कोविड-19 महामारी से लोगों को बचाए रखने के लिए सरकार ने हिदायत दी है कि जब तक ज़रूरी न हो बाहर न निकलें. ख़ासकर बुज़ुर्ग और छोटे बच्चे, जिन्हें ये महामारी बहुत जल्दी अपना शिकार बनाती है. लेकिन दिल्ली में एक बुज़ुर्ग ऐसे भी हैं जो अपनी चिंता किए बैग़र रोज़ाना दिल्ली की सड़कों का ट्रैफ़िक संभालने में लगे हुए हैं. वो ये काम रोज़ सुबह 9 बजे से लेकर 10 बजे तक करते हैं.

दिल्ली के सीलमपुर की लाल बत्ती पर इन साहसी दादा जी को देखा जा सकता है. इनका नाम गंगाराम है. ये आज से नहीं, बल्कि पिछले 32 साल से इस इलाके की ट्रैफ़िक व्यवस्था को संभाल रहे हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि वो बिना कोई वेतन लिए निस्वार्थ भाव से ये काम कर रहे हैं.

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कोरोना महामारी के चलते जब दिल्ली में लॉकडाउन हुआ था तब उनकी ये सेवा बंद हुई थी. लेकिन जैसे ही दिल्ली में लॉकडाउन में रियायत मिली और ट्रैफ़िक चलने लगा गंगाराम जी फिर से अपनी ड्यूटी पर लग गए. गंगाराम जी का कहना है कि ये काम कर उन्हें ख़ुशी मिलती है. साथ ही वो ये कहते हैं कि अगर वो घर पर बैठ जाएंगे तो वो बीमार पड़ जाएंगे.

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ये काम करने से पहले वो सीलमपुर में ही टीवी रिपेयर करने का काम करते थे. उनकी दुकान पर उनका बेटा भी काम करता था. एक दिन एक पुलिस वाले ने उनका ट्रैफ़िक वॉर्डन का फ़ॉर्म भर दिया. वो यहां पर अपना वायरलेस ठीक करवाने आया था. इसके बाद से ही वो सीलमपुर की लाल बत्ती का ट्रैफ़िक संभालते आ रहे हैं.

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हालाकिं, इसी चौक पर एक एक्सिडेंट में उनके बेटे की भी मृत्यु हो गई थी. उसके बाद तो इन्होंने यहां ट्रैफ़िक मैनेज करने का ठान लिया. क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उनकी तरह ही किसी और का बेटा भी किसी एक्सिडेंट का शिकार हो. 

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गंगाराम जी आस-पास के इलाके में बहुत फ़ेमस हैं. उन्हें कई पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. लोग आते-आते जाते उनका हाल-चाल पूछने के साथ ही उनके शाट सेल्फ़ी भी क्लिक करते हैं. 

ये लोगों का प्यार ही है जो उन्हें निरंतर इस काम को करने की प्रेरणा देता है. गंगाराम जी को हमारी तरफ से भी सलाम है.

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