पेड़-पौधे हमेशा अपनी जगह स्थिर रहते हैं. न ही वो बोल सकते हैं और न ही किसी से कुछ मांग सकते हैं. मगर कुछ ऐसे पेड़-पौधे भी होते हैं, जो जानवरों और इंसानों की तरह व्यवहार करते हैं. सुनकर अजीब लगेगा लेकिन ऐसा ही है. ये पौधे पानी से ज़्यादा कीड़े-मकौड़े खा कर हरे-भरे रहते हैं.

आइए जान लीजिए, कौन से हैं वो पेड़:

1. The Sensitive (Mimosa Pudica)

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ये पौधा मूलरूप से दक्षिण और मध्य अमेरिका का है. ये बहुत संवेदनशील भी होता है. अगर इस पौधे को पानी कम दिया जाए, तो इसकी पत्तियां कठोर हो जाती हैं. 

2. चारा बेल (Dodder vine) (जो पौधे सूंघ सकते हैं)

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ये एक बेलदार पौधा है, जिसकी कोई जड़ नहीं होती है. ये बेल दूसरों पौधों पर आश्रित होती है. इसके लिए ये टमाटर के पेड़ को चुनती है. इस पेड़ में सूंघने की ताकत होती है, जिसके चलते ये अपने आस-पास के पौधों को सूंघकर उनपर अपना आश्रय बनाती है. ये बेल पेड़ को नुकसान भी पहुंचाती है.

3. Venus Flytrap

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इस पौधे का वानस्पतिक नाम डायोनिया मसीपुला (Dionaea Muscipula) है. ये पौधा मुख्य रूप से अमेरिका के कैरोलिना क्षेत्र में पाया जाता है. इसके पत्ते दो भागों में बंटे होते हैं और दोनों के मध्य एक उभार होता है, वो दरवाज़े के कब्ज़े (Hinge) की तरह होता है. पत्ते के दोनों भागों की सतह पर संवेदनशील बाल जैसे रेशे होते हैं. इनको अगर कोई कीड़ा छू ले, तो ये तुरंत बंद हो जाते हैं और कीड़े को खा जाते हैं.  

4. डेसमोडियम गाइरेंस (डांसिंग प्लांट)

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डांसिंग प्लांट एक ऐसा पौधा है, जो छूने, प्रकाश पड़ने और आग से प्रतिक्रिया करता है. ऐसा माना जाता है कि ये पौधा ध्वनि के प्रति प्रतिक्रिया करता है. चार्ल्स डार्विन भी इस पौधे को देखकर चौंक गए थे. 

5. स्पॉटेड नैपवीड (आक्रामक पौधे)

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चित्तीदार Knapweed एक आक्रामक द्विवार्षिक या बारहमासी वाइल्डफ़्लॉवर है, जिसका फूल छितरा हुआ होता है. सेंटोरिया मैकुलोसा पौधे का वैज्ञानिक नाम है. इस पौधे से फ़सलें ख़राब हो जाती हैं.  

6. Pitcher Plant

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इस पौधे का वानस्पतिक नाम नेपन्थिस खासियाना (Nepenthes Khasiana) है. ये पौधा मुख्यतः असम के खासी पहाड़ियों में पाया जाता है. इस पौधे की पत्ती घट या कलश के रूप में विकसित हो जाती है, जिसका ऊपरी हिस्सा पत्ती से ढका होता है. इस कलश से एक प्रकार का मकरंद (मीठा तरल पदार्थ) निकलता है, जिससे कीड़े इसकी ओर आकर्षित होते हैं.  

7. Nepenthes

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नेपेंथेसी कुल का कीटभक्षी पौधा है, जो श्रीलंका और असम का देशज है. ये पौधे हर्ब होते हैं और दलदली या अधिक नम जगहों में उगते हैं. पौधे तंतुओं के सहारे ऊपर चढ़ते हैं. तंतुओं के सिरेवाला भाग घड़े के आकार जैसा हो जाता है, जिसे घट (Pitcher) कहते हैं. इसके ऊपरी हिस्से में एक ढक्कन होता है, जो पौधे के छोटे होने पर बंद रहता है. इसमें मीठा तरल पदार्थ निकलता है, जो कीड़े मकौड़ों को अपनी ओर खींचता है और उन्हें खा जाता है. इसमें कीड़े मकौड़े के अलावा चूहे भी फंस जाते हैं.

8. ड्रोसेरा पौधा

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ड्रोसेरा एक कीटभक्षी पौधा है, जो अपने खाने की पूर्ति के लिए कीटपतंगों का शिकार करता है. सुनने में भले ही अजीब लगे कि एक पौधा जीवित कीटों का शिकार कैसे कर सकता है, लेकिन ये सच है. ये पौधा नदी या तालाब के किनारे उन क्षेत्रों में पाया जाता है, जहां नाईट्रोजन की कमी होती है और वहां की जलवायु शुद्ध होती है. इसे मक्खाजाली भी कहा जाता है. इस पौधे की गोलाई में क़रीब 25 पत्तियां होती है.

9. दक्षिण अफ़्रीका के बबूल के पेड़

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बबूल का पेड़ जिसे स्थानीय भाषा में देशी कीकर कहा जाता है. ये अफ़्रीका महाद्वीप और भारतीय उपमहाद्वीप का मूल पेड़ है. इसका वैज्ञानिक नाम वाचेलिया निलोटिका है. ये धीमी गति से बढ़ता है और लंबे समय तक जीवित रहता है. बबूल वृक्ष क्षारीय मिट्टी में भी पनपता है और इसके सफल विकास के लिए मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी आवश्यक है. बबूल वृक्ष की कोमल टहनी का उपयोग दक्षिण-पूर्व अफ्रीका, पाकिस्तान और भारत में दातून के रूप में किया जाता है. 

इन पेड़ों के बारे में जानकर कैसा लगा? हमें कमेंट बॉक्स में बताइएगा ज़रूर.

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