अफ़्रीका महाद्वीप में बसा देश बोत्सवाना हीरों की खदान के लिए फ़ेमस है. कुछ समय पहले ही वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि ये इंसानों के पूर्वजों का घर भी है. मगर अब ये देश अपनी ख़ूबियों के लिए नहीं, बल्कि ख़ामियों के लिए भी सुर्खियों में है. दरअसल, यहां की सरकार ने एक अजीबो-ग़रीब फ़ैसला लिया है, और ये फ़ैसला है 70 जंगली हाथियों को मारने का. सरकार के इस फ़ैसले की सोशल मीडिया पर निंदा तो हो रही है, पर कोई इसे रोकने के लिए कुछ कर नहीं रहा है.
बोत्सवाना के राष्ट्रपति मोकवित्सी मसीसी(Mokgweetsi Masisi) ने पिछले साल हाथियों के शिकार पर लगे बैन को हटाया था. इसके बाद उन्होंने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर हाथियों के शिकार के लिए लाइसेंस ख़रीदने के लिए आवेदन मंगवाए थे.
पांच साल पहले यहां की सरकार ने हाथियों के शिकार को बैन किया हुआ था, लेकिन पिछले साल अचानक इस पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया. इसका कारण है हाथियों की लगातार बढ़ती जनसंख्या. एक अनुमान के मुताबिक, इस देश में लगभग 1.30 लाख हाथी मौजूद हैं. संख्या अधिक होने के चलते ये हाथी कभी-कभी खाने की तलाश में रिहायशी इलाकों में चले आते हैं. वो किसानों की फसलों और उनके घरों को नुकसान पुहंचाते हैं. कई बार गुस्से में लोग उन्हें मार भी देते हैं.
इससे परेशान होकर सरकार ने ये फ़ैसला लिया है. सरकार ने इसके लिए बाक़ायदा लाइसेंस भी बांट दिए हैं. उन्होंने नीलामी प्रकिया में मारे गए हाथियों की क़ीमत भी तय कर दी है. एक हाथी के बदले में शिकार करने वाली एजेंसी को 31 लाख रुपये सरकार को देने होंगे. बहुत जल्द 70 हाथियों को ये एजेंसियां मार डालेंगी.
बोत्सवाना की सरकार को ये फ़ैसला लेने से पहले अपने पड़ोसी देश ज़िम्बाब्वे से सीख लेनी चाहिए थी. ये देश भी लगातार बढ़ते हाथियों की जनसंख्या से परेशान है. मगर इस समस्या का समाधान उन्होंने हाथियों को दूसरे देशों को बेचकर निकाला है, जहां वो जंगलों में आराम से रह पाएंगे. इसके लिए दुबई और चीन जैसे देशों ने उनकी मदद की है. वो इन हाथियों को ज़िम्बाब्वे से अपने यहां तक लाने के लिए ट्रांस्पोर्ट का ख़र्चा भी उठा रहे हैं.
इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जानवरों को मार कर इस समस्या से निपटने के फ़ैसले को कतई सही नहीं ठहराया जा सकता. इसके लिए सरकार को कोई दूसरा हल निकालना चाहिए.
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