कुमुद मिश्रा… ये नाम सुनते ही हर किसी के मन में पहला सवाल यही उठेगा कि कौन है भाई ये? भले ये नाम आप सभी को कुछ नया सा लगेगा. लेकिन इस नाम के पीछे छिपे चेहरे को देखते ही आप कहेंगे, अरे ये तो रॉकस्टार फ़िल्म का ख़टाना भाई है. जी हां, सही पहचाना आपने. कुमुद इस समय बॉलीवुड में बेहतरीन करेक्टर आर्टिस्ट के तौर पर जाने जाते हैं. कुमुद ‘रॉकस्टार’, ‘एयर लिफ़्ट’, ‘सुलतान’, ‘जॉली एलएलबी-2’, ‘रांझणा’, ‘एमएस धोनी’, ‘बदलापुर’ और ‘टाइगर ज़िंदा है’ जैसी सुपरहिट फ़िल्मों में यादगार किरदार निभा चुके हैं.

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कुमुद थियेटर आर्टिस्ट रहे हैं. जबकि उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर की शरुआत 1996 में श्याम बेनेगल की फ़िल्म सरदारी बेग़म से की थी. इस फ़िल्म में ओम पुरी और किरन खेर जैसे दिग्गज कलाकारों के होने के कारण उन्हें ज़्यादा पहचान नहीं मिल पायी. इस बीच उनको फ़िल्में मिलना बंद हो गयीं. लेकिन लम्बे अंतराल के बाद उन्हें असली पहचान साल 2011 में आई रणबीर कपूर की फ़िल्म रॉकस्टार में ख़टाना भाई के किरदार से मिली. इस फ़िल्म के उस किरदार ने कुमुद की किस्मत ही बदल दी. आज कुमुद बॉलीवुड की हर बड़ी फ़िल्म में दिखाई देते हैं.

आईये उनके द्वारा निभाए गए इन 9 किरदारों के बारे में जानते हैं:

1. रॉकस्टार (ख़टाना भाई)

रॉकस्टार फ़िल्म में कुमुद द्वारा निभाया गया खटाना भाई का किरदार आज भी लोगों को याद है. इम्तियाज़ अली की इस म्यूज़िकल फ़िल्म में उन्होंने जॉर्डन (रणवीर) के मैनेजर का किरदार निभाया था. जो पहले जॉर्डन के कॉलेज में कैंटीन चलाता था. इस फ़िल्म उन्होंने कई यादगार डायलॉग भी बोले जैसे-

बहुत ही हल्का आदमी है तू छी छी छी,

अबे दिल टूटा होता तो,

यहां बैठकर समोसे खा रहा होता

चटनी की लड़ाईयां कर रहा होता

हलख से निवाला नहीं उतरता

प्यार में सिद्दत होनी चाहिए सिद्दत

रॉकस्टार बनाना है तो अंदर दर्द होना चाहिए.

जब दिल की लगती है न, टुकड़े टुकड़े होते हैं, तब आती है झंकार 

2. एयरलिफ़्ट (संजीव कोहली)

ये फ़िल्म युद्ध के हालातों में क़ुवैत में फंसे 1 लाख 70 हज़ार भारतियों को एयरलिफ़्ट कर सुरक्षित निकालने की कहानी पर आधारित थी. इस फ़िल्म में उन्होंने संजीव कोहली नाम के एक ऐसे सरकारी कर्मचारी का किरदार निभाया था, जो क़ुवैत में फंसे भारतियों की मदद तो करना चाहता है, लेकिन बड़े अधिकारी करने नहीं देते. ऐसे में वो अपने सीनियर्स के ख़िलाफ़ रंजीत कत्याल (अक्षय कुमार) की मदद करता है ताकि लोगों की सुरक्षित वतन वापसी हो पाए. इस छोटे से किरदार को भी उन्होंने यादगार बना दिया.

3. सल्तान (आरफ़ा के कोच)

सलमान ख़ान और अनुष्का शर्मा स्टारर इस फ़िल्म में उन्होंने आरफ़ा (अनुष्का) के कोच और पिता की भूमिका निभाई थी. फ़िल्म में उनका रोल भले ही छोटा था, लेकिन कुमुद ने अपने शानदार अभिनय के दम पर लोगों की वाहवाही लूटी.

डायलॉग: एक ग़लती तो भगवान भी माफ़ कर देता है. 

4. जॉली एलएलबी-2 (इंस्पेक्टर सूर्यवीर सिंह)

देश में कोर्ट और क़ानून व्यवस्था पर कटाक्ष करती इस फ़िल्म में कुमुद ने सूर्यवीर सिंह नाम के एक करप्ट इंस्पेक्टर का किरदार निभाया था. फ़िल्म में उनका किरदार पैसों के लिए मासूम लोगों की जान लेने में भी गुरेज़ नहीं करता. इस नकारात्मक किरदार को भी उन्होंने बख़ूबी निभाया. 

5. टाइगर ज़िंदा है (राकेश)

इनको एक बार फिर सलमान ख़ान के साथ इस फ़िल्म में काम करने का मौक़ा मिला. जासूसी पर आधारित इस फ़िल्म में कुमुद मिश्रा ने रॉ के एक बुज़ुर्ग जासूस, लेकिन टेक्निकल जीनियस राकेश का किरदार निभाया था. जो हर मुसीबत और गुप्त कोड हैक करते वक़्त हनुमान चालीसा ही गुनगुनाते रहता है. यहां भी उनको उनके किरदार के ज़रिये एक अलग पहचान मिली. 

6. रुस्तम (एरिक बिलिमोरिया)

ये फ़िल्म भारतीय नेवी कमांडर के.एम. नानावटी की असल ज़िन्दगी पर आधारित थी. इस फिल्म में अक्षय कुमार ने रुस्तम पावरी का किरदार निभाया था. इसके लिए अक्षय को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. इस फ़िल्म में कुमुद ने न्यूज़ पेपर के एडिटर-इन-चीफ़ एरिक बिलिमोरिया का छोटा लेकिन असरदार किरदार निभाया था. जो अपनी पत्रकारिता की पॉवर के दम पर रुस्तम की मदद करता है.

7. एम.एस. धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी (देवल सहाय)

पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान एम.एस. धोनी के जीवन पर आधारित इस फ़िल्म में कुमुद ने सेंट्रल कोलफ़ील्ड लिमिटेड के डायरेक्टर का किरदार निभाया था. जो न सिर्फ़ क्रिकेट प्रेमी है, बल्कि धोनी जैसे युवाओं को क्रिकेट खेलने का मौक़ा भी देता है. फ़िल्म में उनके कुछ डायलॉग सीटी बजाने योग्य थे.

8. बदलापुर (इंस्पेक्टर गोविन्द मिश्रा)

डायरेक्टर श्रीराम राघवन की वरुन धवन और नवाज़ुद्दीन अभिनीत इस फ़िल्म में कुमुद ने एक ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर गोविन्द मिश्रा का किदार निभाया था. फ़िल्म में वो जब अपराधी का किरदार निभा रहे नवाज़ुद्दीन से पूछताछ कर रहे होते हैं, तो उस वक़्त उनका अभिनय देखने लायक था.

9. रांझणा (इंज़माम क़लाब-ए-हैदर)

इस फ़िल्म में कुमुद मिश्रा ने एक ऐसे मुस्लिम पिता की भूमिका निभाई, जो अपनी बेटी की शादी हिन्दू लड़के से करने के ख़िलाफ़ है. वहीं अपनी पसंद के एक मुस्लिम लड़के से बेटी (सोनम कपूर) की शादी कराने पर अड़ जाता है. अपनी शानदार एक्टिंग के दम पर मिश्रा ने पिता की भूमिका के साथ न्याय किया.

कुमुद मिश्रा के लिए साल 2015, 2016 और 2017 सफ़लता के हिसाब से शानदार रहा. इस साल वो बालासाहब ठाकरे के जीवन पर आधारित फ़िल्म ‘ठाकरे’ में नज़र आएंगे.