ग्रेटा थनबर्ग का नाम आपने सुना होगा. आपको ये भी पता होगा कि ये लड़की क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए संघर्ष कर रही है.
ग्रेटा के अलावा भी कई ऐसे बच्चे हैं, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और बड़ों के सामने दे रहे हैं गज़ब के उदाहरण.
मिलिए मणिपुर की Licypriya Kangujam .
दूसरे दर्जे में पढ़ रही 8 साल की Licypriya जून में संसद भवन के बाहर खड़ी हो गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्लाइमेट चेंज पर सख़्त क़ानून बनाने की मांग की.
क्लाइमेट चेंज पर डिस्कशन के अलावा Licypriya ने रैलियां की हैं और अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाए हैं. इसके अलावा इस बच्ची ने IIT जम्मू के Academicians की मदद से Survival Kit For The Future (SUKIFU) डिज़ाइन किया है. इस Kit में ग्लास बॉक्स के अंदर एक पौधा है जो एक मास्क से जुड़ा है, जिसके ज़रिए इंसान ताज़ी हवा में सांस ले सकता है.
Indian Express से बात-चीत करते हुए Licypriya ने कहा,
‘दिल्ली के प्रदूषण को देखकर दुख होता है. इस Device से लोगों को साफ़ हवा मिलेगी और उन Experts का ध्यान भी इस समस्या की तरफ़ आयेगा जो हमारे भविष्य के लिए ज़िम्मेदार हैं.’
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर Licypriya ने कई नेताओं के सामने क्लाइमेट चेंज और प्राकृतिक आपदाएं रोकने पर बात की है. भारत का UN में प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे छोटी भारतीय है Licypriya.
Licypriya को उसके काम के लिए Dr APJ Abdul Kalam Children Award 2019, India Peace Prize 2019 और World Children Peace Prize 2019 से नवाज़ा गया है.
Licypriya स्पेस साइंटिस्ट बनना चाहती हैं और धरती से दूर रहने के लिए साफ़, स्वच्छ जगह बनाना चाहती हैं.
हमारी धरती मर रही है. लोग सुन नहीं रहे और जो मन वो कर रहे हैं. भविष्य में मैं स्पेस साइंटिस्ट बनकर रॉकेट लॉन्च करना चाहती हूं और चांद पर पानी पहुंचाने और पेड़ लगाने के तरीके ढूंढना चाहती हूं.
-Licypriya Kangujam
ADVERTISEMENT
6 साल की उम्र में Licypriya Disaster Management पर UN कॉन्फ़्रेंस में हिस्सा लिया था. Licypriya के मुताबिक़ यहीं से उन्हें Man-Made Disasters के शिकार लोगों की मदद करने की प्रेरणा मिली. 7 साल की उम्र में Licypriya ने ‘The Child Movement’ शुरू किया. अब 8 साल की उम्र में Licypriya 18 देश घूम चुकी हैं पर उन्हें इस वजह से शिक्षा से दूर होना पड़ा.
Licypriya के पिता ने बताया,
‘उसने संसद के बाहर विरोध करने के लिए फरवरी में स्कूल छोड़ा. बतौर Parent हर सफ़र में उसके साथ चलने और उसके मक़सद तक पहुंचने के लिए सही रास्ता दिखाने में मुश्किलें आती हैं. हमें उसके कैंपेन को समर्थन देने के लिए वक़्त निकालने में भी समस्या होती है. हम उसे छुट्टियों और विकेंड पर कैंपेन के लिए काम करने को प्रोत्साहित करते हैं पर वो Self-Motivated है.’
Licypriya ने देशभर के बच्चों को यथासंभव साईकिल का उपयोग करने, पेड़ न काटने और पेड़ से बनी चीज़ों का यथासंभव इस्तेमाल न करने की हिदायत दी है.