राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे आपने काफ़ी पढ़ा, लिखा और सुना होगा. गांधी जी को आज भी पूरी दुनिया उनके विचारों के लिए जानती है. अक्सर आपने देखा होगा कि गांधी जी की तस्वीरों में उनके साथ लोगों की भीड़ दिखाई देती है. कुछ तस्वीरों में आपने उनके साथ जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, कस्तूरबा गांधी जैसे लोगों को देखा होगा, लेकिन गांधी जी के क़रीब रही इसी भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिनके बारे में शायद कम ही लोग जानते हों. 

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महात्मा गांधी के साथ कुछ महिलाओं की तस्वीरों को हमेशा से ही ग़लत तरीके से पेश किया गया है. आज हम आपको यहां कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी ग़लत मकसद के लिए नहीं बल्कि गांधी जी के विचारों की वजह से उनके बेहद क़रीब रहीं. 

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दरअसल, इन सभी महिलाओं की ज़िंदगी में गांधी का गहरा प्रभाव रहा है. गांधी जी ने जिस रास्ते पर चलना शुरू किया था, ये महिलाएं भी उसी रास्ते पर चलते हुए अपनी-अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ीं. 

1. मेडेलीन स्लेड उर्फ़ मीराबेन 

मेडेलीन ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी थीं. मेडेलीन पहली बार फ़्रांसीसी बुद्धिजीवी व लेखक रोमैन रौलेंड के संपर्क में आईं. रोमैन वही शख़्स थे, जिन्होंने महात्मा गांधी की बायोग्राफ़ी लिखी थी. गांधी पर लिखी रोमैन की बायोग्राफ़ी ने मेडेलीन को काफ़ी प्रभावित किया. गांधी का प्रभाव मेडेलीन पर इस कदर रहा कि उन्होंने ज़िंदगी को लेकर गांधी के बताए रास्तों पर चलने की ठान ली. अक्टूबर 1925 में वो मुंबई के रास्ते अहमदाबाद पहुंचीं. गांधी जी मेडेलिन को अपनी बेटी की तरह मानते थे. बाद में मेडेलिन का नाम मीराबेन पड़ गया. 

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2. निला क्रैम कुक 

निला ने साल 1932 में गांधी को बंगलुरु से ख़त लिखा था. इस ख़त में उन्होंने छुआछुत के ख़िलाफ किए जा रहे कार्यों को लेकर गांधी को बताया था. इस बीच दोनों के बीच ख़तों का सिलसिला शुरू होने लगा. 1 साल बाद निला ने यरवडा जेल में महात्मा गांधी से मुलाक़ात की और उन्होंने निला को साबरमती आश्रम जाने को कहा. इस दौरान निला को आश्रम से जुड़ाव महसूस होने लगा, लेकिन आज़ाद ख्यालों वाली निला के लिए आश्रम के माहौल में फ़िट होना थोड़ा मुश्किल था. ऐसे में वो एक दिन आश्रम से भाग गईं, कुछ समय बाद वो वृंदावन में मिलीं. इसके बाद ख़ुद को कृष्ण की गोपी मानने वाली निला माउंटआबू में एक स्वामी के साथ रहने लगी. 

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3. सरला देवी चौधरानी 

रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी सरला ने उच्च शिक्षा हासिल की हुई थी. साथ ही उन्हें कई भाषाओं, संगीत और लेखन में गहरी रुचि थी. लाहौर में गांधी जी सरला के घर पर ही रुके थे. ये वो दौर था, जब सरला के स्वतंत्रता सेनानी पति रामभुज दत्त चौधरी जेल में थे. इस दौरान वो गांधी जी के विचारों के चलते उनके क़रीब आ गयीं. इसके बाद गांधी और सरला ने खादी के प्रचार के लिए भारत का दौरा किया. 

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4. सरोजिनी नायडू 

सरोजनी नायडू ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की पहली महिला अध्यक्ष थीं. गांधी जी की गिरफ़्तारी के बाद ‘नमक सत्याग्रह’ की अगुवाई उन्हीं के कंधों पर थी. सरोजिनी और गांधी जी की पहली मुलाकात लंदन में हुई थी. सरोजिनी ने इस मुलाकात को लेकर कहा था, ‘एक छोटे कद का आदमी, जिसके सिर पर बाल नहीं थे. ज़मीन पर कंबल ओढ़े ये आदमी जैतून तेल से सने हुए टमाटर खा रहा था. दुनिया के मशहूर नेता को यूं देखकर वो ख़ुशी से हंसने लगी. तभी वो अपनी आंख उठाकर उनसे पूछते हैं, आप ज़रूर मिसेज़ नायडू होंगी. इतना श्रद्धाहीन और कौन हो सकता है? आइए मेरे साथ खाना शेयर कीजिए. जवाब में सरोजिनी शुक्रिया अदा करके कहती हैं, क्या बेकार तरीका है ये? कुछ इस तरह इन दो महान नेताओं के रिश्ते की शुरुआत हुई थी. 

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5. राजकुमारी अमृत कौर 

अमृत कौर पंजाब के कपूरथला के राजा सर हरनाम सिंह की बेटी थीं. अमृत की पढ़ाई इंग्लैंड में हुई थी. सन 1934 में हुई पहली मुलाकात के बाद गांधी और अमृत कौर ने एक-दूसरे को सैकड़ों खत भेजे.उन्हें गांधी की सबसे क़रीबी सत्याग्रहियों में गिना जाता है. नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो जेल भी गईं थी. आज़ाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनने का सौभाग्य भी राजकुमारी अमृत कौर को मिला. 

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6. डॉ. सुशीला नय्यर 

सुशीला गांधी जी के सचिव रहे प्यारेलाल की बहन थीं. परिवार के विरोध के बावजूद ये दोनों भाई-बहन ख़ुद को गांधी के करीब आने से नहीं रोक पाए थे. हालांकि, बाद में उनकी मां भी गांधी जी के विचारों के चलते उनकी समर्थक बन गयीं. डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद सुशीला महात्मा गांधी की निजी डॉक्टर बनीं. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो कस्तूरबा गांधी के साथ मुंबई में गिरफ़्तार हुईं थी.

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7. आभा गांधी 

आभा का जन्म बंगाल में हुआ था. गांधी जी के विचार उन्हें उनके करीब खींच लाये. गांधी जी के संपर्क में आने के बाद आभा की शादी उनके परपोते कनु गांधी से हुई थी. गांधी की प्रार्थना सभाओं में आभा भजन गाती थीं, जबकि परपोते कनु फ़ोटोग्राफ़ी करते थे. सन 1940 के दौर की महात्मा गांधी की अधिकतर तस्वीरें कनु ने ही खींची थीं. नाथूराम गोडसे ने जब गांधी को गोली मारी, तब आभा वहीं मौजूद थीं. 

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8. मनु गांधी 

मनु बेहद कम उम्र में ही महात्मा गांधी के पास चली आई थीं. मनु महात्मा गांधी की दूर की रिश्तेदार थीं. गांधी जी उन्हें अपनी पोती कहते थे. गांधी जी के विरोधियों ने जिन रस्तों में मल-मूत्र डाल दिया था, उन रस्तों पर झाड़ू उठाने वालों में गांधी के अलावा मनु ही थीं. गांधी जी के साथ उनके आखिरी दिनों में आभा के अलावा ये मनु ही थीं, जो बापू के बू़ढ़े शरीर को कांधा देकर चलती थीं. 

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सत्य, अहिंसा और प्रेम का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी जी को लेकर अलग-अलग लोगों के अलग-अलग विचार होंगे. मगर गांधी जी को लेकर हमारे विचार यही हैं कि उन्होंने अंग्रेज़ों से लड़कर हमें आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.