दिल वालों की दिल्ली, अपने अंदर सदियों से इतिहास को समेटे खड़ी हुई है. इस शहर के कोने-कोने में आपको भागता वक़्त भी दिखेगा तो उसी भागम-भाग में सुकून के पल भी.  

दिल्ली को लोग खाने-पीने और उसकी तंग गलियों के अलावा ऐतिहासिक स्मारकों के लिए याद रखते हैं. वो स्मारक, जो भारत के होने का प्रतीक है, ऐतिहासिक कहानियों और विरासतों का आईना है.  

दिल्ली भ्रमण को आए हर व्यक्ति की लिस्ट में लाल किला, इंडिया गेट और हुमायूं का मक़बरा जैसे लोकप्रिय स्मारक होते ही होते हैं. मगर शहर में कुछ ऐसे भी स्मारक हैं जिनपर लोगों की नज़र नहीं जाती या ज़्यादा लोग इन स्मारकों के बारे में नहीं जानते.  

तो चलिए, दिल्ली की चहल-पहल में खो चुके इन स्मारकों के बारे में थोड़ा जान लेते हैं.  

1. जमाली कमाली मस्जिद और क़ब्र 

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दिल्ली के महरौली में पुरातत्व परिसर में स्थित एक दूसरे से सटे दो स्मारकों शामिल हैं. एक मस्जिद है और दूसरी जमाली और कमाली की क़ब्र है. जमाली को जलाल ख़ान के नाम से जाना जाता है जो मुग़लों के समय में रहने वाले एक प्रसिद्ध सूफ़ी संत थे. कमाली के बारे में इतिहास में ज़्यादा जानकारी नहीं है. 

इस जगह को भूतिया भी माना जाता है, लोगों का कहना है की क़ब्र से अजीब आवाज़ें आती हैं.  

2. आधम ख़ान का मक़बरा 

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एक सुन्दर भवन जिसके हर तरफ़ एक बरामदा है. इस मक़बरे में अकबर के पालक(Foster) भाई, आधम ख़ान की क़ब्र है. मई 1561 में आधम ख़ान ने अक़बर के पसंदीदा जनरल, अतागा ख़ान की हत्या की थी तब अकबर ने तुरंत उन्हें आगरा किले की खिड़कियों से नीचे फिंकवा दिया था.  

18 वीं शताब्दी में एक ब्रिटिश अधिकारी ने मक़बरे को एक आवासीय फ़्लैट में बदल दिया था और बाद में कई अधिकारियों द्वारा इसे आराम के लिए इस्तेमाल किया गया था.  

3. फ़िरोज़ शाह कोटला 

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फ़िरोज़ शाह कोटला स्टेडियम के बारे में तो पूरी दुनिया जानती है. मगर कम ही लोग इसके स्मारक के बारे में जानते हैं. यह 13 वीं शताब्दी में सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुगलक द्वारा बनाया गया था और इसे फिरोज़ाबाद शहर के रूप में जाना जाता था. दुर्भाग्यपूर्ण, इस स्मारक की सुंदरता अब धीरे-धीरे एक खंडर में बदलती जा रही है.  

4. सफ़दरजंग का मक़बरा 

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सफ़दरजंग का मक़बरा अंतिम मुगल बादशाह मोहम्मद शाह (1719-1748) के शक्तिशाली व कुशल प्रधान मंत्री सफ़दरजंग की स्मृति में नवाब शुजादुल्लाह ने 1754 ई.में बनवाया था. यहां सफ़दरजंग और उनकी बेगम की क़ब्र बनी हुई है. इसे आज भी मुगल वास्तु कला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है.  

किले की वास्तुकला हुमायूं के मक़बरे से मिलती जुलती है. पहले ये Archaeological Survey of India का दफ़्तर हुआ करता था.  

5. ग़ालिब ख़ान हवेली 

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ग़ालिब की हवेली 19 वीं सदी के उर्दू कवि मिर्ज़ा ग़ालिब का निवास स्थान था और अब यह एक विरासत स्थल है जो कि पुरानी दिल्ली में स्थित है. ग़ालिब आगरा से लौटने के बाद यहां रुके थे और उन्होंने अपनी उर्दू और फ़ारसी दोहे यहीं लिखे थे.  

6. तुग़लकाबाद का किला 

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यह किला दिल्ली के जर्जर किलों में से एक है. उसे तुग़लक़ वंश के संस्थापक गयासुद्दीन तुग़लक़ द्वारा 1321 में बनवाया गया था. यह किला विशाल और भव्य है.  

  7. खिड़की मस्जिद 

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खिड़की मस्जिद का निर्माण फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के प्रधानमंत्री खान-ई-जहान ज़ुनैन शाह ने 1380 में करवाया था. मस्जिद के अंदर बनी ख़ूबसूरत खिड़कियों के कारण इसका नाम खिड़की मस्जिद पड़ा है. यह मस्जिद दो मंजिला है. समय के साथ मस्जिद काफ़ी नष्ट हो गई है लेकिन ये आज भी दक्षिणी दिल्ली में ख़ूबसूरती के साथ खड़ी हुई है.