में अपनी पैठ बनाई. धर्मपाल जी ने अपने कारोबार को ब्रांड बना कर उन सभी लोगों की सोच को चुनैती दी, जो सोचते हैं घर पर बने मसालों को कौन ख़रीदेगा?
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4. कोई आईडिया छोटा या बेकार नहीं होता
धर्मपाल जी अपने काम को लेकर एकदम क्लीयर थे. इसलिये उन्होंने अपने स्टार्टअप के साथ एक्सपेरीमेंट किया और सफ़ल रहे. अगर दिमाग़ में कोई काम करने का आईडिया आये, तो उसे पूरा करें. हो सकता है कि आने वाले कल में वो बेहतर साबित हो.
5. मार्केटिंग एंड ब्रांडिंग
अगर आप किसी भी चीज़ का स्टार्टअप शुरू करते हैं, तो उसकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग ज़बरदस्त होनी चाहिये. जिस तरह से धर्मपाल जी ने MDH को लोगों के बीच प्रमोट किया वो क़ाबिले-ए-तारीफ़ है. आज अगर दुकान पर जाओ, तो कोई मसाला मिले न मिले. MDH रखा हुआ ज़रूर मिलता है.
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6. स्कूल छोड़ने वाले भी बहुत आगे निकल सकते हैं
धर्मपाल जी के पास कॉलेज की डिग्री नहीं थी. यहां तक कि वो स्कूल की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाये थे. अगर उनके पास कुछ था, तो था दिमाग़, आईडिया और लगन. इन तीनों को मिलाकर उन्होंने इसे अपनी ताक़त बनाया और दुनिया पर छा गये. इसलिये डिग्री नहीं, अपने दिमाग़ पर भरोसा करें.
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7. अकेले चलकर आप मीलों का सफ़र तय कर सकते हैं
धर्मपाल जी को ख़ुद पर भरोसा था. इसलिये उन्होंने वही किया, जो वो करना चाहते थे. अपने काम के लिये वो कभी किसी पर निर्भर नहीं रहे और आज बच्चा-बच्चा उन्हें जानता है. ज़िंदगी के सफ़र में अकेले चलते गये और आगे बढ़ते गये.
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धर्मपाल जी की उम्र को लेकर हमेशा मीम बनते रहे, लेकिन जब वो हकीक़त में गये, तो सच दिल इस ख़बर पर विश्वास नहीं कर पा रहा. हम सभी को उनकी ज़िंदगी से सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिये.